Friday, June 13, 2025
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पाकिस्तान का कर्ज बढ़कर 76 हजार अरब रुपए पहुंचा: वित्त मंत्री ने इकोनॉमिक सर्वे पेश किया; दो साल में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी


इस्लामाबाद12 मिनट पहले

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पाकिस्तान में सोमवार, 9 जून को इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 जारी किया गया। इसे वित्तमंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने पेश किया। सर्वे के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों में पाकिस्तान पर कर्ज बढ़कर 76000 अरब पाकिस्तानी रुपए हो गया।

इसमें से 51500 अरब रुपए लोकल बैंकों से और 24500 अरब रुपए देश के बाहर दूसरे देशों या बैंकों से लिया गया है।

वित्तमंत्री ने कहा कि पिछले दो सालों से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आया है। मौजूदा वित्त वर्ष में इसमें स्थिरता और मजबूती आई है। नकदी के संकट से जूझ रहे देश की अर्थव्यवस्था इस साल 2.7% की दर से बढ़ने की संभावना है।

पाकिस्तान का वित्तीय वर्ष 1 जुलाई से शुरू होता है, जिसके लिए आज शाम पाकिस्तान का बजट पेश होगा। इससे एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया।

पाकिस्तान का वित्तीय वर्ष 1 जुलाई से शुरू होता है, जिसके लिए आज शाम पाकिस्तान का बजट पेश होगा। इससे एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया।

2024 में जीडीपी ग्रोथ 2.5% रही

प्रेस कॉन्फ्रेंस में औरंगजेब ने बताया कि साल 2023 में जीडीपी ग्रोथ 0.2 प्रतिशत थी, जो 2024 में बढ़कर 2.5 प्रतिशत हो गई है। वित्तमंत्री ने कहा,

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2025 के लिए हमने 2.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। यह एक रिकवरी है और स्थायी विकास की दिशा में सही कदम है। अगला वित्तीय वर्ष एक बदलाव की कहानी होगा।

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वित्त वर्ष 2024-25 में जुलाई से अप्रैल के बीच चालू खाता (करंट अकाउंट) में 1.9 अरब डॉलर का सरप्लस दर्ज हुआ। इसकी मुख्य वजह IT सेक्टर से 3.5 अरब डॉलर का होने वाला निर्यात रहा।

रेमिटेंस 38 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है

रेमिटेंस यानी जो लोग दूसरे देशों में पैसा कमाकर पाकिस्तान भेजते हैं, वो इस साल के अंत तक 37 से 38 अरब डॉलर पहुंच सकता है। दो साल पहले यह 27 अरब डॉलर था।

30 जून 2024 तक पाकिस्तान का फॉरेक्स रिजर्व्स यानी विदेशी मुद्रा भंडार 9.4 अरब डॉलर थे।

2023 में पाकिस्तान के पास सिर्फ दो हफ्ते के आयात के लिए ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा था। इस लिहाज से यह एक बड़ी रिकवरी रही।

सर्वे के मुताबिक 2024 में देश का एक्सपोर्ट 27.3 अरब डॉलर रहा, जबकि इंपोर्ट 48.6 अरब डॉलर था। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का साइज पिछले साल के 372 अरब डॉलर से बढ़कर 411 अरब डॉलर हो गया।

पाकिस्तान में चरम गरीबी 16% से ज्यादा

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 2017-18 से 2020-21 के बीच चरम गरीबी 4.9% से बढ़कर 16.5% हो गई। कुल गरीबी 39.8% से बढ़कर 44.7% हो गई।

दूसरी तरफ भारत में 2011-12 से 2022-23 के बीच चरम गरीबी 27.1% से घटकर 5.3% रह गई। इसका मतलब है कि 26.9 करोड़ लोग 11 सालों में चरम गरीबी से बाहर निकले हैं।

यह संख्या पाकिस्तान की पूरी आबादी से ज्यादा है। 2022-23 में भारत में 7.52 करोड़ लोग चरम गरीबी में थे, जबकि 2011-12 में 34.44 करोड़ लोग चरम गरीबी में थे।

पाकिस्तान IMF से 25 बार बेलआउट पैकेज ले चुका है

पाकिस्तान ने अब तक IMF से 44.57 अरब डॉलर के 25 बेलआउट पैकेज ले चुका है। इसके अलावा वर्ल्ड बैंक, एशिया डेवलपमेंट बैंक और इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक से 38.8 अरब डॉलर और चीन से 25 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज ले चुका है। इसके अलावा, सऊदी अरब, यूएई और पेरिस क्लब से भी अरबों डॉलर का कर्ज लिया है।

पाकिस्तान को 4 साल में 100 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है

पाकिस्तान को अगले चार सालों में 100 बिलियन डॉलर यानी करीब 8.4 लाख करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज चुकाना है। वहीं जुलाई 2025 तक पाकिस्तान को विदेशी कर्ज और ब्याज मिलाकर 30.35 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.56 लाख करोड़ रुपए चुकाने हैं।

27 अप्रैल को स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद ने बताया था कि जून 2025 तक पाकिस्तान का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़कर 14 बिलियन डॉलर, यानी करीब 1.18 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। फिर भी पाकिस्तान पर इससे दोगुना कर्ज होगा। ऐसे में कर्ज चुकाना आसान नहीं होगा।

मई 2024 में IMF ने पाकिस्तान के कर्ज चुकाने की क्षमता पर संदेह जताया था। IMF ने कहा कि पाकिस्तान की कर्ज चुकानी की क्षमता पर जोखिम है। यह पाकिस्तान की नीतियों और समय पर बाहरी कर्ज मिलने पर निर्भर करेगा की वे लोन चुका पाएंगे या नहीं।

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पाकिस्तान का हर बच्चा इस वक्त अपने सिर 86.5 हजार रुपए कर्ज लेकर पैदा होता है। तेल और गैस का इम्पोर्ट बिल हो या सैलरी और सब्सिडी जैसे रोजमर्रा के खर्च, पाकिस्तान की पूरी इकोनॉमी ही कर्ज पर चल रही है। लेकिन अब भारत IMF से पाकिस्तान को मिलने वाले लोन के खिलाफ वोट कर सकता है। यहां पढ़ें पूरी खबर…



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