Fake News Fact Checking Laws; BJP MP Nishikant Dubey | Parliament Report | मीडिया के लिए फैक्ट चेकिंग सिस्टम, लोकपाल अनिवार्य हो: संसदीय समिति ने सिफारिश की; संसद में पेश हो सकती है रिपोर्ट

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नई दिल्ली57 मिनट पहले

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फोटो मेटा AI जनरेटेड है। - Dainik Bhaskar

फोटो मेटा AI जनरेटेड है।

फेक न्यूज को लोकतंत्र और कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बताते हुए संसद की स्थायी समिति ने सख्त कदम उठाने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों में फैक्ट-चेकिंग सिस्टम और आंतरिक ‘लोकपाल’ अनिवार्य हो।

फेक न्यूज फैलाने वालों पर जुर्माना बढ़े। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली समिति ने यह रिपोर्ट सर्वसम्मति से मंजूर की है। रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी गई है। इसे संसद के अगले सत्र में पेश किया जा सकता है।

सीमा पार से साजिश, इंटर मिनिस्ट्री टास्क फोर्स बने

समिति ने कहा है कि फेक न्यूज से बाजार और मीडिया की साख को भी खतरा है। आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को छूट पर भी चिंता जताई। समिति ने ये सिफारिशें की हैं…

  • फेक न्यूज की परिभाषा स्पष्ट हो, जुर्माना बढ़े।
  • सीमा पार फेक न्यूज से निपटने के लिए अंतर-मंत्रालयी टास्क फोर्स बने।
  • मीडिया साक्षरता स्कूली शिक्षा में शामिल हो।

संपादकों और प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी तय हो

समिति ने फेक न्यूज के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाने के लिए कानूनों में बदलाव के लिए कहा है। इसमें प्लेटफॉर्म्स, संपादकों और कंटेंट हेड्स की संपादकीय जिम्मेदारी तय करने, संस्थागत विफलता पर मालिकों और पब्लिशर्स की जवाबदेही तय करने की सिफारिश की गई है।

AI से बने फेक कंटेंट पर भी रोक जरूरी है

समिति ने एआई से महिलाओं और बच्चों को लेकर बनाए जा रहे फेक कंटेंट पर भी चिंता जताई है। ऐसे मामलों में सख्त सजा और बैन जैसे कदम उठाने को कहा गया है। एआई से बने कंटेंट पर लेबलिंग अनिवार्य करने और इसके लिए लाइसेंसिंग की व्यवस्था पर विचार को भी कहा है।

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