कोलकाता4 घंटे पहले
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हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस शिवगनम और जस्टिस बिवास पटनायक की बेंच दुर्गा पूजा आयोजकों को दी जाने वाली राशि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार (23 सितंबर) को ममता सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दुर्गा पूजा पंडालों के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाली 85000 रुपए की रकम मामूली है।
आयोजकों का इससे कई गुना तो खर्च हो जाता होगा। सरकार को कम से कम हर दुर्गा पूजा समिति को 10 लाख रुपए की रकम देने पर विचार करना चाहिए।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस शिवगनम और जस्टिस बिवास पटनायक की बेंच दुर्गा पूजा आयोजकों को दी जाने वाली राशि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता की दलील थी कि पूजा समितियों को मिलने वाली सहायता राशि का कोई हिसाब-किताब नहीं होता। ऐसे में उन्हें ये आर्थिक मदद देनी बंद करनी चाहिए। हालांकि हाईकोर्ट ने इस तरह की कोई भी रोक लगाने का आदेश नहीं दिया।
चीफ जस्टिस बोले- दुर्गा पूजा राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा चीफ जस्टिस टी एस शिवगनम ने कहा कि उन्होंने पिछले दो सालों में कई दुर्गा पूजा पंडालों का दौरा किया। उन्हें लगता है कि आयोजन में जितना खर्च हो जाता है, उसकी तुलना में 85,000 रुपए कुछ भी नहीं हैं। हालांकि पूजा समितियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य की तरफ से राशि बांटनी चाहिए, क्योंकि दुर्गा पूजा राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।
कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पेश हुए एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता से कहा कि राज्य को प्रत्येक आयोजक को 10 लाख रुपए देने पर विचार करना चाहिए।
कोर्ट बोली- सरकार की तरफ से मिलने वाले पैसे कहां खर्च हो रहे, यह देखना होगा अदालत ने आगे कहा कि कमेटियों को पैसा मिलता है तो यह भी देखना होगा कि वे इस धनराशि का कैसे उपयोग करते हैं। दरअसल याचिकाकर्ता की वकील नंदिनी मित्रा ने कहा कि यह चिंताजनक है कि पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से दी जाने वाली सहायता पर विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों द्वारा खर्च का लेखा-जोखा नहीं दिया जा रहा है।
इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि इस मुद्दे पर एक याचिका का निपटारा अक्टूबर 2020 में हाईकोर्ट द्वारा किया गया था, और सरकार की तरफ से अदालत के निर्देशानुसार एक रिपोर्ट भी दायर की गई थी।
दुर्गा पूजा पंडालों में लाइट पर मिलने वाली छूट की याचिका रद्द याचिकाकर्ता की तरफ से पूजा पंडालों के दौरान बिजली शुल्क पर छूट को भी रोकने की मांग की गई थी। हालांकि कोर्ट ने इसे याचिका को रद्द कर दिया। जस्टिस बिवास पटनायक ने कहा कि लाइट पर होने वाले खर्च से छूट देना एक सार्वजनिक उद्देश्य हो सकता है, क्योंकि पंडालों में लाइटिंग व्यवस्था बुनियादी सुविधाओं की जरूरतों को पूरा करता है।
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