आज ज्येष्ठ मास का तीसरा बड़ा मंगल है और इस दिन विधि विधान के साथ हनुमानजी की पूजा अर्चना करने का महत्व है. बड़ा मंगल उत्तर भारत, विशेषकर लखनऊ, कानपुर, वाराणसी आदि जगहों पर मनाया जाने वाला एक अद्भुत लोकपर्व है. ज्येष्ठ मास में हनुमानजी को वृद्ध स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है इसलिए बड़े मंगल को बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है. इस दिन विधि विधान के साथ हनुमानजी की पूजा अर्चना की जाती है और सिंदूर व चोला अर्पित किया जाता है. हनुमानजी की पूजा अर्चना करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और हर प्रकार के सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं बड़े मंगल का महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र…
बड़े मंगल का महत्व
बड़ा मंगल 2025 श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाने वाला पर्व है. बड़े मंगल को बुद्धि मंगल या भक्त मंगल भी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखकर हनुमानजी की पूजा अर्चना करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और कुंडली में मंगल दोष भी दूर होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को हनुमान जी पृथ्वी पर विशेष रूप से भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. हनुमानजी के भक्त इस दिन भंडारों और प्याऊ का आयोजन करते हैं. आज बड़े मंगल के साथ ज्येष्ठ अमावस्या और शनि जयंती का पर्व भी है. इस दिन हनुमानजी की पूजा करने के साथ साथ शनिदेव और पितरों की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है.
बड़ा मंगल 2025: तिथि व मुहूर्त
पहला मुहूर्त – 05:26 ए एम से 05:32 ए एम
दूसरा मुहूर्त – 07:11 से दोपहर 08:14 तक
बड़ा मंगल की पूजा विधि
आज ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान से निवृत्त होकर लाल रंग के वस्त्र धारण करें. इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करके प्रणाम करें. हनुमानजी के साथ ही भगवान श्रीराम और माता सीता की भी तस्वीर या मूर्ति रखें. इसके बाद चारों तरफ गंगाजल का छिड़काव करें और लाल आसान या कुश का आसन पर बैठकर पूजा संबंधित कार्य करें. हनुमानजी को फल, गुड़हल का फूल, रोली, अक्षत, बूंदी या बेसन के लड्डू आदि नैवेद्य अर्पित करें. गुड़-चने, बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग अर्पित करें और दान भी करें. शाम के समय भी हनुमानजी की आरती उतारें और रात्रि जागरण भी करें. साथ ही वृक्षों को जल दें, विशेषकर पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं और लाल वस्त्र, मसूर की दाल, मिठाई का दान करें.
बड़े मंगल के उपाय
मंगल के 108 नामों का पाठ करें.
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र से हवन करें.
गौ सेवा करें – मंगलवार को गुड़ और चना खिलाएं.
हनुमान मंदिर में नारियल और लाल वस्त्र चढ़ाएं.
हनुमानजी मंत्र
हनुमानजी के मंत्र अत्यंत प्रभावशाली होते हैं और विभिन्न जीवन समस्याओं में समाधान प्रदान करते हैं. मंत्रों के प्रभाव से भय, रोग, शत्रु, बाधा और मंगल दोष से मुक्ति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है.
मूल बीज मंत्र
ॐ हं हनुमते नमः
जप संख्या: 108 बार
उपयोग: जीवन की सामान्य बाधाओं और भय से मुक्ति के लिए.
हनुमान गायत्री मंत्र
ॐ अञ्जनीसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्॥ यह हनुमान गायत्री मंत्र है और तुलसी की माला के साथ 108 बार जप करें.
उपयोग: बुद्धि, स्मरण शक्ति और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी.
मंगल बीज संयोग मंत्र
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः (इसके साथ हनुमान चालीसा या “ॐ हं हनुमते नमः” का जप करें)
उपयोग: विशेषकर भौमवती अमावस्या और बड़ा मंगल के दिन अत्यंत प्रभावकारी.
हनुमानजी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥