Saturday, December 28, 2024
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लेह-लद्दाख के बर्फीले पहाड़ पर छत्तीसगढ़ का लाल शहीद: ऊंचाई पर ड्यूटी करने से बिगड़ी तबीयत; करवाचौथ के दिन पत्नी को मिली शहादत की सूचना – Chhattisgarh News


शहीद उमेश साहू की अंतिम यात्रा निकाली गई।

दुर्ग जिले के कोड़िया गांव निवासी भारतीय सेना का जवान उमेश कुमार साहू लेह-लद्दाख के बर्फीले पहाड़ों में पर ड्यूटी के दौरान शहीद हो गया। उसके पार्थिव शरीर को आज दुर्ग लाया गया। पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ गृह गांव में उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा, इ

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उमेश भारतीय सेना के 19 महार रेजिमेंट में लांस हवलदार था। उनकी ड्यूटी लेह-लद्दाख में लगाई गई थी। बर्फीले पहाड़ों पर ड्यूटी करने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टरों ने उनका इलाज किया, लेकिन लगातार शरीर में ऑक्सीजन की कमी के चलते 19 अक्टूबर की देर शाम दम तोड़ दिया। करवा चौथ के दिन उनकी पत्नी को शहादत की सूचना मिली।

उमेश साहू की अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़।

इलाज के दौरान गई जान

उमेश साहू की जहां ड्यूटी लगी थी वो इलाका काफी ऊंचाई वाला क्षेत्र था। वहां ऑक्सीजन की कमी थी। इसी के चलते उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। ड्यूटी पर तैनात साथी जवानों ने तुरंत उन्हें मेडिकल पोस्ट पहुंचाया, वहां इलाज शुरू किया गया, लेकिन जान नहीं बच पाई।

10 साल से देश की सेवा में थे तत्पर

उमेश दस साल पहले आर्मी में भर्ती हुए थे। तब से वो लगातार देश की सेवा में तैनात रहे। गांव के लोगों के मुताबिक उमेश बड़े ही मिलनसार स्वाभाव के थे। जब भी वो छुट्टियों में गांव आते युवा उनसे सेना में जाने की जानकारी लिया करते। वो युवाओं को सेना में भर्ती के लिए फिजिकल तैयारियों की जानकारी देते थे।

पार्थिव देह रखे वाहन के पीछे-पीछे चलते रहे लोग।

पार्थिव देह रखे वाहन के पीछे-पीछे चलते रहे लोग।

करवाचौथ के दिन मिली पति के शहादत की सूचना

उमेश साहू की पत्नी करवाचौथ के दिन पूजा की तैयारी कर रहीं थी लेकिन उससे पहले ही जिला प्रशासन और सेना की तरफ से परिजनों को उनकी शहादत की सूचना दी। इससे परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है।

अंतिम संस्कार से पहले निकली अंतिम यात्रा।

अंतिम संस्कार से पहले निकली अंतिम यात्रा।

मां, बड़े और छोटे भाई को पहले खो चुके थे उमेश

ग्रामीणों ने बताया शहीद उमेश कुमार साहू मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं। कुछ वर्षों में ही वो अपने बड़े भाई, अपनी मां को खोने के बाद बीते जून माह में अपने छोटे भाई को खोया था। भाई के दशगात्र के बाद वो ड्यूटी पर जाने वाले थे, लेकिन घर पर पिता की तबीयत खराब होने से उनको छुट्टी बढ़ानी पड़ी।

उमेश साहू अमर रहे के नारे लगे।

उमेश साहू अमर रहे के नारे लगे।

पिता का इलाज कराने के बाद बीते 30 अगस्त को ही ड्यूटी पर लौटे थे। इस दौरान उनकी ड्यूटी लेह-लद्दाख में लगाई गई। उनकी शहादत के बाद अब उनके पीछे घर पर अस्वस्थ पिता, पत्नी और छोटे बच्चे हैं।



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