प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कार्यक्रम की रूपरेखा तय की।
बीएचयू के महामना सेमिनार कांप्लेक्स में 27 से 30 नवंबर ‘इनबिक्स-एडनेट 2024 का आयोजन होगा। भारतीय उपमहाद्वीप में बायोइन्फ़ोरमेटिक्स की सबसे बड़ी सोसाइटी बायोक्लुस और डॉ लालजी सिंह की ओर से स्थापित एडनेट की ओर से होने वाले कार्यक्रम में विश्व के तीन सौ
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56 विशिष्ट वैज्ञानिकों का होगा व्याख्यान
उन्होंने बताया कि प्रख्यात वैज्ञानिकों में रोसलिन इंस्टिट्यूट यूके के डायरेक्टर प्रो. ब्रूस व्हाइटलॉ, पेनिसिल्वानिया विश्वविद्यालय के प्राचीन डीएनए प्रो. इआन मथियोसन, ऑस्ट्रेलिया की डेनिसोवन मानव पर कार्य करने वाली वैज्ञानिक डॉ. इरेने गेलेगो रोमरो और बर्न विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञानी प्रोफेसर जॉर्ज वानद्रिएम प्रमुख हैं। भारत के 50 विश्वविद्यालय और वैज्ञानिक संस्थानों के 56 विशिष्ट वैज्ञानिकों की भी जुटान होगी। अजनाला की खोज करने वाले पत्रकार और इतिहासकार सुरिंदर कोचर का विशेष व्याख्यान भी होगा।
हड़प्पा सभ्यता के सौ साल को समर्पित होगा आयोजन।
राखीगढ़ी मैन का होगा विशेष व्याख्यान
कार्यक्रम का उद्घाटन एंथ्रोपोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के डायरेक्टर प्रो. बीवी शर्मा करेंगे। इस दौरान हड़प्पा उत्खनन के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष व्याख्यान होंगे। ‘राखीगढ़ी मैन के नाम से विख्यात प्रो. वसंत शिंदे, अर्किओलॉजी सर्वे के डॉ. विनय गुप्ता, डेनमार्क के डॉ अनिल सूरी भारत की प्राचीनता को अर्किओलोजी विषय में विशेष व्याख्यान देंगे। कांफ्रेंस में 10 भारतीय युवा वैज्ञानिको के शोध भी प्रस्तुत किए जाएंगे। 72 वैज्ञानिक पोस्टर और विभिन्न वैज्ञानिक पैनल डिस्कशन होंगे। बीएचयू के पूर्व कुलपति डॉ लालाजी सिंह मेमोरियल लेक्चर भी होगा। कार्यक्रम में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जाएगा। मेहमानों को बनारस भ्रमण कराने के बाद गंगा आरती दिखाई जाएगी।
पहली क्लोन भेड़ डॉली के ‘घर’ स्कॉटलैंड के रोसलिन इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. ब्रूस व्हाइट लॉ होंगे शामिल।
100 विदेशी और 200 भारतीय वैज्ञानिक साझा करेंगे रिसर्च
बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग की तरफ से ‘एडनेट’ का दूसरे वर्ष का आयोजन हड़प्पा सभ्यता के सौ साल को समर्पित होगा। सम्मेलन के संयोजक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि दुनियाभर से जुटे विशेषज्ञ और वैज्ञानिक मानव स्वास्थ्य पर पुरातत्व, जेनेटिक्स और फोरेंसिक साइंस के प्रभाव पर चर्चा करेंगे। इसमें प्रो. ब्रूस व्हाइट लॉ दुनिया की एक नई विधा ‘इंजीनियरिंग बायोलॉजी’ के बारे में बताएंगे।
इस विधा के जरिए बायोलॉजी में भी इंजीनियरिंग की तकनीकों की मदद ली जा रही है। इसके साथ ही रोसलिन इंस्टीट्यूट के नए प्रोजेक्ट पर भी वह चर्चा करेंगे जिसमें समुद्र में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं के डीएनए के रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया की पहली क्लोन भेड़ डॉली के ‘घर’ स्कॉटलैंड के रोसलिन इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. ब्रूस व्हाइट लॉ भी इस सम्मेलन में अपना अनुभव साझा करेंगे। आयोजन में 200 भारतीय और 100 भारतीय वैज्ञानिक शामिल होंगे।