कोलकाता22 मिनट पहले
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कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा कि रेप केस के आरोपी की बेल कैंसिल की।
15 जुलाई 2024 को कोलकाता में IAS की पत्नी से गन पॉइंट पर हुए रेप मामले में शुक्रवार को कोलकाता हाईकोर्ट ने पुलिस पर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस ने मामले की जांच ठीक से नहीं की है, इसलिए कोलकाता पुलिस कमिश्नर लेक पुलिस स्टेशन में उस समय मौजूद अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेंगे।
कोर्ट ने कहा, ‘ पुलिस ने FIR में सेक्शुअल असॉल्ट की धाराएं नहीं लगाई, जिससे मामला कमजोर हो गया। आरोपी के घर में घुसने और बाहर आने की CCTV फुटेज की भी जांच नहीं की गई। महिला की शिकायत के तुरंत बाद मेडिकल जांच भी नहीं कराई गई। चार्जशीट से भी छेड़छाड़ हुई है।’
दरअसल, जुलाई में FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन लोअर कोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी। इसके बाद पीड़ित महिला ने याचिका लगाकर पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगाए थे।
इस पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस राजश्री भारद्वाज ने आरोपी की जमानत खारिज कर दी। साथ ही रेप केस को लालबाजार की डिप्टी कमिश्नर रैंक की एक महिला पुलिस अधिकारी को सौंप दिया गया है।

महिला ने बताया कि पुलिस ने उसकी मेडिकल जांच भी नहीं कराई थी। उन्होंने खुद ही अपना मेडिकल कराया था।
IAS की पत्नी से 7 घंटे में 2 बार रेप
- पीड़ित महिला की याचिका के अनुसार 14 जुलाई की रात 11.30 बजे आरोपी उनके घर में घुसा। उसने गन पॉइंट पर रेप किया। इसके बाद सुबह 6.30 बजे उसने फिर से घर में घुस महिला के साथ रेप किया।
- 15 जुलाई को महिला ने लेक पुलिस थाने शिकायत दर्ज कराने पहुंचीं, लेकिन उन्हें पुलिस ने कई घंटों तक इंतजार कराया। FIR दर्ज कराने के बाद पुलिस ने महिला पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया।
- दबाव बनाने के लिए पुलिस आरोपी के बेटे और पत्नी को भी पुलिस स्टेशन लेकर आई। शिकायत वापस लेने से मना करने के बाद पुलिस जांच करने में देरी करने लगी। पुलिस को मौके से कपड़े और क्राइम से रिलेटेड सबूतों को जब्त करने में 24 घंटे से ज्यादा का समय लगा।
- मेडिकल जांच भी मुझे ही करवानी पड़ी, क्योंकि पुलिस मेरी मेडिकल जांच नहीं करा रही थी। कुछ दिनों बाद मुझे बताया कि मेरी ऑफिशियल मेडिकल जांच 20 अगस्त को कराई जाएगी। यानी घटना के 35 दिन बाद।
पुलिस बोली- महिला ने यौन उत्पीड़न की बात छिपाई थी
पुलिस ने कोर्ट में बताया कि महिला ने लिखित शिकायत दर्ज कराने के बजाय अपने एक दोस्त के फोन से वॉट्सऐप मैसेज भेजा। उन्हें कहा गया कि वे एक महिला अधिकारी को घटना के बारे में बताए। हालांकि, 15 जुलाई की शाम को करीब 6.30 बजे लिखित शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके आधार पर पुलिस ने FIR दर्ज की।
15 जुलाई को लेक थाने में कोई महिला जांच अधिकारी मौजूद नहीं होने पर करिया थाने से एक महिला अधिकारी को बुलाया गया। वह 16 जुलाई को लेक थाने आई और पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग की। उस समय पीड़ित ने मुख्य आरोपी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप नहीं लगाया।
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