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19 जून को आषाढ़ माह की अष्टमी तिथि और भगवान विष्णु का दिन, 7 शुभ योग में करें पूजा, जानें महत्व, पूजा विधि और लाल किताब के उपाय


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गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति ग्रह को समर्पित है. गुरुवार के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट से मुक्ति मिलती है और कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है. साथ ही भाग्य का भी पूरा साथ मिलता है, जिससे हर इच्छा पूरी होती है. आषाढ़ माह की अष्टमी तिथि के दिन पूजा, व्रत और उपाय विशेष रूप से फलदायी माने जाते हैं.

19 जून को आषाढ़ माह का आठवां दिन है और यह गुरुवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन मिथुन राशि में सूर्य, गुरु और बुध ग्रह विराजमान रहेंगे. पंचांग के अनुसार, 19 जून को इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर के 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. साथ ही गुरुवार के दिन राहुकाल का समय दोपहर के 02 बजकर 07 मिनट से 03 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. विवाह में विलंब या गुरु-दोष होने पर गुरुवार का व्रत तथा पूजन अत्यंत फलदायी माना गया है. साथ ही इस दिन विष्णु सहस्रनाम का जप करना बेहद फलदायी माना गया है. आइए जानते हैं आषाढ़ माह की अष्टमी तिथि पर किए जाने वाले खास उपाय के बारे में…

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अष्टमी तिथि पर गुरुवार को पड़ रही है और यह दिवस भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है. इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है. अग्नि पुराण के अनुसार, देवगुरु बृहस्पति ने काशी में शिवलिंग की स्थापना और तपस्या का उल्लेख किया है, जिससे गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है.

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आषाढ़ माह की अष्टमी तिथि को कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. इस दिन बेहद कल्याणकारी सौभाग्य योग, शोभन योग बन रहा है. साथ ही इस दिन सभी कार्य सिद्ध करने वाले सर्वार्थ सिद्धि नामक शुभ योग भी बन रहा है. इस दिन मिथुन राशि में सूर्य, गुरु और बुध ग्रह विराजमान रहेंगे, जिससे त्रिग्रही योग, बुधादित्य योग और गुरु आदित्य नामक भाग्यशाली योग बन रहा है. साथ ही हमेशा शुभ फल देने वाला भद्र राजयोग भी इस दिन बन रहा है.

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अग्नि पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार गुरुवार के दिन व्रत रखने से धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति होती है. इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर सकते हैं. व्रत 16 गुरुवार तक करना चाहिए. व्रत रखने के लिए इस दिन पीले वस्त्र धारण करने, पीले फल और पीले फूलों का दान करने से भी लाभ होता है. इसके अलावा इस दिन विद्या की पूजा करने से भी ज्ञान में वृद्धि होती है. गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न और धन का दान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है.

नेगेटिविटी खत्म करने के लिए घर की उत्तर पूर्व दिशा की नियमित साफ-सफाई करें. ग्रह गुरु यानी बृहस्पति देव साइकोलॉजी के शासक होते हैं. वे मन, सोच-विचार आदि को कंट्रोल करते हैं. तनाव और डिप्रेशन से दूर रहने के लिए इस जगह को साफ रखना ज़रूरी है. साथ ही बृहस्पति देव की पूजा करें.  (Image- Canva)

मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है. इसलिए गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है. इस दिन व्रत करने के लिए आप सुबह उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें. फिर केले के वृक्ष की जड़ में चने की दाल, गुड़ और मुनक्का चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करें. दीपक जलाकर सुबह शाम आरती करें. विष्णु सहस्रनाम का जप व गुरुवार की कथा भी सुनें. दिन में एक समय भोजन करें, जिसमें पीले रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन करें. साथ ही सुबह और शाम को घी के दीपक से तुलसी माता की पूजा करें और तुलसी रखकर ही भगवान विष्णु को भोग लगाएं.

गुरुवार के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद केसर मिश्रित दूध से भगवान विष्णु का अभिषेक करें. इस उपाय को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. उनकी कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं.  (Image- Canva)

गुरुवार के लाल किताब उपाय
– लाल किताब के अनुसार, गुरुवार के दिन चने की दाल, पीली मिठाई, पीला कपड़ा, केले या हल्दी का दान करना अत्यंत शुभफलदायक होता है.
– गुरुवार के दिन बिना नमक का भोजन करें, पीले वस्त्र पहनें और केले के वृक्ष की पूजा करें.
– विद्वान, गुरु, ब्राह्मण या पुरोहित को भोजन कराने से देवताओं के गुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं. साथ ही कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है.
– गुरुवार के दिन सुबह और शाम ॐ बृं बृहस्पतये नमः मंत्र का तुलसी की माला से 108 बार जप करें.
– गुरुवार को केसर का तिलक करें, यह बृहस्पति को बल प्रदान करता है और भाग्य का भी साथ मिलता है.

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