Monday, April 21, 2025
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JEE मेंस टॉपर बोले– कैंपस देख आईआईटीयन बनने की ठानी: प्रतियोगी छात्रों को दी सलाह रोजाना डाउट क्लीयर करें; मोबाइल का प्रयोग कम करें – Kanpur News


JEE मेंस में सिटी टॉपर कुशाग्र को किया गया सम्मानित

मुझे मैथ्स में बहुत दिलचस्पी थी, फैमिली बैकग्राउंड भी इंजीनियरिंग वाला था। मेरी बड़ी बहनें सुप्रिया व संगिनी भी इंजीनियर हैं। सु्प्रिया IIT रुड़की से पासआउट है, उनको JEE की तैयारी करते हुए देखा था। बहन के सलेक्शन के दौरान IIT रुड़की गया।

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जहां का माहौल मुझे बहुत पसंद आया। जिसके बाद मैंने भी IIT में पढ़ने की ठानी। यह कहना था, JEE मेंस परीक्षा के दूसरे चरण में सिटी टॉपर रहे कुशाग्र बैंगहा का।

माता कंचन व पिता अशोक के साथ कुशाग्र बैंगहा

दोनों बड़ी बहनें व चाचा इंजीनियर मूलरूप से बांदा के कैलाशपुर, छाबी तालाब निवासी कुशाग्र बैंगहा के पिता अशोक कुमार गुप्ता आढ़ती है व मां कंचन गुप्ता हाउस वाइफ हैं। उनके तीन बच्चे सुप्रिया, संगिनी व कुशाग्र हैं। बड़ी बेटी सुप्रिया IIT रुड़की से पासआउट हैं।

इस समय वह गुरुग्राम की मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रही हैं। जबकि छोटी बेटी संगिनी मोतीलाल नेहरू प्रयागराज से बीटेक कर रहीं है। कुशाग्र के चाचा अनिल गुप्ता भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जो लंदन में मल्टीनेशनल कंपनी के लिए काम कर रहे हैं।

कुशाग्र की सफलता के मौके पर उनके बांदा स्थित घर को रंग बिरंगी झालरों से सजाया गया और जमकर आतिशबाजी की गई।

इंजीनियर बहने सुप्रिया व संगिनी बनी कुशाग्र की प्रेरणा

इंजीनियर बहने सुप्रिया व संगिनी बनी कुशाग्र की प्रेरणा

बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था, उसकी मैथ्स में थी रुचि

अशोक ने बताया कि बेटा शुरुआत से ही पढ़ने में होशियार है। हाईस्कूल में उसने 99.85% अंक पाकर सिटी में दूसरा स्थान हासिल किया था। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में सभी इंजीनियरिंग फील्ड में थे। बेटा कोई अलग फील्ड में अच्छा करे, इसलिए उनका मन कुशाग्र को डॉक्टर बनाने का था, लेकिन उसकी मैथ्स में रुचि थी। अशोक ने बताया कि बेटे को क्रिकेट में बहुत दिलचस्पी थी, वह अंडर–14 के ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए ग्रीनपार्क भी गया था, लेकिन किसी कारणवश चयन नहीं हो सका। जिसके बाद बेटे ने पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाना शुरू कर दिया।

बहन की लाइफ स्टाइल ने किया प्रभावित

कुशाग्र का कहना है कि बहन सुप्रिया के सलेक्शन के बाद वह IIT रुड़की पहुंचे तो वहां की लाइफ स्टाइल, कैसे इंजीनियर बनते हैं यह सब देखा। बहन के इंजीनियर बनने के बाद उनके लाइफ स्टाइल से प्रभावित किया, जिसके बाद उन्होंने इंजीनियर बनने की ठानी। उन्होंने अपनी पढ़ाई की स्ट्रेटजी के बारे में बताया कि स्कूल, कोचिंग के अलावा वह रोजाना 5 से 6 घंटे पढ़ाई करते हैं।

कुशाग्र की उपलब्धि पर उनके पिता व बाबा को किया गया सम्मानित

कुशाग्र की उपलब्धि पर उनके पिता व बाबा को किया गया सम्मानित

टॉपिक पूरा होने के बाद नोट्स व मॉड्यूल पढ़ते थे

पढ़ाई से ब्रेक लेने के लिए वह टहलते है, दोस्तों व परिजनों से बातचीत करते है, इसके बाद फिर पढ़ने बैठ जाते है। कोचिंग में सभी टेस्ट व मॉक टेस्ट में हिस्सा लेते थे, अगर किसी कारण टेस्ट नहीं दे पाया तो टीचरों से उन टॉपिक्स पर बात कर लेता था। क्लास में टॉपिक होने के बाद घर में नोट्स व माड्यूल पढ़ता था। इसके बाद NCERT की बुक्स पढ़ने के साथ क्वेश्चन प्रेक्टिस कर लेता था।

डाउट्स क्लीयर रखें, बैकलॉग न बनने दें

उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा मेहनत उन्होंने मैथ्स में करनी पड़ी। मैथ्स के डाउट्स क्लीयर नहीं होते थे, तो टीचर को वाट्सएप व फोन कर पूछ लेते थे। कोशिश करता था कि पूरे डाउट्स क्लीयर रहें, जिससे बैकलॉग न बने। इसके साथ ही फिजिक्स व केमिस्ट्री भी रूटीन में पढ़ते थे। साथ ही मौका मिलने पर इंग्लिश व फिजिकल एजुकेशन पढ़ते थे। बताया कि शुरुआती दौर में वह काफी मेहनत करते थे, लेकिन फिर में टेस्ट में उनके कम नंबर आ रहे थे, जिसके बाद पेपर को लेकर इस विषय पर टीचर से चर्चा की। फिर उन्होंने पेपर एनालिसिस करने में मदद की, जिसके बाद यह प्रयास रहा कि दोबारा वह गलतियां न दोहराई जाएं।

कुशाग्र का कहना है सफलता के इस मुकाम में पहुंचने का श्रेय माता–पिता, बहनों, दोस्तों के साथ शिक्षकों का देना चाहूंगा। कई बारा निराशा व तनाव के दौर सामने आए, लेकिन परिजनों ने पूरा सपोर्ट किया और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। शिक्षकों के सही मार्गदर्शन के कारण ही वह इस मुकाम पर पहुंचे है।

एडवांस के लिए 7 से 8 घंटे करेंगे पढ़ाई

उन्होंने बताया कि 18 मई को JEE का एडवांस पेपर है, जिसके लिए उन्होंने पूरी प्लानिंग कर ली है। एडवांस क्लीयर करने के लिए 7 से 8 घंटे पढ़ाई करनी है, इसके साथ ही तनाव बिल्कुल भी नहीं लेना और हेल्थ पर पूरा फोकस करना है। कई बार देखने में आता है कि तैयारी पूरी होने के बावजूद खराब हेल्थ के कारण प्रतियोगी सफल नहीं हो पाते हैं।

सोशल मीडिया से पूरी तरह हैं दूर

कुशाग्र ने बताया कि वह सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रहते हैं। उनका फेसबुक, इंस्टाग्राम व एक्स पर कोई एकाउंट नहीं है। जरूरत भर मोबाइल का प्रयोग करते हैं। स्ट्रेस दूर करने के लिए कभी–कभार दोस्तों के साथ वीडियाे गेम्स खेलते है। उनका सपना IIT मुंबई में पढ़ने का है। बताया कि IIT मुंबई के बारे में सीनियर्स से काफी सुना है, वहां का कैंपस व प्लेसमेंट भी काफी अच्छा है।

उन्होंने JEE की तैयारी कर रहे प्रतिभागियों को सलाह दी कि टाइम टेबल के साथ पढ़ाई करें, प्रयास रहे कि कोई भी क्लास व टेस्ट छूटने न पाए। रोजाना डाउट क्लीयर होने चाहिए, बैकलॉग नहीं करना चाहिए। फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स को बराबर का समय दें। एग्जाम से पहले तनाव बिल्कुल भी न लें, इससे आपकी परफॉर्मेंस खराब हो सकती है।



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