सम्मेलन में देशभर के विशेषज्ञ हुए शामिल।
IIT कानपुर ने वर्चुअल लैब्स पर राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की, जिसमें उच्च शिक्षा में भारत के डिजिटल शिक्षण उपकरणों के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। शिक्षा मंत्रालय की प्रमुख वर्चुअल लैब्स पहल का हिस्सा इस सम्मेलन में शिक्षकों, डेवलपर्स, छ
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दो दिवसीय था कार्यक्रम
दो दिवसीय कार्यक्रम में मुख्य भाषण, व्याख्यान और पैनल चर्चाएं शामिल थीं। सत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, शैक्षणिक प्रगति, उपयोगकर्ता अनुभव और शिक्षा में दूरस्थ और आभासी प्रयोग के बढ़ते महत्व जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की गई।
अब डेवलपर बनने की जरूरत
आईआईटी कानपुर में वर्चुअल लैब्स सम्मेलन के मुख्य अन्वेषक और समन्वयक प्रो. कांतेश बलानी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्चुअल लैब के उपयोगकर्ताओं को अब डेवलपर बनना चाहिए और सैद्धांतिक पाठ्यक्रमों के लिए पूरक लैब के रूप में अपने गैप क्षेत्रों में नए वर्चुअल लैब प्रयोग बनाने में योगदान देना चाहिए।
लैब को हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराना है
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मनिंद्र अग्रवाल ने कहा, “वर्चुअल लैब्स कंसोर्टियम का उद्देश्य छात्रों को एक वर्चुअल वातावरण तक पहुंच प्रदान करना है, जिसके माध्यम से वे प्रयोग कर सकते हैं।
हम कंसोर्टियम इन लैब को हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, ताकि वर्चुअल लैब वातावरण को यथासंभव वास्तविकता के करीब बनाया जा सके।”
175 से अधिक वर्चुअल लैब हैं
आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर रंजन बोस ने वर्चुअल लैब्स परियोजना की शुरुआत की, जिसे शिक्षा मंत्रालय के आईसीटी के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के हिस्से के रूप में लागू किया गया है। इसमें 175 से अधिक वर्चुअल लैब हैं, जिनमें लगभग 1700+ वेब-सक्षम प्रयोग हैं, जिन्हें दूरस्थ संचालन के लिए डिजाइन किया गया है।
120 से अधिक कॉलेजों को शामिल किया
प्रोफेसर तरुण गुप्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईआईटी कानपुर ने वर्चुअल लैब्स के नोडल केंद्रों के रूप में 120 से अधिक कॉलेजों को शामिल किया है।
आईआईटी हैदराबाद के प्रो. वेंकटेश चोप्पेला ने कहा, “वर्चुअल लैब के पीछे की मानवीय कहानियों को साझा करना और उनका अनुभव करना बहुत अच्छा था”।
सम्मेलन में बोलते हुए अमृता विश्व विद्यापीठम के प्रो. श्याम दिवाकर ने कहा, “आईआईटी कानपुर के इस आयोजन ने हमें भारत के इस हिस्से के कई संस्थानों के डेवलपर्स का हिस्सा बनने और यह देखने का मौका दिया कि उपयोगकर्ताओं को कैसे जोड़ा जाए और उन्हें ऐसे ऑनलाइन टूल का डेवलपर कैसे बनाया जाए।”