Friday, December 27, 2024
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भास्कर एक्सप्लेनर-क्या तिरुपति मंदिर के लड्डू में चर्बी: घी का ब्रांड बदलने से कैसे खड़ी हुई इतनी बड़ी कंट्रोवर्सी; 10 सवालों में पूरी कहानी


आंध्र प्रदेश के मशहूर तिरुपति मंदिर की लड्डू कंट्रोवर्सी के कई किरदार हैं। पूर्व सीएम से मौजूदा सीएम तक। मंदिर मैनेज करने वाले ‘तिरुमला तिरुपति देवस्थानम’ से लेकर सैंपल जांच करने वाली नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड तक। नंदनी ब्रांड के घी से लेकर AR डेयर

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तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद में चर्बी की पूरी कंट्रोवर्सी के हर पहलू को 9 सवालों में सिलसिलेवार तरीके से जानेंगे…

सवाल-1: आंध्र प्रदेश का तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध और अमीर मंदिरों में शुमार क्यों है?

जवाबः तिरुमला तिरुपति देवस्थान दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और अमीर तीर्थस्थलों में से एक है। ये आंध्र प्रदेश के सेशाचालम पर्वत पर बसा है। भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर का निर्माण राजा तोंडमन ने करवाया था। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 11वीं सदी में रामानुजाचार्य ने की थी।

मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर जब पद्मावती से अपना विवाह रचा रहे थे तो उन्होंने धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया। भगवान पर अब भी वो कर्ज है और श्रद्धालु इसका ब्याज चुकाने में उनकी मदद करने के लिए दान देते हैं। तिरुमाला मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है।

तिरुपति दर्शन करने जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को यहां का प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद में दिया जाता है। यहां रोज करीब 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं। लड्डू को चने के बेसन, मक्खन, चीनी, काजू, किशमिश और इलायची से बनाया जाता है और इसकी रेसिपी करीब 300 साल पुरानी है।

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तिरुपति में बालाजी का लड्डू भगवान वेंकटेश के आशीर्वाद के रूप में मिलता है।

तिरुपति में बालाजी का लड्डू भगवान वेंकटेश के आशीर्वाद के रूप में मिलता है।

सवाल-2: तिरुपति बालाजी में लड्डू बनाने की जिम्मेदारी किसके पास है और इसमें सरकार की क्या भूमिका है?

जवाब: तिरुपति बालाजी की देखरेख की जिम्मेदारी तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम यानी TTD के पास है। TTD के पास ही मंदिर के प्रसादम यानी लड्डू बनाने की जिम्मेदारी है। 1932 में ये संस्था बनी। बोर्ड में कुल 7 सदस्य होते हैं।

इसमें एक चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO), दो ज्वाइंट एक्जीक्यूटिव ऑफिसर के अलावा अन्य विभागों के लिए ऑफिसर होते हैं। बोर्ड में मंदिर के मुख्य पुजारी भी शामिल होते हैं। इसमें मुख्य मंदिर समेत अन्य 12 मंदिर और उनमें काम करने वाले 14 हजार कर्मचारी शामिल हैं।

इस बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य सरकार करती हैं। वर्तमान में सीनियर IAS अधिकारी जे. श्यामला राव TTD के CEO हैं। उनकी नियुक्ति सीएम चंद्रबाबू नायडृ ने जून 2024 में की है।

सवाल-3: अचानक तिरुपति बालाजी के लड्डू की जांच क्यों करवाई गई?

जवाब: कुछ दिनों से भक्त लड्डू का स्वाद बदलने की बात कह रहे थे। जब ये बात TTD के CEO जे. श्यामला राव के पास पहुंची तो उन्होंने लड्डू प्रसादम की क्वालिटी चेक के लिए एक स्पेशल कमेटी बनाई।

इसमें नेशनल डेयरी रिसर्च सेंटर, विजयवाड़ा के पूर्व चीफ साइंटिस्ट डॉ. बी. सुरेंद्रनाथ, भास्कर रेड्डी (डेयरी विशेषज्ञ), प्रो. बी. महादेवन (IIM-बैंगलोर) और तेलंगाना वेटरनरी यूनवर्सिटी की डॉ. जी. स्वर्णलता शामिल थीं। कमेटी ने लड्डू के ओरिजनल टेस्ट को वापस लाने के लिए कई सुझाव दिए गए।

एक सुझाव ये भी था कि लड्डू के स्वाद में घी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसकी भी जांच कराई जानी चाहिए। इसके बाद 9 जुलाई को घी के सैंपल को गुजरात के आणंद स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की लैब में भेजा गया।

सवाल-4: तिरुपति बालाजी के लड्डू में जानवरों की चर्बी, मछली का तेल होने की बात कहां से आई?

जवाब: दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF​)​​​​​​ की लैब की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई कि लड्डू में जानवरों की चर्बी, मछली का तेल है। ये रिपोर्ट 12 जुलाई को TTD और राज्य सरकार को मिल चुकी थी, लेकिन इसका खुलासा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने किया है।

18 सितंबर को आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा, ‘जगन सरकार में तिरुपति लड्डू प्रसादम को तैयार करने के लिए शुद्ध घी की जगह जानवरों की चर्बी वाला घी इस्तेमाल किया जाता था। कोई ये सोच भी नहीं सकता कि प्रसादम को इस तरह अपवित्र किया जाएगा। पिछले पांच सालों में YSR कांग्रेस पार्टी ने तिरुमला की पवित्रता को अपवित्र कर दिया है।’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जो रिपोर्ट पेश की जा रही है, उसमें कई चीजों का जिक्र है। इसमें सोयाबीन, सूरजमुखी, कपास का बीज, नारियल जैसी चीजें लिखी हैं। लेकिन आपत्ति फिश ऑयल, बीफ टैलो और लार्ड जैसी सामग्री पर जताई जा रही है।

लार्ड यानी किसी चर्बी को पिघलाने पर निकलने वाला सफेद सा पदार्थ। फिश ऑयल यानी मछली का तेल और बीफ टैलो यानी बीफ की चर्बी को गर्म करके निकाले जाने वाला तेल।

गुजरात के आणंद स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की लैब में घी को जांच के लिए भेजा गया था, जिसमें जानवरों की चर्बी होने की बात कही गई है। (फाइल फोटो)

गुजरात के आणंद स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की लैब में घी को जांच के लिए भेजा गया था, जिसमें जानवरों की चर्बी होने की बात कही गई है। (फाइल फोटो)

सवाल-5: क्या ये रिपोर्ट 100% सही मानी जा सकती है?

जवाब: जी नहीं, रिपोर्ट में जो परिणाम दिए गए हैं वो कंडीशन बदलने पर बदल सकते हैं। पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) रिपोर्ट के साथ एक एनॉलिटिकल चेतावनी भी जारी की गई है। कथित दूषित घी सप्लाई करने वाली संस्था ए.आर. डेयरी फूड्स ने भी अपने बयान में इसका जिक्र किया है। एनॉलिटिकल चेतावनी में CALF ने लिखा है,

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हमने जो रिपोर्ट दी है वह दूसरी कंडीशन में गलत भी हो सकती है। ये आमतौर पर हर टेस्टिंग लैब लिखती हैं ताकि आगे विवाद हो तो इस तरह की चेतावनी का हवाला देकर बचा जा सके।

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सवाल-6: 15 साल से ‘नंदिनी’ घी से तिरुपति के लड्डू बन रहे थे तो उसे क्यों हटाया गया?

जवाब: मंदिर का प्रबंधन करने वाला तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बोर्ड हर 6 महीने में घी की आपूर्ति के लिए निविदाएं आमंत्रित करता है। TTD हर साल 5 लाख किलोग्राम घी खरीदता है। पिछले 15 साल से तिरुपति को कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) का नंदिनी ब्रांड वाला गाय का घी सप्लाई होता था।

जब जगन मोहन रेड्डी की सरकार थी तो मंदिर ने महंगी कीमतों का हवाला देते हुए नंदिनी से घी लेना बंद कर दिया। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन का तर्क था कि दूध के दाम बढ़ रहे हैं। इस कारण हम 478 रुपए प्रति किलो दाम पर घी नहीं दे पाएंगे।

इससे पहले तक KMF लड्डू के लिए TTD को 392 रुपए प्रति किलो की दर से घी की सप्लाई कर रहा था। लेकिन लागत बढ़ने के कारण घी का दाम बढ़कर 478 रुपए प्रति किलो हो गया था।

इसके बाद तमिलनाडु की ए.आर. डेयरी फूड्स ने सबसे कम 320 रुपए प्रति किलो की दर से घी सप्लाई करने का टेंडर भरा और उसे सप्लाई का ठेका दे दिया गया। इसके साथ ही TTD और KMF का 15 साल पुराना साथ छूट गया। KMF के अध्यक्ष के. भीमा नाइक ने कहा,

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लड्डू अब पहले जैसे नहीं रहेंगे। नंदिनी बाजार में सबसे अच्छा घी उपलब्ध कराती है और सभी गुणवत्ता जांचों से गुजरती है। अगर कोई ब्रांड नंदिनी से कम कीमत पर घी उपलब्ध करा रहा है, तो मुझे लगता है कि गुणवत्ता से समझौता किया जाएगा।’

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हालांकि, जुलाई 2024 में आंध्र प्रदेश की सरकार बदली। सीएम चंद्रबाबू नायडू ने लड्डू की गुणवत्ता सुधारने का निर्देश दिया। इसके बाद अगस्त से KMF ने TTD को नंदिनी घी फिर से सप्लाई करना शुरू कर दिया है।

सवाल-7: तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में फिश ऑयल और चर्बी कैसे पहुंचे?

जवाब: लैब की रिपोर्ट के मुताबिक, ए.आर. डेयरी फूड्स के घी में जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल पाया गया है। जानकारों का कहना है कि जानवरों के खाने से इसका कोई लेना-देना नहीं है। ये मिलावट का मामला है। अगर घी में चर्बी है तो चर्बी मिलाई गई होगी। फिश ऑयल है तो वो मिलाया गया है। इसी मिलावट वाले घी से लड्डू बनाए गए हैं।

सवाल 8: क्या तिरुपति के सभी तीन प्रकार लड्डू में जानवरों की चर्बी पाई गई है? जवाब: तिरुपति में भगवान को तीन प्रकार के लड्डू अर्पित किए जाते हैं। चूंकि सभी प्रकार के लड्डुओं को बनाने में दूषित घी का उपयोग किया गया है। इस कारण से वे सभी प्रभावित हुए हैं।

भगवान को तीन प्रकार के लड्डू अर्पित किए जाते हैं।

  1. प्रोक्तम लड्डू – ये लड्डू साइज में छोटा होता है। इसे दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को मुफ्त में दिया जाता है। एक लड्डू करीब 40 ग्राम का होता है।
  2. अस्थानम लड्डू – इसे विशेष त्योहार या पर्व पर बनाया जाता है। यह प्रोक्तम लड्डू से थोड़ा बड़ा होता है। इसका वजन 175 ग्राम और कीमत 50 रुपए होती है। इसमें केसर, काजू और बादाम का ज्यादा इस्तेमाल होता है।
  3. कल्याणोत्सवम लड्डू – इस लड्डू की सबसे ज्यादा मांग है। जो भक्त अर्जिता सेवा और कल्याणोत्सवम में भाग लेते हैं, उन्हें ये दिया जाता है। इसका वजन 750 ग्राम और कीमत 200 रुपए होती है।

सवाल-9: क्या इस रिपोर्ट को किसी दूसरे सरकारी संस्था में चुनौती दी जा सकती है?

जवाब: जी हां, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की इस रिपोर्ट को कहीं भी चुनौती दी जाती है। इसके लिए बस सरकारी मान्यता प्राप्त लैब होना चाहिए। उस लैब में वो सारी सुविधाएं होना चाहिए जो इस तरह के टेस्ट को करने के लिए जरूरी हैं। जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने नायडू की टिप्पणी पर विरोध जताया है और इन आरोपों को खारिज किया है।

यह कल्याणोत्सवम लड्डू है। यह विशेष मौकों पर बनाया जाता है।

यह कल्याणोत्सवम लड्डू है। यह विशेष मौकों पर बनाया जाता है।

सवाल-10: लड्डू कंट्रोवर्सी पर अलग-अलग पार्टियों ने क्या कहा है?

जवाबः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से बात की है। उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे कहा है कि वो मुझे जो भी उपलब्ध जानकारी है उसकी रिपोर्ट भेज दें। मैं स्टेट रेगुलेटरों से भी बात करुंगा। जिस सोर्स से रिपोर्ट आई है उनसे भी बात करूंगा। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक उचित कार्रवाई की जाएगी।’

आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शर्मिला रेड्डी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर इस सारे मामले की जांच CBI से करवाने की मांग की है।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘चंद्रबाबू नायडू को राजनीति के लिए भगवान का इस्तेमाल करने की आदत है। वे ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने राजनीतिक लाभ के लिए ईश्वर का इस्तेमाल करते हैं। घी में मिलावट के आरोप चंद्रबाबू के 100 दिनों की सरकार के कामों से ध्यान हटाने के लिए लगाए गए हैं।’

YSR कांग्रेस के नेता और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के चेयरमैन रहे वाई. वी. सुब्बारेड्डी ने लिखा, ‘नायडू ने तिरुमला मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाकर और करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर पाप किया है। कोई भी व्यक्ति ऐसे आरोप नहीं लगा सकता। तिरुमला प्रसाद के मामले में, मैं और मेरा परिवार ईश्वर की कसम खाने के लिए तैयार हैं। क्या चंद्रबाबू नायडू अपने परिवार के साथ कसम खाकर ये बात कहेंगे?’



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