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Ashadha Month 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास आध्यात्मिकता, साधना और तप का महीना माना जाता है. यह मास देवताओं की निद्रा (शयन) और चातुर्मास के प्रारंभ का प्रतीक होता है. इस महीने का धार्मिक, प्राकृतिक और …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- आषाढ़ मास में नए मकान या बिजनस की शुरुआत ना करें.
- आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत-उपवास करें.
- आषाढ़ मास में मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से बचें.
आषाढ़ मास का हिन्दू पंचांग में खास स्थान है. यह मास न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह मौसम, लाइफ स्टाइल और आध्यात्मिक साधना से गहराई से जुड़ा हुआ है. इस मास की शुरुआत बारिश के आगमन और खेती-बाड़ी की शुरुआत के साथ होती है, जो भारत की ग्रामीण संस्कृति की आत्मा को दर्शाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास में पूजा-पाठ, दान, स्नान, व्रत आदि शुभ कार्य करने से पुण्यफलों में वृद्धि होती है और कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी अनुकूल रहती है. लेकिन शास्त्रों में आषाढ़ मास में कुछ कार्य ऐसे बताए गए हैं, जिनको करने की मनाही होती है. आइए जानते हैं आषाड़ मास में क्या करें और क्या ना करें…
आषाढ़ मास हिंदू पंचांग का चौथा महीना होता है, जो आमतौर पर जून के मध्य से जुलाई के मध्य तक आता है. इस महीने में वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है, जो भारतीय किसानों के लिए नवजीवन जैसा होता है और गर्मी को भी शांत करता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास में स्नान, दान, पूजा अर्चना, व्रत आदि शुभ कार्य करने से व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में जो भी समस्याएं चल रही होती हैं, वे भी दूर हो जाएंगी.
आषाढ़ मास 2025 क्या ना करें
– आषाढ़ मास में चातुर्मास की वजब से शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य ना करें.
– आषाढ़ मास में नए मकान का निर्णाण नए घर में प्रवेश (गृह प्रवेश) से बचें.
– आषाढ़ मास में नए बिजनस की शुरुआत करने से बचें
– आषाढ़ मास में बाल या नाखून कटवाने से बचें
– आषाढ़ मास में मांस-मदिरा या तामसिक भोजन करने से बचें.
– आषाढ़ मास में खेती-बाड़ी या जमीन की खुदाई करने से बचें.
– आषाढ़ मास में झगड़े-कलह और कटु वचन से बचें.
आषाढ़ मास में क्या करें
– भगवान विष्णु की हर रोज पूजा अर्चना करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.
– आषाढ़ मास में गंगा स्नान करें और परिजनों व प्रियजनों के साथ धार्मिक स्थल पर जाएं.
– आषाढ़ मास में व्रत-उपवास का पालन करें और दान-पुण्य करें.
– आषाढ़ मास में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ तुलसीजी की भी पूजा करें.
– आषाढ़ मास में भजन कीर्तन करें और जप व साधना करें.
– आषाढ़ मास में पितरों के लिए जलदान और तर्पण करना शुभ माना जाता है.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें