Wednesday, June 18, 2025
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अहमदाबाद समेत कई एयरपोर्ट सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं: कई जगह बफर जोन नहीं बने; इन्फ्रास्ट्रक्चर सेफ्टी को लेकर गंभीरता नहीं


नई दिल्ली1 घंटे पहलेलेखक: एम. रियाज हाशमी

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ऑब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस (OLS) के मुताबिक रनवे के आसपास स्थायी निर्माण या रिहायशी इमारत नहीं होनी चाहिए।

अहमदाबाद की तरह कई एयरपोर्ट बुनियादी सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के नियम, एयरपोर्ट अथॉरिटी इंडिया (AAI) की मांगें और 2019 की इंस्पेक्शन रिपोर्ट सब मौजूद है, फिर भी हादसा हुआ।

ऑब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस (OLS) के मुताबिक रनवे के आसपास स्थायी निर्माण या रिहायशी इमारत नहीं होनी चाहिए, लेकिन अहमदाबाद एयरपोर्ट इन मानकों पर खरा नहीं उतरता है। इससे साफ है कि विमान हादसा तकनीकी ही नहीं, संस्थागत और प्रशासनिक स्तर की भी विफलता थी।

AAI ने 2018 में अहमदाबाद एयरपोर्ट पर बफर जोन के लिए गुजरात सरकार से 29.79 एकड़ जमीन मांगी थी। इसकी मंजूरी भी गई, लेकिन जमीन मिलने की प्रक्रिया अभी जारी है। वजह ये है कि यहां 350 परिवारों का बसेरा है। इन्हें हटाना राजनीतिक रूप से संवेदनशील है।

देश में उड़ानों और यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, पर रनवे सेफ्टी, बफर जोन और OLS जैसे बुनियादी बिंदुओं पर गंभीर चूक बनी हुई हैं।

कई एयरपोर्ट बुनियादी मानदंडों पर खरे नहीं उतरते

देश के कई एयरपोर्ट RESA, OLS या जमीन अधिग्रहण जैसे बुनियादी मापदंडों पर खरे नहीं उतरते।

देश के कई एयरपोर्ट RESA, OLS या जमीन अधिग्रहण जैसे बुनियादी मापदंडों पर खरे नहीं उतरते।

DGCA की एअरोड्रोम इंस्पेक्टर हैंडबुक और सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (CAR) के अनुसार, हर रनवे के सिरों पर 90 से 240 मीटर तक का रनवे एंड सेफ्टी एरिया (RESA) होना जरूरी है।

DGCA की सालाना इंस्पेक्शन रिपोर्ट्स और एयरपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का अध्ययन बताता है कि देश के कई एयरपोर्ट RESA, OLS या जमीन अधिग्रहण जैसे बुनियादी मापदंडों पर खरे नहीं उतरते।

त्रिवेंद्रम, कोयंबटूर, मैसूर और मंगलुरु जैसे शहरों में भी रनवे विस्तार या सुरक्षा जोन के लिए मांगी गई जमीन पूरी नहीं दी गई है। इसी तरह ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में रनवे विस्तार का प्रस्ताव सालों से अटका है।

शिमला का रनवे सिर्फ 1189 मीटर लंबा

हिसार (हरियाणा) में उड़ानें शुरू हो चुकी हैं, लेकिन टैक्सीवे और रनवे के पास OLS से जुड़ी परेशानियां बनी हुई हैं। कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में टर्मिनल के साथ-साथ अप्रोच पाथ और रनवे सुधार अधूरा है।

शिमला (हिमाचल) का रनवे सिर्फ 1189 मीटर लंबा है। पहाड़ी ढलानों की वजह से न RESA संभव है, न रनवे विस्तार। वहीं जैसलमेर (राजस्थान) में रनवे का सैन्य-साझा उपयोग होता है। यहां रनवे विस्तार की कोई स्पष्ट योजना नहीं है।

महाराष्ट्र में पुणे के पास प्रस्तावित पुरंदर एयरपोर्ट किसानों के विरोध के चलते 2016 से अटका है। पटना एयरपोर्ट रनवे चारों ओर से घनी आबादी, रेलवे लाइन और चिड़ियाघर से घिरा है। यहां न RESA बनाया जा सकता है और न रनवे बढ़ाया जा सकता है।

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फ्लाइट्स से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…

12-17 जून के बीच एअर इंडिया की 66 फ्लाइट रद्द, इनमें बोइंग उड़ानें भी शामिल

DGCA ने 17 जून को कहा कि 12 से 17 जून के बीच एअर इंडिया ने बोइंग 787 की फ्लाइट्स को मिलाकर 66 उड़ानें रद्द कीं। DCGA ने कहा- 12 जून की घटना के बाद एअर इंडिया के बोइंग 787 सीरीज ड्रीमलाइनर की जांच की गई, जिसमें सुरक्षा को लेकर कोई बड़ी बात सामने नहीं आई। पूरी खबर पढ़ें…

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