Thursday, May 8, 2025
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CBI बोली- केजरीवाल आपराधिक साजिश में शामिल: शराब नीति की ड्रॉफ्टिंग के वक्त बोले थे- पार्टी को पैसों की जरूरत; करीबी को वसूली में लगाया


नई दिल्ली5 मिनट पहले

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दिल्ली शराब नीति घोटाले में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। जांच एजेंसी ने कोर्ट में अपनी पांचवी और आखिरी चार्जशीट दाखिल कर दी है।

इसमें आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति बनाने और उसे लागू करने के आपराधिक साजिश में शुरू से ही शामिल थे। वे पहले से ही शराब नीति के प्राइवेटाइजेशन का मन बना चुके थे।

मार्च 2021 में जब तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में शराब नीति तैयार की जा रही थी, तब केजरीवाल ने कहा था कि पार्टी को पैसों की जरूरत है। उन्होंने अपने करीबी और AAP के मीडिया और संचार प्रभारी विजय नायर को फंड जुटाने का काम सौंपा था।

नायर दिल्ली एक्साइज बिजनेस के स्टेकहोल्डर्स के संपर्क में थे। वे शराब नीति में उन्हें फायदा देने के बदले पैसों की मांग करते थे। नायर वो जरिया थे, जिन्होंने केजरीवाल के लिए BRS नेता के. कविता की अध्यक्षता वाले साउथ ग्रुप के लोगों से डील की।

नायर ने ही शराब नीति में फायदा देने के बदले में साउथ ग्रुप के लोगों से 100 करोड़ रुपए वसूले। दो अन्य आरोपियों- विनोद चौहान और आशीष माथुर के माध्यम से इन पैसों को गोवा भेजा गया।

CBI का आरोप है कि केजरीवाल ने ही साउथ ग्रुप से वसूले 100 करोड़ रुपए गोवा विधानसभा चुनाव में खर्च करने का निर्देश दिया था। इसलिए वे चुनाव के दौरान गलत तरीके से कमाए पैसों का इस्तेमाल करने के भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि इसका फायदा आम आदमी पार्टी को ही मिला है।

एजेंसी ने चार्जशीट में कहा है कि शराब नीति को अपने हिसाब से तैयार करवाने के लिए साउथ ग्रुप ने AAP को 90-100 करोड़ रुपए दिए थे। इसमें से 44.5 करोड़ रुपए कैश चुनाव-संबंधी खर्चों को पूरा करने के लिए गोवा भेजे गए थे।

CBI के अनुसार, AAP के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले गोवा के दो पूर्व विधायकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें एक पार्टी वालंटियर ने चुनाव खर्चों के लिए कैश दिए थे। एजेंसी ने अवैध रुपए लेने और उसके इस्तेमाल के लिए AAP के गोवा प्रभारी दुर्गेश पाठक को भी जिम्मेदार ठहराया है।

एजेंसी का दावा है कि शराब नीति के तीन स्टेकहोल्डर्स- शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं का एक गुट तैयार हुआ था। सभी ने अपने-अपने फायदे के लिए नियमों का उल्लंघन किया। पब्लिक सर्वेंट्स और साजिश में शामिल अन्य आरोपियों को आर्थिक लाभ मिला, लेकिन सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।

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