नई दिल्ली13 मिनट पहले
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ADR ने वित्त वर्ष 2023-24 में नेशनल पार्टियों को मिले चंदे पर रिपोर्ट तैयार की है।
ADR यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में नेशनल पार्टियों को ₹20,000 से ज्यादा के चंदों में सबसे ज्यादा बीजेपी को मिला।
रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी को मिला चंदा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), नेशनल पीपल्स पार्टी (NPEP) और माकपा (CPI(M)) को मिले कुल चंदे से 6 गुना ज्यादा है।
इस रिपोर्ट में चुनाव आयोग के आंकड़ों का एनालिसिस किया गया है। इसमें बताया गया है कि देश की 6 नेशनल पार्टियों को ₹20,000 से ज्यादा के कुल ₹2,544.28 करोड़ के चंदे की जानकारी दी गई।
इन नेशनल पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (BSP), AAP, CPI(M) और NPEP शामिल हैं।
पॉलिटिकल पार्टियों को कॉरपोरेट चंदा सबसे ज्यादा रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल 3755 डोनेशन कॉरपोरेट या बिजनेस सेक्टर की तरफ से किए गए, जिनकी कुल रकम ₹2,262.5 करोड़ रही। यह कुल चंदे का 88.9% हिस्सा है।
बीजेपी को सबसे ज्यादा कॉरपोरेट डोनेशन मिला। रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी को कॉरपोरेट सेक्टर से कुल 3,478 डोनेशन के जरिए ₹2,064.58 करोड़ मिले। इसके अलावा 4,628 आम लोगों ने पार्टी को ₹169.12 करोड़ का चंदा दिया।
वहीं कांग्रेस को ₹190.3 करोड़ कॉरपोरेट डोनेशन और ₹90.89 करोड़ आम लोगों से चंदा मिला। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ कॉरपोरेट डोनेशन के मामले में भी बीजेपी को बाकी सभी नेशनल पार्टियों के मुकाबले 9 गुना ज्यादा रकम मिली।

टॉप 10 डोनर्स की लिस्ट
ADR ने उन 10 डोनर्स की लिस्ट भी दी है, जिन्होंने सबसे ज्यादा चंदा दिया।
- Prudent Electoral Trust – ₹880 करोड़ (बीजेपी को ₹723.6 करोड़, कांग्रेस को ₹156.4 करोड़)
- Triumph Electoral Trust – बीजेपी को ₹127.5 करोड़
- Derive Investments – बीजेपी को ₹50 करोड़, कांग्रेस को ₹3.2 करोड़
- Acme Solar Energy Pvt. Ltd. – ₹51 करोड़
- Rungta Sons Pvt. Ltd. – ₹50 करोड़
- Bharat Biotech – ₹50 करोड़
- ITC Infotech India Ltd. – ₹80 करोड़
- Dinesh Chandra R. Agarwal Infracon Pvt. Ltd. – बीजेपी को ₹30 करोड़
- Dilip Buildcon Ltd. – ₹29 करोड़
- Macrotech Developers Ltd. – ₹27 करोड़
चुनाव आयोग ने पिछले साल इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा शेयर किया था चुनाव आयोग ने 14 मार्च, 2024 को भी इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया था। इसमें भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी थी। 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6060 करोड़ रुपए मिले थे। लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (1609 करोड़) और तीसरे पर कांग्रेस पार्टी (1421 करोड़) थी।

जानिए क्या है चुनावी बॉण्ड योजना चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2017 को उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया था। ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है, और राजनीतिक पार्टियों फंड दे सकती थी।
राजनीतिक फंडिंग को भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने और के लिये साल 2018 में चुनावी बॉण्ड योजना शुरू की गई थी। सरकार ने इस योजना को ‘कैशलेस-डिजिटल अर्थव्यवस्था’ की ओर आगे बढ़ने में एक अहम ‘चुनावी सुधार’ बताया था।
विवादों में क्यों आई चुनावी बॉन्ड स्कीम 2017 में अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। इससे ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। वहीं, विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं।
याचिका दाखिल करने वाली संस्था ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) ने दावा किया था कि इस प्रकार की चुनावी फंडिंग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगी। कुछ कंपनियां उन पार्टियों में अज्ञात तरीकों से फंडिंग करेंगी, जिन पार्टियों की सरकार से उन्हें फायदा होता है।
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एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने राष्ट्रीय दलों को मिले चंदे को लेकर सोमवार को रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में भाजपा को सबसे ज्यादा 4340.47 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। दूसरे नंबर पर कांग्रेस को 1225.12 करोड़ रुपए मिले। ADR ने रिपोर्ट में बताया कि पार्टियों को चंदे का बड़ा हिस्सा चुनावी बॉन्ड से मिला है। पूरी खबर पढ़ें…