‘BJP को नए अध्यक्ष पद के लिए जेपी नड्डा जैसा ही कोई नाम चाहिए। जबकि RSS को कोई ऐसा चाहिए, जो संगठन का भरोसेमंद हो, जिसकी नीयत RSS की पद्धति और नीति पर चलने की हो। कम से कम नड्डा या नड्डा जैसा कोई लीडर इस कसौटी पर बिल्कुल भी खरा नहीं उतरता।’
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BJP का अगला अध्यक्ष कब तक चुन लिया जाएगा? इस सवाल का जवाब देते हुए RSS में हमारे एक सोर्स BJP और RSS के बीच चल रही खींचतान की ओर इशारा कर देते हैं। उनके मुताबिक, पार्टी और संगठन के बीच नए अध्यक्ष के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। इस वजह से मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को ही 40 दिन का एक्सटेंशन मिल गया है। यानी 20 अप्रैल से पहले नए अध्यक्ष का नाम सामने आना मुश्किल है।
BJP का नया अध्यक्ष न चुन पाने की एक वजह 36 में से 24 राज्य इकाइयों में संगठन के चुनाव न हो पाना भी है। अध्यक्ष चुनने के लिए आधे से ज्यादा राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव होना जरूरी है। अब तक सिर्फ 12 राज्यों में ही चुनाव हो पाए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अभी 6 और राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव होना जरूरी है।
BJP के नए अध्यक्ष के नाम के ऐलान में देरी क्यों हमने नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर तीन राज्यों में RSS के विभाग प्रचारकों से बात की। इनमें से एक पदाधिकारी बताते हैं, ‘RSS पार्टी के काम में दखल नहीं देता। सिर्फ सलाह देता है, वो भी तब जब मांगी जाए।’
फिर क्या पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए RSS की सलाह नहीं मांगी गई? वे हंसते हुए बोले, ‘सलाह मांगी भी गई थी और हम काफी पहले दे भी चुके हैं।’
फिर नए अध्यक्ष का मामला कहां अटका है? जवाब मिला, ‘सरकार और संगठन के विचार जब तक एक नहीं हो जाते, तब तक मंथन चलता रहेगा।’
विभाग प्रचारक ज्यादा बात नहीं करना चाहते थे। वे इतना जरूर कहते हैं,

BJP राजनीतिक संगठन है और RSS सामाजिक। दोनों के काम अलग हैं। RSS राजनीति नहीं करता। उसका काम सलाह देना है। सलाह कितनी इस्तेमाल की जाएगी, इसका फैसला पार्टी करेगी।
RSS ने सलाह तो 2024 में भी दी थी, लेकिन तब पार्टी ने नहीं मानी थी? उन्होंने जवाब दिया, ‘देखिए अभिभावक का काम होता है अपनी नई पीढ़ी को सही सलाह देना। कभी नरमी के साथ, कभी सख्ती के साथ।’
इस बार सलाह नरमी के साथ है या सख्ती के साथ? वे कहते हैं, ‘मैं जो बता सकता था, वो बता दिया। इससे ज्यादा बताना मर्यादा के खिलाफ होगा। इतना जरूर कहूंगा कि RSS BJP का अभिभावक है। बच्चे कई बार रास्ता भटक जाते हैं। सही अभिभावक वही है, जो उसे हर बार रास्ते पर लाए। अभिभावक बच्चे पर गुस्सा हो सकता है, उसे छोड़ नहीं सकता। RSS भी अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा।’

RSS-BJP के बीच सहमति क्यों नहीं बन पा रही सोर्स के मुताबिक, नए अध्यक्ष के नाम के ऐलान में देरी की वजह RSS और BJP के बीच किसी एक नाम पर सहमति न बन पाना है। मंथन चल रहा है। BJP को नए अध्यक्ष पद के लिए जेपी नड्डा जैसा लीडर चाहिए। RSS ऐसे चेहरे की तलाश में है, जो भरोसेमंद हो।’
दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान जेपी नड्डा ने कहा था, ‘शुरू में हम कम सक्षम थे। तब हमें RSS की जरूरत पड़ती थी। अब हम सक्षम हैं। BJP अब खुद को चलाती है।’
BJP की लीडरशिप ने इस बयान का खंडन या निंदा नहीं की। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी और संगठन के बीच दरार साफ दिखी। चाहे वो भागवत की स्पीच हो या फिर नड्डा का बयान। अब RSS नहीं चाहता कि दोबारा कोई ऐसा व्यक्ति इस पद पर बैठे, जो संगठन से ऊपर पार्टी और उसकी लीडरशिप को तवज्जो दे।
लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद मोहन भागवत का बयान…

सालाना बैठक की तारीख का ऐलान कर RSS ने दिया मैसेज 21 से 23 मार्च तक RSS की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक होनी है। तारीखों के ऐलान के वक्त RSS के एक पदाधिकारी ने बताया था कि यह RSS की अहम सालाना बैठक है। इसमें एक साल पहले किए गए कामों की समीक्षा और अगले साल के लक्ष्य तय होते हैं। इसलिए बैठक से पहले BJP को नया अध्यक्ष चुनना ही पड़ेगा।
ये बैठक टाली नहीं जा सकती। इसलिए 5 मार्च को इसकी तारीख का ऐलान कर दिया गया। इस पर RSS पदाधिकारी कहते हैं, ‘बैठक की तारीखों का ऐलान संगठन का पार्टी पर गुस्सा जाहिर करने का एक तरीका था। इसका मतलब है कि आप लोगों को जो ठीक लगे, जब ठीक लगे, करिए। पार्टी के फैसले के इंतजार में संगठन अपना काम नहीं रोक सकता।’
RSS की बैठक में उठेगा अध्यक्ष का मुद्दा RSS की बैठक में BJP की तरफ से सुझाए नामों पर भी चर्चा होगी। ये भी तय होगा कि RSS अपनी सलाह पर ही कायम रहेगा या पार्टी के साथ मिलकर कोई बीच का रास्ता निकालेगा। RSS की बैठक में प्रांत स्तर के 1,480 पदाधिकारी शामिल होंगे। RSS का शीर्ष नेतृत्व अध्यक्ष पद का नाम उनके सामने रखेगा।
सोर्स के मुताबिक, RSS ने अभी दो सलाह दी हैं, पहली पर पार्टी ने साफ तौर पर असहमति जता दी है, दूसरी पर स्थिति साफ नहीं है।
पहली सलाह: अध्यक्ष पद पर RSS ऐसा चेहरा चाहता है, जिसका बैकग्राउंड संगठन का हो और वो संगठन का भरोसेमंद भी हो। वो अहम फैसलों में RSS की राय को पार्टी के बराबर तरजीह दे। सोर्स बताते हैं कि मौजूदा कृषि मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व CM शिवराज सिंह चौहान इस कसौटी पर खरे उतरते हैं। दूसरा नाम मनोहर लाल खट्टर का है।

दूसरी सलाह: महिलाओं को तरजीह दी जाए। 2023 में लोकसभा में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पेश हो चुका है। इसे ध्यान में रखते हुए किसी महिला को अध्यक्ष की बागडोर दी जानी चाहिए।
हालांकि जेंडर के अलावा बाकी कसौटी वही हैं। RSS ने एक नाम भी सुझाया है, लेकिन पार्टी ने उस पर भी कोई जवाब नहीं दिया।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2029 में लागू किया जाना है। ये कानून महिलाओं को 33% आरक्षण देने की बात करता है। इसे लागू करने से पहले जनगणना करानी जरूरी है। जनगणना 2026 के आखिर या 2027 में होनी है।
RSS की सलाह थी कि आने वाले वक्त में महिला वोटर और अहम हो जाएंगी। अगर BJP किसी महिला को पार्टी अध्यक्ष बनाती है, तो इससे निकले मैसेज का गहरा असर होगा। 2029 के लोकसभा चुनाव में ये असर दिखेगा।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आई दरार क्या फिर गहरी हो रही? लोकसभा के बाद बने हालात अब दोबारा बन रहे हैं। उनका एनालिसिस करें तो कुछ बातें साफ नजर आती हैं…
1. लोकसभा के नतीजों के बाद RSS प्रमुख मोहन भागवत की स्पीच से संघ और BJP के बीच की खटास खुलकर सामने आ गई थी। नए अध्यक्ष के नाम पर फिलहाल ऐसा नहीं हुआ। RSS के पदाधिकारी लगातार हो रही देरी पर सवाल जरूर उठा रहे हैं। RSS का शीर्ष नेतृत्व भी जानता है कि 21, 22, 23 मार्च को होने वाली बैठक में ये सवाल उठेगा।
2. पार्टी और RSS के पदाधिकारी लोकसभा चुनाव के बाद नड्डा को पहले मिले एक्सटेंशन की वजह विधानसभा चुनाव बता रहे हैं। सच तो ये है कि हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली चुनाव के बीच करीब दो महीने का फासला था। हालांकि, महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री चुनने में 10-12 दिन का वक्त लगा।
इस बीच प्रदेश अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष चुने जा सकते थे। दिल्ली चुनाव के नतीजे आए भी एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया है। पार्टी के संविधान के मुताबिक, जब तक 50% प्रदेश अध्यक्ष नहीं चुन लिए जाते, तब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का ऐलान नहीं हो सकता।
3. सोर्स के मुताबिक, RSS इस बार किसी भी तरह का मतभेद सामने लाने से बच रहा है। नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने तक वो इस मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर बयान देने से बच रहा है। फिलहाल बीच का रास्ता निकालने की कोशिश है। इसीलिए नाम की घोषणा में देरी हो रही है। मंथन दोनों तरफ चल रहा है।

हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली की जीत किसके खाते में, RSS-BJP की अलग राय हरियाणा में BJP के एक पदाधिकारी नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं, ‘विपरीत हवा के बाद भी हरियाणा, महाराष्ट्र और फिर दिल्ली के चुनाव नतीजे BJP के पक्ष में रहे। मीडिया ने इसका क्रेडिट RSS को दिया, लेकिन पार्टी में इसे लेकर अलग विचार हैं। पार्टी जीत का श्रेय सिर्फ RSS को नहीं देती।’
वे कहते हैं, ‘पार्टी के अंदर यही कहा जा रहा है कि हरियाणा में अमित शाह की टीम 3 महीने लगातार जमीन पर रही। महाराष्ट्र में भी उनकी टीम का करिश्मा था। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में मीडिया ने RSS के पक्ष में जो खबरें चलाईं, उससे पार्टी नाराज थी। सच तो ये है कि जो भी किया, वो शाह और RSS की टीम ने मिलकर किया। वैसे अकेले न शाह की टीम काफी थी और न RSS की।’

सोर्स के मुताबिक, जेपी नड्डा को कम से कम 40 दिन का एक्सटेंशन और मिल गया है। 20 अप्रैल तक तो वही इस पद पर रहेंगे। ये भी तय हो गया है कि RSS की बैठक में वही शामिल होंगे।
सोर्स हंसते हुए इसे सुपर एक्सटेंशन भी कहते हैं क्योंकि नड्डा को जनवरी 2023 से लगातार एक्सटेंशन मिल रहा है। 18-20 अप्रैल को BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक होनी है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का ऐलान होगा।
नड्डा को एक्सटेंशन मिलने का धार्मिक कनेक्शन भी RSS के एक पदाधिकारी बताते हैं, ‘होलाष्टक लगने से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का ऐलान न होने का मतलब है कि अब 14 अप्रैल से पहले कोई घोषणा नहीं होगी। 14 मार्च से 14 अप्रैल तक खरमास रहता है। होलाष्टक और खरमास में किसी शुभ काम की शुरुआत नहीं करते हैं।’
‘खरमास हिंदुओं के लिए बहुत अहम होता है। इसमें शादी-ब्याह से लेकर, मकान बनवाने, नए सामान की खरीदारी और नए काम की शुरुआत सब रोक दिया जाता है। इसलिए ये फैक्टर BJP के लिए भी अहम है।’
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BJP और RSS बीते कुछ महीनों से BJP का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए माथापच्ची कर रहे हैं। लिस्ट तैयार है, बस किसी एक नाम पर सहमति बनाने और अनाउंसमेंट की देर है। पहले माना जा रहा था कि 10 से 20 मार्च के बीच अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो जाएगा। पढ़िए पूरी खबर…