किसानों को तीसी के लाभों और आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी गई।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर द्वारा तीसी दिवस के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य तीसी की खेती को प्रोत्साहित करना और किसानों को इसके लाभों और आधुनिक तकनीकों की जानकारी देना था। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के ब
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उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा तीसी की उच्च गुणवत्ता वाली किस्में जैसे सबौर तीसी-2 और सबौर तीसी-4 विकसित की गई हैं, जिनका बीज वैज्ञानिकों की निगरानी में तैयार किया जा रहा है। इससे न केवल बीज की शुद्धता बनी रहेगी, बल्कि किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर आमदनी भी होगी। प्रमुख अन्वेषक डॉ. सौरभ कुमार चौधरी ने तीसी की खेती की तकनीकी जानकारी साझा की और बाजार में इसकी संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
MSP से 30% अधिक दर पर खरीदा जाएगा
उन्होंने बताया कि इस वर्ष माछीपुर क्षेत्र में 13 एकड़ में तीसी की खेती की गई है, जिसका बीज विश्वविद्यालय द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 30% अधिक दर पर खरीदा जाएगा। इसके बाद इसे प्रसंस्कृत कर बिहार राज्य बीज निगम के माध्यम से किसानों को वितरित किया जाएगा। कार्यशाला में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया और तीसी की खेती में रुचि दिखाई। विश्वविद्यालय द्वारा चना, मसूर एवं अन्य फसलों के बीज भी किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे।