श्री सत्यनारायण जी की आरती | Image:
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Satyanarayanji Ki Aarti: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बेहद खास महत्व होता है। आज यानी शनिवार, 12 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस दिन भगवान सत्यनारायण (Lord Satyanarayan) की पूजा-अर्चना किए जाने का विधान होता है। भगवान सत्यनारायण श्री हरि के ही स्वरूप हैं। ऐसे में अगर आप आज के दिन पूरे विधि विधान से इनकी पूजा करते हैं तो भगवान सत्यानारायण आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
वहीं, आज के दिन सत्यानारायण भगवान की पूजा करते समय व्यक्ति को उनकी आरती जरूर पढ़नी चाहिए। इससे भगवान जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सभी दुखों से उबार लेते हैं। तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं चैत्र पूर्णिमा पर की जाने वाली भगवान सत्यनारायण की इस आरती के लिरिक्स के बारे में।
श्री सत्यनारायण जी की आरती (Satyanarayanji ki aarti)
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा॥
रत्नजटित सिंहासन,
अद्भुत छवि राजै।
नारद करत निराजन,
घंटा ध्वनि बाजै॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा…
प्रकट भये कलि कारण,
द्विज को दर्श दियो।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर,
कंचन महल कियो॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा…
दुर्बल भील कठारो,
जिन पर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा,
तिनकी विपत्ति हरी॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा…
वैश्य मनोरथ पायो,
श्रद्धा तज दीन्ही।
सो फल भोग्यो प्रभुजी,
फिर स्तुति कीन्ही॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा…
भाव-भक्ति के कारण,
छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीन्हीं,
तिनको काज सरयो॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा…
ग्वाल-बाल संग राजा,
वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हो,
दीनदयाल हरी॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा…
चढ़त प्रसाद सवायो,
कदली फल, मेवा।
धूप, दीप, तुलसी से,
राजी सत्यदेवा॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा…
श्री सत्यनारायण जी की आरती,
जो कोई नर गावै।
ऋद्धि-सिद्धि सुख-संपत्ति,
सहज रूप पावै॥
जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा॥
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