पटना में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। फ्रॉड के दो तरीकों को शातिर ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। पहला तरीका ATM में कार्ड फंसाकर ठगी। दूसरा- लोन के नाम पर लोगों से पैसे वसूलना।
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पटना में नए साल में 10 दिन में 16 मामले सामने आ चुके हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको ठगी के तरीकों के बारे में बताएंगे और इनसे बचने के टिप्स की भी जानकारी देंगे।
पहले जानिए ATM से फ्रॉड केस के बारे में
5 जनवरी को पटना में परसा बाजार इलाके के रहने वाले रणविजय सिंह सुबह 10:30 बजे के करीब सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम से रुपए निकालने पहुंचे। 10 हजार रुपए निकाला। ट्रांजैक्शन पूरा होने के बाद कार्ड अंदर से निकला ही नहीं। इस दौरान 2 लोग बाइक से पहुंचे ATM के अंदर गए और रणविजय से कहा कि पास में ही बैंक है, आप वहां जाइए। नहीं तो इस नंबर पर 8420325394 पर कॉल कीजिए।
रणविजय ने फोन लगाया लेकिन नंबर बंद था। वो ATM में ही कार्ड छोड़कर बैंक के लिए निकल गए। ATM से निकलते ही रणविजय के पास खाते से पैसे निकलने का मैसेज आने लगा। सुबह 10:58 तीन मैसेज 10-10 हजार, दोपहर 12:36 बजे पटना रत्नालय ज्वेलर्स से 61 हजार 900 रुपए की ज्वेलरी खरीदने के मैसेज आए। शातिरों ने रणविजय के अकाउंट से कुल 81 हजार रुपए उड़ा लिए।
6 जनवरी की सुबह भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया। पटना से सटे पंडारक निवासी शशि कपूर पासवान सुबह 10 बजे के करीब सैंडल गार्डन के पास बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम से रुपए निकालने पहुंचे थे। ट्रांजैक्शन के बाद कार्ड ATM में फंसा रह गया। थक-हारकर वहां दिए हेल्प लाइन नंबर 8470922590 पर संपर्क किया।
कॉल रिसीव करने वाले ने उधर से कैंसिल बटन प्रेश करने के बाद पिन डालने को कहा। कुछ देर तक शातिर उन्हें अपनी बातों में उलझाए रखा। इस बीच खाते से 38,500 रुपए निकाल लिए। कुछ 4 बार ट्रांजैक्शन का मैसेज आया।
7 जनवरी को जहानाबाद के रहने वाले धीरज कुमार(36) पटना के संदलपुर इलाके में रहते हैं। सुबह 9:30 बजे एसबीआई एटीएम से रुपए निकालने गए थे। इस दौरान मशीन के अंदर बने स्लॉट में कार्ड फंस गया। काफी कोशिश के बाद भी कार्ड नहीं निकला। इसके बाद वहां दिए एक हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया।
कॉल रिसीव करने वाले शख्स ने कहा कि दोपहर 12 बजे के बाद ही कार्ड निकल पाएगा। उसके बाद वो मशीन में कार्ड छोड़कर चले गए। कुछ देर के बाद ट्रांजैक्शन का मैसेज आने लगा। कार्ड ब्लॉक कराते-कराते खाते से कुल 1 लाख 11 हजार 271 रुपए कट गए। कुछ कैश निकाला गया थो तो कुछ रुपए से शॉपिंग की गई थी। पीड़ित की शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
ऐसे शिकार बनाते हैं शातिर
इन तीनों केस में कॉमन ये है कि सभी पीड़ितों के कार्ड ATM में फंस गए थे। दरअसल, जानकार बताते हैं कि शातिर ATM में छेड़छाड़ कर कार्ड निकलने के रास्ते को ब्लॉक कर देते हैं। ये ठीक वैसा ही है जैसे पहले साइबर क्रिमिनल एटीएम में कैश ट्रेलर में प्लास्टिक की काली पट्टी लगा कैश निकलने से रोक देते थे। लोग पैसा निकलने का इंतजार करते थे, लेकिन पैसा मशीन से बाहर नहीं आ पाता था। जैसे ही शख्स ATM से बाहर निकलता था, बदमाश कैश ट्रेलर से काली पट्टी हटाकर पैसे निकाल लेते थे।
7 महीने पहले पटना पुलिस ने एक जालसाज को पकड़ा था, जिसने डेमो कर बताया था कि कैसे कैश ट्रेलर में काफी पट्टी फंसाकर पैसे को रोक दिया जाता है।
बदमाशों ने अब अपना ट्रेंड बदला है। वो अब एटीएम कार्ड को ब्लॉक कर देते हैं। पैसे निकालने वाले शख्स जब कार्ड नहीं निकलने से परेशान हो जाता है तो ATM के आस पास खड़ा गिरोह का गुर्गे पीड़ित को बैंक जाने या ATM के अंदर लिखे नंबर पर कॉल करने को कहता है।
ATM जाने के दौरान सावधानी बरतें
ATM में कार्ड फंसे तो छोड़कर ना जाएं- पुलिस
साइबर अपराधी एटीएम मशीन के पास ही पंपलेट या पोस्टर लगा दे रहा है। जिस पर हेल्पलाइन भी लिखा होता है। परेशानी में लोग कुछ समझ नहीं पाते हैं और उस नंबर पर कॉल कर देते हैं। पीड़ित शख्स जैसे ही वहां से हटता हैं, खाते से रुपए निकाल लिया जाता है। तीन से 4 महीने में इस तरह के मामले बढ़े हैं। राघवेंद्र मणि त्रिपाठी, साइबर थाने के थानेदार सह पुलिस उपाधीक्षक
साइबर अपराधी का दूसरा ट्रेंड- लोन के नाम पर ठगी
10 जनवरी को पटना के फुलवारी शरीफ से पुलिस ने 5 शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के 500 लोगों का पर्सनल डाला मिला है। ये गिरोह लोन दिलाने के नाम पर लोगों को अपना शिकार बनाता था। इसके लिए इस गैंग ने बाकायदा फ्लैट भी ले रखा था।
10 जनवरी को पटना के फुलवारी शरीफ से पुलिस ने 5 शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। प्रोसेसिंग फीस, इंश्योरेंस, बजाज फाइनेंस और पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर ये अपराधी लोगों को अपना शिकार बनाते थे। रामनगर बालमी स्थित सहाय मेंशन के फोर्थ फ्लोर स्थित फ्लैट नंबर 402 से गैंग ऑपरेट हो रहा था। पुलिस के हाथ इनके पास से बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के 500 लोगों का डेटा भी मिला है।
इस गिरोह का सरगना संदीपन (24) नवादा का रहने वाला है। पहले दिल्ली में रहता था। 30% कमीशन पर सन्नी कुमार, शिशुपाल, मंटू कुमार और सुधांशु कुमार को हायर किया था। सभी ने 10वीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई की हैं। ये लोग फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोन दिलाने के लिए एड पोस्ट करते थे। लोगों का भरोसा जितने के लिए अपना मोबाइल नंबर भी उस पर डाला था।
मोडस ऑपरेंडी समझिए
एड देखकर जैसे ही लोग इस गिरोह से संपर्क करते थे। ये उनसे कम इंटरेस्ट में लोन दिलाने की बात कहते थे। बातचीत का तरीका ऐसा रखते थे, जिससे सामने वाला इनको प्रोफेशनल समझ सके। जैसे ही लोन लेने वाला इनके झांसा में आ जाता है, वो उससे प्रोसिंग फीस के नाम पर अपने अकाउंट में पैसे मंगवा लेते हैं। पैसे आने के बाद शातिर लोन लेना वाले का नंबर भी ब्लॉक कर देते हैं।