घाटीगांव के जंगलों में तस्करों ने कुल्हाड़ी ही नहीं आरी से भी काटे 1660 पेड़, कागजों में सिर्फ 887 ही दिखाए
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घाटीगांव के जंगलों में तस्करों ने खैर के पेड़ों पर कुल्हाड़ी ही नहीं, आरी चलाकर कत्लेआम मचाया है। वन विभाग के अफसरों की अनदेखी के कारण घाटीगांव की 3 रेजों में 1660 से अधिक हरे पेड़ों को काट डाला। अफसरों ने दिखावे की कार्रवाई करते हुए सिर्फ 887 पेड़ों की पहचान कर नंबरिंग कर दी।
जबकि 773 से ज्यादा पेड़ों के ठूंठ उत्तर रेंज, दक्षिण रेंज और गेम रेंज के जंगलों में पेड़ों के कटने की गवाही दे रहे हैं। जंगल से 3 से 5 हजार रुपए क्विंटल लकड़ी ले जाने वाले तस्कर इन्हें दूसरे राज्यों में 10 हजार रु. क्विंटल तक बेचते हैं।
दैनिक भास्कर की टीम पेड़ों की कटाई की सच्चाई जानने तिलावली, महुआखेड़ा, बसौटा, जखौदी आदि के जंगलों में पहुंची। जहां पर खैर के पेड़ ठूंठ के रूप में दिखाई दे रहे थे।
घाटीगांव के जंगलों में तस्करों ने कुल्हाड़ी ही नहीं आरी से भी काटे 1660 पेड़, कागजों में सिर्फ 887 ही दिखाए… पेड़ों के ठूंठ पर कुछ पर हरा रंग और नंबर दिखा। अधिकांश पेड़ों के ठूंठ बिना नंबर वाले जंगल में बिछे नजर आए। झाला और हुन्नपुरा के जंगलों में भी पेड़ों की कटाई की खबर है। अंतरराज्यीय तस्करों ने सड़क के अंदर जंगल में चार से पांच किलोमीटर अंदर जाकर कटाई की है। खैर की तस्करी का कारोबार मप्र के अलावा राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उप्र में फैला है।
वन विभाग से जुड़े एक्सपर्ट कहते हैं कि जंगल का इतने बड़े स्तर पर कटना कहीं न कहीं वन मंडल में पदस्थ अधिकारियों की अनदेखी की तरफ ईशारा कर रहा है। क्योंकि ज्यादा पेड़ों की गणना होती तो वन रक्षक ही नहीं डिप्टी रेंजर से एसडीओ तक के अफसरों पर गाज गिरेगी।
भोपाल से एसआईटी भी कर रही है जांच स्थानीय स्तर पर एसआईटी ने खैर कटाई की जांच पूरी कर ली है। कटे पेड़ों की गिनती भी पूरी हो चुकी है। आरी और कुल्हाड़ी से कटे पेड़ों को लेकर प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं। हालांकि कुल्हाड़ी वाले कटे पेड़ पहले के हैं। ये पेड़ जहां कटे हैं वह गेमरेंज का एरिया है। हमारे पास पेड़ों की कटाई को लेकर अलर्ट छह महीने पहले था। लेकिन गेमरेंज का स्टाफ की लापरवाही सामने आई है। इस मामले में भोपाल एसआईटी भी जांच कर रही है। -अंकित पांडेय, डीएफओ ग्वालियर
खैर कटाई का पता है, हम चेक कराएंगे
पेड़ों की कटाई की जानकारी है, इसकी जांच को सीएफ और डीएफओ हैं। यदि खैर कटाई की और जानकारी आएगी, तो हम चेक कराएंगे। -मनोज कुमार अग्रवाल, पीसीसीएफ (संरक्षण) भोपाल
एक्सपर्ट – अजय तिवारी, सेवानिवृत्त सहायक वन संरक्षक
आरोपियों को रिमांड पर न लेना संदेहास्पद अफसरों को आरोपियों को रिमांड पर जरूर लेना चाहिए था। इससे तस्करों के गिरोह के पर्दापाश में आसानी होती। उनसे मिले मोबाइल को सर्विलांस जांच कराई जाना चाहिए। ऐसा नहीं करना, जांच करने वाले अफसरों पर संदेह पैदा कर सकता है। जंगल में पेड़ काटने की जांच भोपाल में बैठे अफसरों से कराना चाहिए। ऐसा करने से वन रक्षक ही नहीं बड़े अफसर की लापरवाही भी सामने आएगी।