UNESCO recognized it in 1966, theme- Literacy in the digital age; A quarter of school children in the country are taking private tuition | वर्ल्‍ड लिटरेसी डे, थीम- डिजिटल युग में साक्षरता: UNESCO ने 1966 में मान्‍यता दी; देश में चौथाई स्‍कूली बच्‍चे पढ़ रहे प्राइवेट ट्यूशन

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1 घंटे पहले

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आज पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की 58वीं वर्षगांठ मना रही है। इस दिन की शुरुआत UNESCO ने 26 अक्टूबर 1966 को एजेंसी के 14वें महासम्मेलन के दौरान की थी। पहली बार साक्षरता दिवस 8 सितंबर 1967 को मनाया गया। तब से हर साल 8 सितंबर को ये दिन मनाया जाता है।

थीम- डिजिटल युग में साक्षरता

इस साल अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम है – डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना।

कागज पर पढ़ने और लिखने से आगे बढ़कर, डिजिटल युग में साक्षरता का मतलब है कि लोग डिजिटल कंटेंट तक सुरक्षित और उपयुक्त तरीके से पहुंच सकें, उसे समझ सकें, तैयार कर सकें, शेयर कर सकें और उससे जुड़ सकें।

हर 4 में से 1 स्‍कूली बच्‍चा ले रहा प्राइवेट कोचिंग

केंद्र सरकार के कॉम्प्रिहेंसिव मॉड्यूलर सर्वे यानी CMS रिपोर्ट के अनुसार, देश के एक-चौथाई स्‍कूली बच्‍चे यानी हर 4 में से 1 बच्‍चा स्‍कूल के अलावा प्राइवेट ट्यूशन ले रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार शहरी इलाकों में 30.7% स्‍टूडेंट्स प्राइवेट कोचिंग ले रहे हैं जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 25.5% है। कुल 27% स्‍कूली स्‍टूडेंट्स प्राइवेट कोचिंग से पढ़ाई कर रहे हैं।

केवल 1.2% स्‍टूडेंट्स छात्रवृत्ति पर कर रहे पढ़ाई

स्कूल शिक्षा पर खर्च करने वाले 95% छात्रों ने बताया कि उनकी पढ़ाई का पहला प्रमुख वित्तीय स्रोत परिवार के सदस्य हैं। यह रुझान ग्रामीण (95.3%) और शहरी (94.4%) दोनों ही क्षेत्रों में समान है। केवल 1.2% छात्रों ने बताया कि सरकार की छात्रवृत्ति उनके लिए पहला प्रमुख वित्तीय स्रोत है।

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