मौसम विज्ञान केंद्र रांची का पूर्वानुमान है कि राज्य में भीषण गर्मी अब नहीं पड़ने वाली है। दरअसल मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। अब एक बार फिर बदलाव होने जा रहा है। झारखंड में 11 जून के बाद मौसम का मिजाज फिर बदलेगा।
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मौसम केंद्र ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में तेज बारिश की संभावना जताई है। इस दौरान होने वाली क्षति को देखते हुए यलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग ने कहा है कि 10 जून को पलामू और उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के जिलों को छोड़कर 15 से अधिक जिलों में अच्छी बारिश हो सकती है।
प्रदेश का मौसम साफ है लेकिन उमस भरी गर्मी ने परेशान कर रखा है।
10 से 13 जून के बीच राज्य के सभी हिस्सों में बारिश होने की संभावना है। 11 से 13 जून तक राज्य के कई इलाकों में गरज के साथ बारिश हो सकती है।
अब लोकल नहीं मानसून वाली होगी बारिश
मौसम के इस आगामी बदलाव के बाद राज्य में मानसून की बारिश दस्तक दे सकती है। मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान अधिकतम तापमान 32 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने के आसार हैं।
मौसम के बदलाव वाले दौर में न्यूनतम तापमान की करें तो यह 23 से 24 डिग्री के आसपास रहने वाला है। राजधानी रांची में रविवार को अधिकतम तापमान 35.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास रिकॉर्ड किया गया है।
पश्चिमी हवा रही कमजोर, इसलिए नहीं पड़ी गर्मी
पूरे प्रदेश में गर्मी नहीं के बराबर पड़ी। जून का दूसरा सप्ताह शुरू हो गया है लेकिन लोगों को गर्मी का एहसास नहीं हुआ है। मौसम में बदलाव और बारिश की वजह से अधिकतम तापमान 38 डिग्री के आसपास ही रहा। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के वरीय मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद की माने तो प्रदेश में गर्मी का असर पश्चिम क्षेत्र की ओर से आने वाली हवा की वजह से होता है।
दरअसल जब हवा पश्चिम से आती है तो बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवा को कमजोर कर देती है। इस बार ऐसा नहीं हुआ है। बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवा एक्टिव रही। इस वजह से प्रदेश में लगातार बारिश होती रही। बारिश होने की वजह से हवा गर्म नहीं हुई और गर्मी का एहसास नहीं हुआ।

35 डिग्री के आसपास रहा मई महीने में गर्मी
मौसम विभाग की रिपोर्ट बताती है कि मई का महीना अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास गुजर गया। राजधानी रांची में भी भीषण गर्मी नहीं पड़ी। आंकड़े बताते हैं कि 2023 में राजधानी रांची का अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस के आसपास था। एक दो बार ही अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया था।