Wednesday, April 30, 2025
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Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया पर करें मां लक्ष्मी की आरती, हमेशा बनी रहेगी बरकत


मां लक्ष्मी | Image:
Shutterstock

Akshaya Tritiya 2025: आज देशभर में अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है। हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। जो कि आज यानी 30 अप्रैल को है। इस त्योहार का इंतजार लोग सालभर बेसब्री से करते हैं। इस दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है।

कहते हैं अगर इस दिन पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर भक्त से प्रसन्न हो जाते हैं तो उनकी झोली सालभर खुशियों से भरी रहती है। ऐसे में अगर आप इस दिन मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको दोनों देवी और देवता की आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं इनके लिरिक्स के बारे में।

माता लक्ष्मी की आरती (Maa Lakshmiji Ki Aarthi)

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

पद्मालये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय,
वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

कुबेर जी की आरती (Kuber Dev Ki Aarti)

ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के, भंडार कुबेर भरे।
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनि मंगल गावैं, सब जय जयकार करैं॥
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥

गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करे॥
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने॥
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे।
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।

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