रिसर्च PRSU के प्रोफेसर डॉ. राजीव चौधरी ने की है।
छत्तीसगढ़ के 400 युवाओं पर लैंगिक दृष्टिकोण से सतत विकास पर सहज योग ध्यान के प्रभाव पर रिसर्च किया गया है। जिसमें सामने आया है कि नियमित सहज योग ध्यान करने वाले सस्टेनेबल डेवलेपमेंट में 13 अंक ज्यादा पाए हैं। ये रिसर्च पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय,
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इसके लिए चौधरी को डॉक्टर ऑफ लेटर्स (D.Litt.) की उपाधि मिली है। डॉ. चौधरी ने बताया कि उनकी रिसर्च में सहज योग ध्यान का अभ्यास करने से व्यक्ति में स्वतंत्रता, समानता, एकता, सहिष्णुता, प्रकृति के प्रति सम्मान और साझा उत्तरदायित्व जैसे मूल्यों पर होने वाले प्रभाव के बारे में बताया है

चौधरी को डॉक्टर ऑफ लेटर्स (D.Litt.) की उपाधि मिली है।
दो कैटेगरी में तीन मेथडोलॉजी का उपयोग कर की गई है रिसर्च
इस रिसर्च के लिए डॉ. चौधरी ने छत्तीसगढ़ के 400 युवाओं को दो हिस्से में किया है। पहले में ध्यान करने और न करने वाले उन यंगस्टर को रखा। दूसरा कैटेगरी जेंडर वाइज यानी मेल-फिमेल पर आधारित था। रिसर्च में तीन तरह की मेथडोलॉजी उपयोग की गई है।

1. 2×2 फैक्टोरियल डिजाइन। इसमें दो फैक्टर्स और उनके इम्पैक्ट की जांच एक साथ की जाती है। मान लीजिए आपको पता करना है कि खाना पकाने का तरीका और मसालों का लेवल खाने के स्वाद को कैसे प्रभावित करते हैं। तो आपने ही मामलों के दो तरीकों को अपनाया।
- पहले फैक्टर में दो तरह के कुकिंग मेथड शामिल किए। तलना और उबालना।
- दूसरे फैक्टर में भी इसी तरह मसाले के दो कंडीशन शामिल किए। हल्का और तीखा।
अब ये मिलकर 4 तरह के कॉम्बिनेशन बनते हैं (2×2 = 4)। तला+हल्का, तला+तीखा, उबला+हल्का, उबला+तीखा
2. एनोवा, एनालिसिस ऑफ वैरिएंस यानी एक साथ तुलना करना। मान लीजिए आपके पास 4 तरह की चाय है और आप जानना चाहते हैं कि कौन सी सबसे ज्यादा स्वादिष्ट है। अगर आप दो–दो करके चखते रहेंगे तो बहुत वक्त लगेगा और नतीजे भी साफ नहीं मिलेंगे। ऐसे में रिसर्चर अनोवा मेथेड अपनाते हैं। ये एक ऐसा गणितीय तरीका है, जिसमें एक साथ सभी ग्रुप्स की तुलना कर सकते हैं।
ये बताता है कि उनमें कोई वास्तव में अंतर है या नहीं। इस मामले में अनोवा बताएगा कि क्या चारों चाय के स्वाद में स्टैटिकली यानी सांख्यिकी रूप से कोई फर्क है या नहीं।
3. इफेक्ट साइज यानी अंतर कितना बड़ा है? मान लीजिए एनोवा कहेगा कि चाय के स्वाद में फर्क है। लेकिन एनोवा स्वाद का अंतर कितना बड़ा है ये एनोवा नहीं बता पाता। ऐसे में इफेक्ट साइज मेथेड का उपयोग किया जाता है। इसका कारण ये है कि छोटा फर्क भी “स्टैटिकली रूप से महत्वपूर्ण” हो सकता है।
लेकिन जरूरी नहीं कि वो व्यावहारिक रूप से मायने रखता हो। इफेक्ट साइज हमें इस फर्क की गहराई या ताकत बताता है।
सभी छह मूल्यों पर योग करने वालों काे ज्यादा अंक
रिसर्च का कन्क्लूजन ये रहा कि स्वतंत्रता, समानता, एकता, सहिष्णुता, प्रकृति के प्रति सम्मान और साझा उत्तरदायित्व इन सतत विकास से जुड़े सभी छह मूल्यों पर नियमित सहज योग ध्यान करने वाले कैंडिडेट ने उच्च अंक प्राप्त किए।
वहीं स्वतंत्रता और सहिष्णुता जैसे क्षेत्रों में जेंडर बेस्ड अंतर तो नजर आए, लेकिन जेंडर और अभ्यास के बीच अंतः क्रिया सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं पाई गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि ध्यान के लाभ लिंग की सीमाओं से परे हैं।
शिक्षा और नीति में शामिल करने की रिकमेंडेशन
डॉ. चौधरी ने अपने रिसर्च में रिकमेंडेशन दी है कि सहज योग ध्यान को शैक्षणिक पाठ्यक्रमों, कार्यस्थल स्वास्थ्य कार्यक्रमों, समुदाय जागरूकता अभियानों और नीति निर्धारण में शामिल किया जाना चाहिए।