राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत सेवा दे रहे 900 से अधिक असिस्टेंट प्रोफेसर का प्रमोशन नियमों के जाल में उलझ कर रह गया है। 17 साल पहले नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर को जिस नियम (यूजीसी रेगुलेशन-2010) से प्रमोशन दिया जाना था, उसे बनने में एक द
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प्रमोशन नियम बनने के बाद असिस्टेंट प्रोफेसरों को प्रमोशन देने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके तहत रांची यूनिवर्सिटी, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी समेत राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा शिक्षकों के प्रमोशन प्रस्ताव को विषय विशेषज्ञों से स्क्रिनिंग कराकर झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को आगे की कार्यवाही के भेजा गया।
जेपीएससी में लगभग दो साल प्रमोशन प्रस्ताव लंबित रहा। राजभवन की पहल पर जेपीएससी के नए अध्यक्ष के योगदान देने के बाद एक बार फिर प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू की गई। 2 माह पहले राजभवन ने विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रतिनियुक्ति किया।
एक्सपर्ट ने नियम का हवाला देकर कहा है कि जिस समय का प्रमोशन दिया जा रहा है, उसका एकेडमिक रिकार्ड यानि एकेडमिक परफॉमरेंस इंडिकेटर (एपीआई) तीन कैटेगरी में जमा करने को कहा गया है।
यूजीसी के अनुसार… कैटेगरी-1 की नहीं की जानी है गणना
इस बीच यूजीसी ने रेगुलेशन जारी कर दिया है। जिसमें कहा है कि यूजीसी रेगुलेशन 2010 की लंबित प्रोन्नतियों में कैटेगरी-1 के तहत एपीआई की गणना नहीं की जानी है। इस बारे में राज्य सरकार ने भी नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसमें असिस्टेंट प्रोफेसर को प्रमोशन के लिए कैटेगरी-1 की गणना से छूट दे दी गई है। वहीं कैटेगरी-2 और कैटेगरी-3 की एक साथ गणना की जानी है।
प्रमोशन नहीं मिलने का क्या पड़ रहा असर…
विवि शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिलने के कारण यूनिवर्सिटी का प्रशासनिक ढांचा ध्वस्त हो गया है। एकेडमिक कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक पद के लिए योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं। अधिकांश विषयों में एक्टिंग एचओडी के माध्यम एकेडमिक कार्य संचालित किए जा रहे हैं। कुलपति पद के लिए राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में मात्र एक या दो शिक्षकों के पास ही तय अर्हता है।
तीन कैटेगरी के एपीआई में क्या चाहिए
कैटेगरी – 1 : इसके तहत असिस्टेंट प्रोफेसर को शिक्षण यानि अध्यापन से संबंधित रिकार्ड जमा करना होगा। इसके अलावा परीक्षा ड्यूटी और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से संबंधित डॉक्यूमेंट देना होगा।
कैटेगरी- 2 : इसके तहत असिस्टेंट प्रोफेसर को विश्वविद्यालय या कॉलेजों की विभिन्न एक्टिविटी के प्रमाण पत्र देना होगा। इसमें एनएसएस, एनसीसी समेत अन्य एक्टिविटी शामिल हैं। इसके अलावा सह पाठ्यक्रम या प्रसार गतिविधि भी शामिल है।
कैटेगरी- 3 : असिस्टेंट प्रोफेसर के पास ओरिएंटेशन कोर्स, रिफ्रेशर कोर्स करने का प्रमाण पत्र होना चाहिए। इसके अलावा रिसर्च करने, प्रकाशित रिसर्च पेपर, पुस्तक लेखन, सेमिनार, सिंपोजियन, पीएचडी का निर्देशन करने समेत अन्य एक्टिविटी शामिल हैं।
13 साल पहले का एपीआई एकत्र करना चुनौती… कई विवि शिक्षकों ने बातचीत के क्रम में कहा कि 2008 में हमारी नियुक्ति 6000 रुपए ग्रेड पे पर हुई थी। वर्ष 20112 से पहले 7000 रुपए ग्रेड पे में प्रमोशन मिल जाना चाहिए था। अब प्रमोशन के लिए 13 साल पहले की एकेडमिक एक्टिविटी का रिकार्ड एकत्रित करना आसान नहीं है। राज्य भर में लगभग 900 शिक्षकों का प्रमोशन लंबित है। इसमें 700 शिक्षक 2008 बैच के जेपीएससी से नियुक्त हैं। वहीं लगभग 200 शिक्षक विभिन्न अल्पसंख्यक कॉलेजों के हैं।