Thursday, April 24, 2025
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CJI बोले- नेताओं से मिलने का मतलब डील होना नहीं: CM से मुलाकात करनी होती है, वे बजट देते हैं, इसका काम पर असर नहीं पड़ता


पुणे14 मिनट पहले

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चंद्रचूड़ से कार्यक्रम में जजों की छुट्टी और कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सवाल किए गए।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि सरकार के प्रमुख जब हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलते हैं, तो इन मुलाकातों में ‘राजनीतिक परिपक्वता’ होती है।

मुंबई के एक कार्यक्रम CJI ने कहा- हम राज्य या केंद्र सरकार के मुखिया से मिलते हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई डील हो गई।

हमें राज्य के सीएम के साथ बातचीत करनी होती है, क्योंकि वे न्यायपालिका के लिए बजट देते हैं। यदि मुलाकात न करके केवल लेटर्स पर निर्भर रहें, तो काम नहीं होगा।

ये मीटिंग पॉलिटिकल मैच्योरिटी का एक साइन है। मेरे कॅरिअर में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी CM ने कभी भी मुलाकात के दौरान किसी लंबित केस के बारे में कुछ कहा हो।

CJI ने कहा- कोर्ट और सरकार के बीच का एडमिनिस्ट्रेटिव रिलेशन ज्यूडिशियरी के काम से अलग है। CM या चीफ जस्टिस त्योहारों या शोक में एक-दूसरे से मिलते हैं। यह हमारे काम पर कोई असर नहीं डालता।

CJI की स्पीच की 3 बातें….

1. जजों को सोचने का समय नहीं

  • अदालतों में छुट्टियों को लेकर उठने वाले सवालों पर सीजेआई ने कहा- लोगों को यह समझना चाहिए कि जजों पर काम का बहुत बोझ है। उन्हें सोचने-विचारने का भी समय चाहिए होता है, क्योंकि उनके फैसले समाज का भविष्य तय करते हैं।
  • मैं खुद रात 3:30 बजे उठता हूं और सुबह 6:00 बजे से अपना काम शुरू कर देता हूं। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट एक साल में 181 केस निपटाता है। जबकि भारतीय सुप्रीम कोर्ट में इतने केस तो एक ही दिन में निपटाए जाते हैं। हमारा सुप्रीम कोर्ट हर वर्ष 50,000 केस निपटाता है।

2. कोलेजियम की जिम्मेदारी राज्य-केंद्र और ज्यूडिशियरी में बंटी

  • कॉलेजियम सिस्टम एक यूनियन सिस्टम है, जहां जिम्मेदारियां अलग-अलग लेवल पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और ज्यूडिशियरी में बंटी हैं। इसमें आम सहमति बनती है, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है जब सहमति नहीं बन पाती है।
  • ऐसे में ज्यूडिशियरी के अलग अलग लेवल पर और सरकारों के अलग-अलग लेवल पर मैच्योरिटी के साथ निपटाया जाता है। मैं चाहता हूं कि हम एक आम सहमति बनाने में सक्षम हों। हर संस्थान में सुधार किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसमें बुनियादी तौर पर कुछ गड़बड़ है।
  • जिस संस्था को हमने ही बनाया है, उसकी आलोचना करना बहुत आसान है। हर संस्था में बेहतरी का स्कोप होता है, लेकिन हमें यह नहीं सोचना चाहिए बुनियादी तौर पर कुछ गड़बड़ है। ये संस्थाएं 75 साल से चल रही हैं। हमें डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के हमारे सिस्टम पर भरोसा करना चाहिए, ज्यूडिशियरी भी इसी का एक भाग है।

3. सोशल मीडिया से पूरी दुनिया की न्यायपालिका में बदलाव आया

  • सोशल मीडिया के कारण फैसला सुनाने में पूरी दुनिया की न्यायपालिकाओं में बदलाव आया है। हालांकि, जजों को अपनी बातों को लेकर बहुत सावधान रहने की जरूरत होती है।
  • जजों को सही भाषा का इस्तेमाल करना होता है। सोशल मीडिया हमारी सोसाइटी के लिए अच्छा है, क्योंकि यह यूजर्स को सोसाइटी के एक बड़े वर्ग तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।

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CJI से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

वकालत से पहले CJI चंद्रचूड़ ऑल इंडिया रेडियो अनाउंसर थे, आकाशवाणी का ऑडिशन दिया था

CJI चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे। उन्होंने 9 नवंबर 2022 को चीफ जस्टिस पद की शपथ ली थी।

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चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ हिंदी और अंग्रेजी भाषा में बतौर रेडियो अनाउंसर काम कर चुके है। ऑल इंडिया रेडियो को हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वे 1975 में मुंबई से दिल्ली चले गए थे। तब उन्होंने आकाशवाणी के लिए ऑडिशन दिया था। पूरी खबर पढ़ें…



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