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Kashi Akshaya Tritiya 2025: काशी समेत पूरे देश में धूमधाम से अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप का दिव्य श्रृंगार किया गया और विश्वनाथ धाम में इस पावन मौके पर प्राची…और पढ़ें
काशी में भगवान बद्रीनारायण का दिव्य श्रृंगार
हाइलाइट्स
- भगवान बद्रीनारायण का दिव्य श्रृंगार किया गया.
- अक्षय तृतीया पर काशी में भक्तों की भीड़ उमड़ी.
- अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा है.
धर्म नगरी काशी में अक्षय तृतीया का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस विशेष अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप का भव्य और दिव्य श्रृंगार किया गया. सनातन परंपरा के अनुसार, भगवान विश्वनाथ के शिवलिंग पर श्रावण मास तक ‘कुंवरा’ (जलधारा) की स्थापना की गई. यह जलधारा शिवलिंग पर निरंतर जलाभिषेक के लिए लगाई जाती है, जो शीतलता, शुद्धता और साधना का प्रतीक है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी चेतनारायण उपाध्याय ने बताया कि अक्षय तृतीया से श्रावण पूर्णिमा तक यह परंपरा निभाई जाती है.
अक्षय तृतीया पर निभाई गई प्राचीन परंपरा
ग्रीष्म ऋतु में प्रचंड गर्मी को देखते हुए भगवान विश्वनाथ पर जलधारा स्थापित की जाती है. भगवान शिव को जलधारा प्रिय है, जबकि भगवान विष्णु को अलंकार प्रिय हैं. इस जलधारा से मध्याह्न भोग आरती से शाम 5 बजे तक निरंतर जलाभिषेक होता है, जिससे भक्तों की आस्था और भक्ति और गहरी होती है. यह प्राचीन परंपरा मंदिर के निर्माण काल से चली आ रही है. गर्मी के मौसम में भक्तों की भावना के अनुसार, भगवान को गंगाजल से अभिषेक किया जाता है. यह जलधारा भगवान को प्रसन्न करती है और भक्तों को शांति प्रदान करती है.
अक्षय तृतीया पर काशी में जुटे भक्त
अक्षय तृतीया का पर्व सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन किए गए दान और पुण्य कार्यों का फल कभी नष्ट नहीं होता. अक्षय तृतीया का स्नान और दान बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए काशी में सुबह से ही श्रद्धालु गंगा स्नान, दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए पूजा-अर्चना में जुटे रहे. इस दिन अच्छे कर्म करने से पुण्य मिलता है, जो जीवन को समृद्ध बनाता है.
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा
अक्षय तृतीया का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है. बड़ी संख्या में इस श्रद्धालु गंगा स्नान और दान-पुण्य के लिए आते हैं. इस दिन किए गए कार्यों का पुण्य का फल हर जन्म में मिलता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं और घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. अक्षय तृतीया के दिन सोना व चांदी खरीदने की परंपरा रही है, मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. काशी में अक्षय तृतीया का पर्व भक्ति, आस्था और परंपरा का अनूठा संगम बनकर उभरा. भक्तों ने बाबा विश्वनाथ और भगवान विष्णु की कृपा के लिए विशेष पूजा-अर्चना की.