सिद्धिविनायक गोशाला का निरीक्षण करते हुए एसडीएम कुलवंत सिंह पोटन।
कांगड़ा में देहरा की सिद्धिविनायक गोशाला में एसडीएम कुलवंत सिंह पोटन ने बुधवार को औचक निरीक्षण किया। तहसीलदार कर्मचंद और पशु पालन विभाग की टीम भी साथ रही। टीम में डॉ पूजा, डॉ विशालजीत और फार्मासिस्ट मस्तान शामिल थे।
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अधिकारियों ने गोशाला में 183 से अधिक गोवंश की देखभाल का जायजा लिया। चारा, दवाई, टैगिंग और स्वच्छता व्यवस्था की जांच की गई। एसडीएम ने बताया कि यह एक नियमित निरीक्षण था। उन्होंने कहा कि पशुओं की वास्तविक संख्या की पुष्टि की गई है। वेटनरी विभाग से रिकॉर्ड मिलान के लिए डाटा मंगवाया गया है।
सरकारी अनुदान में देरी से आर्थिक संकट
गोशाला के मुख्य संचालक सुनील शर्मा ने एसडीएम के सहयोगात्मक रवैये की सराहना की। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की उपस्थिति से संस्था को नई ऊर्जा मिली है। सिद्धिविनायक वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संचालित यह गोशाला सरकारी अनुदान में देरी से आर्थिक संकट का सामना कर रही है।
संस्था ने तहसीलदार कर्मचंद के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी है। आरोप है कि पिछले तीन सप्ताह से सहायता राशि की फाइलें लंबित हैं।
एसडीएम को समस्या बताते हुए गोशाला के मुख्य संचालक और अन्य।
प्रतिमाह करीब 5.5 लाख रुपए का खर्च
गोशाला की सचिव कंचन शर्मा ने बताया कि प्रतिदिन 180 से 200 गायों की सेवा की जाती है, जिन पर प्रतिमाह करीब 5.5 लाख रुपए का खर्च आता है। सरकार की ओर से प्रति गाय ₹700 की दर से जो 20 तक का अनुदान मिलता है, उसमें भी टालमटोल की जा रही है। संस्था शेष राशि डोनेशन, जैविक खाद बिक्री और स्वयंसेवकों की मदद से जुटा रही है।
समय पर सहायता देने की अपील एसडीएम ने आश्वासन दिया है कि यदि अनुदान प्रक्रिया में कहीं कोई देरी या अड़चन है तो उसे दूर कर जल्द सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। स्थानीय ग्रामीणों और गोसेवकों रिटायर्ड प्रिंसिपल सरदारी लाल, ईश्वर राणा एक्स सर्विसमैन, पंडित पंकज कुमार ने प्रशासन से आग्रह किया है कि ऐसी पवित्र संस्थाओं को समय पर सहायता दी जाए।
उन्हें अनावश्यक प्रशासनिक उलझनों से न गुजरना पड़े। संस्था अब इस मुद्दे को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और विधायक कमलेश ठाकुर के समक्ष भी उठाने जा रही है, ताकि भविष्य में गोशालाओं के साथ भेदभाव या उपेक्षा न हो।