Thursday, June 19, 2025
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actress sandeepa dhar on pahalgam attack | 35 सालों में कश्मीर में कुछ नहीं बदला: पहलगाम हमले पर बोलीं संदीपा धर- हम अपने ही राज्य में डर-डरकर जाते हैं, अब बहुत हुआ


2 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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‘कश्मीर हमारा है, फिर भी हम डरकर वहां जाते हैं’….ये शब्द अभिनेत्री संदीपा धर के हैं। संदीपा की फैमिली ने कश्मीरी पंडितों होने का दर्द झेला है। उनके पेरेंट्स को अपनी बनी-बनाई दुनिया छोड़कर आना पड़ा। दूसरे राज्य में आकर जीरो से शुरुआत करनी पड़ी और आज जब वो कश्मीर जाते हैं तो अंदर एक डर रहता है।

पहलगाम हमले के बाद एक्ट्रेस ने दैनिक भास्कर के साथ बात की है। इंटरव्यू में वो अपना दर्द, गुस्सा जाहिर करने के अलावा कई जरूरी सवाल पूछती हैं। पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश…

आप कश्मीर से हैं। आपने और आपकी फैमिली ने पलायन का दर्द झेला है। पहलगाम हमले पर क्या कहना चाहेंगी?

पहलगाम में जो हुआ वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और दिल तोड़ने वाली घटना है। मैं इस फैक्ट को समझ नहीं पा रही हूं कि हम 30 साल से उसी जगह फंसे हुए हैं, जहां से हमने शुरुआत की थी। पहलगाम में जो हुआ वो पहले हर दिन होता है। अब शायद साल में दो साल में एक बार हो रहा है। मुझे याद है, जब ये घटना हुई, उस वक्त मैंने सोशल मीडिया पर एक क्लिप देखी थी। उस वीडियो में एक महिला अपनी बच्चे को लेकर भाग रही है और पीछे फायरिंग हो रही है। मैंने उनके चेहरे पर डर और दुख देखा। वो रो रही थीं। मैं चाहती हूं कि भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाए।

ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम डेवलपमेंट और ग्रोथ में टॉप पांच देशों में शामिल हैं लेकिन हमारे ही देश में पिछले 35 सालों से यही चल रहा है। मुझे नहीं पता ये कब खत्म होगा। मुझे नहीं पता कि सरकार को इस बारे में कुछ करने के लिए कितने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ेगी। मैं चाहती हूं कि कभी भी किसी को जीवन में इस हालत से न गुजरना पड़े।

जब ऐसा कुछ होता है तब अपने ही देश पर बहुत गुस्सा आता है और दर्द भी होता है। वो लोग टूरिस्ट थे। कोई हनीमून मनाने गया था तो कई फैमिली को लेकर छुट्टियां मनाने गया था। जब वो वहां थे, तब उन्हें ये अनुभव मिला। ये डरावना है। हम लोग जो इतना बोलते रहते हैं कि इंडिया का कोई कुछ नहीं कर सकता। इंडिया नंबर वन है लेकिन ये सच्चाई है।

मैं उम्मीद करती हूं कि जो दोषी हैं, सरकार उन्हें पकड़ सख्त से सख्त सजा देगी। इस घटना के कारण हुई सभी मौतों की भरपाई करेगी। जो आतंकियों ने किया उसके लिए उन्हें ऊपर वाला तो कभी नहीं माफ करेगा। मैं उम्मीद करती हूं कि सरकार उन्हें उचित जवाब देगी क्योंकि ये बहुत सालों से चल रहा है।

हालांकि, मैं इस बात से खुश हूं कि आज का भारत वो भारत नहीं है, जो चुप बैठता है। अब हम जवाब देते हैं। मैं उम्मीद कर रही हूं कि मोदी जी कुछ करेंगे ताकि और मासूम जानें नहीं जाए। हमारे यहां बहुत से आर्मी जवान हैं, जो रेगुलर बेसिस पर अपनी जान गंवा रहे हैं। हमें पता नहीं चलता है क्योंकि न्यूज में ये चीजें आती नहीं हैं। मुझे सच में महसूस होता है कि अब तो बहुत हो गया यार।

पिछले साल ही आप अपनी फैमिली के साथ कश्मीर गई थीं। आपने अपना पुराना घर देखा था।

हमें अभी तो लगना शुरू हुआ था कि कश्मीर में चीजें नॉर्मल होने लगी हैं। मैं और मेरी फैमिली पिछले साल कश्मीर में थी। उस वक्त सब कुछ नॉर्मल था। मैं अभी थोड़े टाइम पहले पहलगाम गई थी। उस वक्त हर जगह आर्मी थी। मैं सच बताऊं तो अभी भी समझ नहीं पा रही हूं कि ये हुआ कैसे? क्योंकि कश्मीर में बहुत ज्यादा सिक्योरिटी है। आप कहीं पर भी जाओ, वहां आर्मी जवान तैनात होते हैं। फिर ये कैसे हुआ? दिन दहाड़े दो-चार आतंकी टूरिस्ट प्लेस पर आते हैं और इतने लोगों को मार कर चला जाता है। वो भी उस राज्य में, जहां सबसे ज्यादा आर्मी है। मैं नहीं समझ पा रही कि ये कैसे पॉसिबल है? मुझे लगता है उन्हें जवाब देना चाहिए।

पूरा विश्व जानता है कि भारतीय लोग सहिष्णु होते हैं। आपके पेरेंट्स भी ऐसा ही सोचते हैं।

हम भारतीय बहुत जल्दी भूल जाते हैं। हम माफी दे देते हैं। हम कर्मा पर यकीन करते हैं। हमें लगता है कि जिन्होंने बुरे करम किए हैं, उन्हें सजा मिल ही जाएगी। मुझे नहीं लगता कि अब हमें ऐसी चीजों पर भरोसा करना चाहिए। मुझे लगता है कि अब इस बात का एडवांटेज लिया जा रहा है। मेरा मानना है कि अब हमें इसे बंद करना चाहिए। हमें अब बदला लेना चाहिए।

मैं प्रार्थना करूंगी कि जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है, वो पकड़े जाए और उन्हें कठोर से कठोर सजा मिली। ऐसी सजा मिले कि उनकी कई पीढ़ी आगे ऐसा कुछ करने का सोच भी नहीं पाए। मेरी फैमिली और हमारे जैसी लाखों फैमिली ने अपना घर, प्रॉपर्टी सब कुछ छोड़ा है। हम सब ने जीरो से शुरुआत की है।

हम अपने ही शहर नहीं जा पा रहे हैं। ये बात नॉर्मल कैसे हो सकती है। मेरे पेरेंट्स बहुत डर-डर कर कश्मीर जाते हैं। कश्मीर उनकी जगह है, उनका स्टेट है। वो लोग यहीं पले-बढ़े हैं। अगर आप अपने घर जाने के लिए डरते हैं तो मेरे लिए ये पॉलिटिकल सिस्टम की विफलता है। इसे बदलने की जरूरत है।

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