चार पर्वत चोटी सहित माउंट एवरेस्ट फतह करने के बाद भी पर्वतारोही मेघा परमार को विक्रम अवार्ड न मिलने को लेकर उन्होंने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जस्टिस अमित सेठ की एकलपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब दे
.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता मेघा परमार को सरकार के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने को भी कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा ने पैरवी करते हुए कहा कि भावना डेहरिया को अवार्ड दिए जाने का विरोध नहीं किया जा रहा है, बल्कि दोनों को समान योग्यता पर अवार्ड मिलना चाहिए।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में विक्रम अवार्ड को लेकर याचिका दायर करते हुए मेघा परमार की ओर से बताया गया कि वह माउंट एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने वाली प्रदेश की पहली महिला है। टीम में भावना डेहरिया भी शामिल थीं, जो उनके बाद चोटी पर पहुंचीं, इसके अलावा माउंट कोस्कियस, माउंट किलिमन और माउंट एल्ब्रस की चोटी भी उसने भावना से पहले फतह की थी।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दोनों का टाइमिंग डाटा भी पेश किया। मेघा परमार ने कोर्ट को बताया कि योग्यता के अनुसार भावना के साथ मुझे भी विक्रम अवॉर्ड दिया जाना चाहिए।
एवरेस्ट फतेह के दौरान पर्वतारोही मेघा परमार।
मेघा परमार की याचिका पर पहले हाईकोर्ट जस्टिस एके सिंह एवं जस्टिस अमित सेठ ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि साल 2019 में विक्रम अवार्ड रूल्स में संशोधन करते हुए एडवेंचर गेम को भी शामिल किया है। नियम के अनुसार एडवेंजर गेम में लिए एक खिलाड़ी को विक्रम अवार्ड दिया जाए।
साल 2016 में एवरेस्ट फतह करने वाले प्रदेश के दो पुरुष को साल 2022 में विक्रम अवार्ड दिया गया। सरकार पूर्व में एडवेंचर गेम में सिर्फ एक खिलाड़ी को विक्रम अवार्ड देने का नियम शिथिल कर चुकी है। हाईकोर्ट को बताया गया कि दोनों खिलाड़ी योग्य हैं, तो दोनों को विक्रम अवार्ड देना चाहिए। युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते एकलपीठ को निर्देश जारी किए थे।
याचिका पर दूसरे चरण में जस्टिस अमित सेठ की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई की। तब सरकार की तरफ से बताया गया कि विक्रम अवार्ड देने के लिए खिलाड़ियों के नाम की घोषणा हो चुकी है, उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा याचिका में भावना को अनावेदक नहीं बनाने जाने का मुद्दा भी उठाया गया।
याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि वह भावना को विक्रम अवार्ड दिए जाने के खिलाफ नहीं है, इसलिए उसे अनावेदक नहीं बनाया गया था। कानूनी प्रक्रिया के तहत आवश्यक होने पर वह याचिका में संशोधन करना चाहते हैं। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी है कि वह इस संबंध में सरकार के समक्ष अभ्यावेदन पेश कर सकती है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने पैरवी की।

राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के साथ मेघा परमार।
विवेक तन्खा ने सरकार को लिखा पत्र
मेघा परमार के लिए राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने सीएम मोहन यादव को पत्र लिखकर बताया कि हाल ही में साहसिक खेलों में विक्रम अवॉर्ड के लिए जो नॉमिनेशन हुए हैं, उनमें हमारे प्रदेश की बेटी मेघा परमार का नाम किसी कारणवश छूट गया है। 22 मई 2019 को मेघा पाटकर ने सबसे पहले दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था। भावना डहरिया करीब 5 घंटे बाद पहुंची थीं। एवरेस्ट समिट में दूसरे क्रम पर आने वाली बेटी भावना का चयन मप्र सरकार ने विक्रम अवॉर्ड के लिए कर लिया है, यह अच्छी बात है, लेकिन प्रथम आने वाली बेटी मेधा को अवॉर्ड के लिए नामित न करना इस बेटी के साथ-साथ प्रदेश के लाखों लोगों की भावना को ठेस पहुंचाना है। मेघा के लिए विक्रम अवार्ड पाने का नामांकन प्रक्रिया के अनुसार यह अंतिम अवसर है।
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि 12 जून 2025 को यह अवॉर्ड दिया जाना है, परन्तु मेघा को विक्रम अवार्ड के लिए नामांकित न किया जाना काफी दुखद है और इससे प्रदेश के खिलाड़ियों में भारी निराशा का भाव है। बेटियों के प्रति मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी आपकी संवेदनशीलता कई अवसरों पर सामने आई है। इसीलिए आपसे मेरा अनुरोध है आप मेरी बात अन्यथा न लेते हुए प्राथमिकता के आधार पर इस विषय को विचार में लाएंगे और विशाल हृदय के साथ बेटी मेघा परमार के साथ न्याय करते हुए प्रतिभाओं के सम्मान की रक्षा करेंगे।