चंडीगढ़ पीजीआई में अन्य राज्यों से बड़े दूर से लोग आते हैं। उन्हें राहत मिलेगी जहां जल्द न्यूरो और मदर-चाइल्ड बिल्डिंग बनने जा रही है। अगले कुछ महीनों में कई अहम काम पूरे होने जा रहे हैं। यह कहा है पीजीआई के डायरेक्टर प्रो. विवेक लाल ने प्रेसवार्ता म
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उन्होंने कहा, संस्थान में अब 300 पूर्व फौजी गार्ड की जिम्मेदारी निभाएंगे। इन्हें भीड़-भाड़ वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा ताकि मरीजों की सुरक्षा और व्यवस्था बनी रहे। यह कदम ऋषिकेश पीजीआई से प्रेरणा लेकर उठाया गया है। पीजीआई में नवंबर महीने तक एक नई मल्टीलेवल पार्किंग भी शुरू की जाएगी, जिसमें एक साथ 800 गाड़ियां खड़ी हो सकेंगी। इससे मरीजों और उनके परिजनों को पार्किंग की परेशानी से राहत मिलेगी।
पीजीआई में कंप्यूटर सिस्टम से होगा इलाज
प्रो. लाल ने कहा कि पीजीआई का पूरा सिस्टम जल्द कंप्यूटर पर आधारित हो जाएगा। इससे मरीजों का इलाज और रजिस्ट्रेशन पहले से तेज और आसान होगा। उन्होंने यह भी बताया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत कई बड़े ऑपरेशन मुफ्त किए जा चुके हैं।
भारत-पाक युद्ध के दौरान पीजीआई के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ने सीमावर्ती इलाकों में जाकर बिना डरे इलाज किया, जिससे कई लोगों की जान बची। दिल्ली से आए अधिकारियों ने भी पीजीआई के स्टाफ की तारीफ करते हुए कहा कि “सर झुकता है यहां के काम को देखकर।”
“सारथी” प्रोजेक्ट से मरीजों को मिल रही मदद
पीजीआई में सारथी नाम का प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसके तहत कॉलेज के छात्र मरीजों की ओपीडी में मदद करते हैं। अभी संस्थान में 1000 सारथी काम कर रहे हैं और एक सारथी औसतन 10 मरीजों की सहायता करता है। यह प्रोजेक्ट देश के दूसरे हिस्सों में भी अपनाया जा रहा है।
संगरूर में पीजीआई सेंटर में अब कैंसर, गायनी और नी रिप्लेसमेंट जैसे ऑपरेशन शुरू हो चुके हैं। जिन मरीजों को चंडीगढ़ में लंबी तारीख मिलती है, वे वहां जाकर जल्दी इलाज करवा सकते हैं।
प्रो. लाल ने बताया कि आसपास के राज्यों के अस्पतालों में इलाज की सुविधा होते हुए भी मरीज खुद पीजीआई रेफर करवा लेते हैं। उन्होंने कहा कि रेफर करने वाले अस्पताल मरीज का पूरा विवरण लिखकर भेजें, ताकि सही तरीके से जरूरतमंद मरीजों का इलाज हो सके।
न्यूरोसाइंस बिल्डिंग में दो महीने में ओपीडी शुरू करने की तैयारी है। हालांकि कुछ मशीनों की मंजूरी केंद्र से आनी बाकी है, लेकिन बाकी काम तेजी से पूरे किए जा रहे हैं।