भोपाल के चर्चित 90 डिग्री वाले ऐशबाग ब्रिज को लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने सही ठहराया है। उन्होंने गुरुवार को जबलपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा- ब्रिज को लेकर कोई समस्या थी ही नहीं, लेकिन उसका प्रचार-प्रसार इस तरह किया गया कि वह सुर्खियों में
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मंत्री ने कहा- 90 डिग्री का कोई मुद्दा नहीं था। इस तरह के पुल और चौराहे देश और प्रदेश में बहुत सारे बने हुए हैं। महत्वपूर्ण यह है कि सेफ्टी मेजर्स का पालन हुआ है या नहीं और इस मामले में पालन किया गया है।
उन्होंने कहा कि जहां पुराने शहर और पुरानी बसाहट होती है, वहां जब पुल और सड़कों का निर्माण करना होता है, तो जगह की कमी के कारण 90 डिग्री पर जाना ही पड़ता है। कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती हैं।

भोपाल में बना यह रेलवे ओवरब्रिज अपनी अनोखी डिजाइन के कारण सुर्खियों में रहा है।
भोपाल का ब्रिज वास्तव में 114 डिग्री का पुल लोक निर्माण मंत्री ने कहा- भोपाल के जिस ब्रिज को 90 डिग्री का बताया जा रहा है, वह वास्तव में 114 डिग्री का है। उस पर किसी तरह की कठिनाई नहीं है। ब्रिज में कोई तकनीकी समस्या नहीं है।
ठेकेदार और अन्य लोगों पर जो कार्रवाई की गई, वह बेहतर तालमेल न होने के कारण हुई है। विभाग द्वारा हाई कोर्ट को जवाब देना है, जिसे तैयार कर लिया गया है। आवश्यक कार्रवाई चल रही है।
हाईकोर्ट ने कहा- फिर ठेकेदार पर कार्रवाई क्यों की? 90 डिग्री ब्रिज मामले में बुधवार को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई थी। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच के सामने मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) की सिविल इंजीनियरिंग विभाग की जांच रिपोर्ट पेश की गई।
रिपोर्ट पढ़ने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा- जब ठेकेदार ने PWD के निर्देशों के अनुसार ही काम किया है, तो फिर उस पर कार्रवाई क्यों की गई? ठेकेदारों को सजा नहीं, बल्कि मेडल मिलना चाहिए।

ब्रिज के दूसरे सिरे की तरफ लगभग 90 डिग्री के एंगल से मोड़ दिया गया है।
मैनिट की रिपोर्ट- नक्शे के अनुसार ही निर्माण मैनिट की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि PWD ने ठेकेदार पुनीत चड्ढा को जो जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग दी थी, उसमें पुल का एंगल 119 डिग्री दर्शाया गया था। जांच में बने पुल का एंगल 118 डिग्री से थोड़ा ज्यादा पाया गया। दोनों ही माप लगभग समान बताए गए।
रिपोर्ट के अनुसार, ठेकेदार ने विभाग द्वारा दिए गए नक्शे के अनुसार ही निर्माण कार्य किया है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार और पीडब्ल्यूडी से जवाब मांगा है।
सरकार ने जवाब देने मांगा समय सरकार की ओर से कोर्ट में पेश वकील ने अदालत से समय मांगते हुए कहा कि उन्हें रिपोर्ट का अध्ययन करने और जवाब दाखिल करने का अवसर दिया जाए। हाई कोर्ट ने मांग स्वीकार करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 23 सितंबर को तय की है।
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