APS यूनिवर्सिटी के छात्र नेशनल खेलने गए थे राजस्थान, पैसे न होने की वजह से वापस लौटना पड़ा।
रीवा की अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी (APS) से नेशनल गेम्स खेलने राजस्थान गए छात्रों को बिना पैसे और बिना किसी टीचर के छोड़ दिया गया। आरोप है कि उन पर रुपए न होने की वजह से वह भूखे-प्यासे रहे, इसलिए वह वापस रीवा आ गए।
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इस पूरे मामले में खेल विभाग एचओडी पर टिकट तक न कराने का आरोप लगाया है। परिजनों ने कहा अगर ऐसे हालत रहे तो वह कभी अपने बच्चों को खेलने नहीं भेजेंगे। वहीं छात्रों और परिजनों के आरोपों को एचओडी ने निराधार बताया है।
दरअसल यूनिवर्सिटी के छात्र और छात्राएं राजस्थान के झुंझुनू जिले में नेशनल गेम्स में हिस्सा लेने के लिए रीवा से रवाना हुए थे। लेकिन बच्चों के मुताबिक उनके पास न तो पैसे थे और न ही उनके साथ कोई खेल शिक्षक मौजूद था।
दिल्ली-स्टेशन पर रात बिताकर वापस आए बच्चों ने आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी के खेल विभाग के एचओडी कुलभूषण मिश्रा को उनके साथ जाना था। बच्चों ने मिलकर उनके रिजर्वेशन के लिए पैसे भी दिए, जबकि खुद उन्हें जनरल कोच में सफर करना पड़ा। सभी को अकेले ही सफर करना पड़ा। वे दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पूरी रात भूखे-प्यासे रहे, और फिर उसी ट्रेन से बिना पैसे के जनरल डिब्बे में रीवा लौट आए।
नेशनल गेम खेलने गए छात्र वापस लौटकर आए।
परिजन बोले- बच्चों को दोबारा खेलने नहीं भेजेंगे परिजनों ने इस घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। उनका कहना है कि वे दोबारा अपने बच्चों को खेलने के लिए कभी नहीं भेजेंगे, क्योंकि उन्हें अब बच्चों की सुरक्षा का डर सता रहा है। परिजनों ने सवाल उठाया है कि अगर बच्चों के साथ कोई अनहोनी हो जाती, तो इसका जिम्मेदार कौन होता?
छात्र शिवम मिश्रा ने बताया कि सभी छात्र और उनके परिजन अब इस पूरी घटना की शिकायत कुलपति से करने जा रहे हैं और खेल HOD कुलभूषण मिश्रा को ही इस पूरी लापरवाही का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि कुलभूषण मिश्रा की गलती से बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हुआ है।

आरोप है कि उन्हें बिना रुपए दिए ही यूनिवसिर्टी ने खेलने भेज दिया था।
उधर पूरे मामले में सफाई देते हुए कुलभूषण मिश्रा ने भी अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि 10 तारीख को प्रतियोगिता के सम्बन्ध में संबंधित पत्र प्राप्त हुआ था। बच्चों की संख्या 16 के करीब थी। जिनके आने-जाने और सभी की प्रकार की व्यवस्था करने में 2 से ढ़ाई लाख रुपए का खर्च आता। इस खर्च को विश्वविद्यालय से प्राप्त करने की एक प्रक्रिया होती है।
जिसके तहत उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई थी। लेकिन इसके पहले कि हमारी प्रक्रिया पूरी हो पाती। छात्र हमें बिना बताए ही दिल्ली निकल गए। जबकि हम उन्हें अपनी तरफ से प्रक्रिया के तहत दिल्ली भेजने के लिए तैयार थे। फिर भी उनकी तरफ से जल्दबाजी की गई। यह आरोप निराधार है कि हमने फोन नहीं उठाया।