करोड़ों रुपयों से बने शहर के ओवरब्रिज की खस्ता हालत से हजारों वाहन चालक रोज परेशान हो रहे हैं। दरअसल, कहीं गड्ढे हो गए हैं, तो किसी ब्रिज पर सरिया और ज्वाइंट नजर आने लगे हैं। इनसे चालक अक्सर हादसे का शिकार हो रहे हैं।
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वहीं सावरकर सेतु से होशंगाबाद रोड की ओर और एम्स की तरफ से आने वाला ट्रैफिक एम्प्री के पास आपस में मिल रहा है। ऐसे में हादसा होने का खतरा अधिक है। भानपुर, चेतक और बावड़िया कलां ब्रिज पर भी गड्ढे हो गए हैं।
भानपुर ब्रिज
निर्माण : साल 2005 में लंबाई और चौड़ाई : 337 मीटर लंबाई, 13 मीटर चौड़ाई लागत : 7 करोड़ 22 लाख आबादी : करीब 2 लाख की आबादी को फायदा
दिक्कत: इस ब्रिज पर कई फीट चौड़े गड्ढे हो गए हैं। इनमें से लोहे के एंगल तक नजर आने लगे हैं। इन गड्ढों के कारण कई बार दोपहिया वाहन चालक घायल भी हो चुके हैं। भानपुर ब्रिज शहर के अहम ओवरब्रिजों में से एक है, इसके बावजूद भी जिम्मेदार एजेंसी लापरवाही भरा रवैया दिखा रही है।
सावरकर सेतु : पानी भरने से सड़क का डामर उखड़ जाता है
निर्माण : 13 अप्रैल 2016 में तैयार लंबाई और चौड़ाई : 1.55 किलोमीटर लंबाई, 24 मीटर चौड़ाई लागत : 84 करोड़ रुपए आबादी : 4 लाख से अधिक की आबादी को फायदा
दिक्कत: यहां एम्प्री की तरफ जाने वाला और एम्स की ओर से आने वाला ट्रैफिक एम्प्री के पास आपस में मिल रहा है। इससे बड़ा हादसा होने की संभावना है। साथ ही बारिश के मौसम में यहां पानी का ठहराव होता है। जिससे डामर उखड़ जाता है। जिम्मेदार : नगर निगम
बावड़िया कलां ब्रिज
निर्माण : 2020 लंबाई और चौड़ाई : 847 मीटर लंबाई, 12 मीटर चौ̥ड़ाई लागत : 22 करोड़ आबादी : 2 लाख से ज्यादा आबादी को फायदा
दिक्कत: ब्रिज में कई जगहों पर गड्ढे के कारण सरिया भी नजर आने लगे हैं। इससे निर्माण को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। बता दें कि ब्रिज का रेलवे ट्रैक के ऊपर का हिस्सा रेलवे ने बनवाया है, जबकि इसमें एप्रोच रोड डालने का काम पीडब्ल्यूडी ने किया है। जिम्मेदार : रेलवे और पीडब्ल्यूडी
भारत टॉकीज ब्रिज : टूटे फुटपाथ की मरम्मत भी नहीं
कब बना : 1974 लागत : 8 करोड़ रुपए आबादी : 4 लाख से ज्यादा आबादी को फायदा
दिक्कत: ब्रिज का 9 महीने पहले 1 करोड़ 25 लाख खर्च करके नवीनीकरण किया गया है। लेकिन ब्रिज के टूटे फुटपाथ की मरम्मत नहीं की गई है। इससे पैदल राहगीरों को अभी भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, ब्रिज के बीच में बारिश का पानी भी जमा हो रहा है। इसलिए तीन सालों में ब्रिज का डामर उखड़ रहा है। जिम्मेदार : पीडब्ल्यूडी
समाधान – सावरकर सेतु के पास आइलैंड बनाए और सिग्नल लगे, गड्ढे भरे जाएं सावरकर सेतु पर एम्स और होशंगाबाद के ट्रैफिक के आपस में मिलने की दिक्कत को रोकने के लिए एमप्री के पास आइलैंड बनाना चाहिए। साथ ही यहां सिग्नल भी लगाना होगा। इससे दोनों ओर का ट्रैफिक आपस में मिलेगा नहीं। और हादसे को कम किया जा सकेगा। वहीं जिन ब्रिज पर गड्ढे हो गए हैं, वहां पर रिपेयरिंग की जानी चाहिए।
लेकिन, रिपेयरिंग के दौरान ट्रैफिक को रोकना होगा। जब कंक्रीट पूरी तरह से सेट हो जाए तब ही ट्रैफिक खोलना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर रिपेयरिंग का कोई फायदा नहीं होगा। साथ ही रिपेयरिंग करने के बाद पानी से तराई करना भी बेहद जरूरी है। पानी की तराई होने से सीमेंट, गिट्टी और पानी आपस में मिलते हैं। इससे उनकी पकड़ मजबूत होती है। ऐसा करने पर की गई रिपेयरिंग लंबी चलती है। वीके अमर, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी