Lohri 2025 Date: सनातन धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है. इसमें कुछ त्योहार तो ऐसे हैं, जिनका लोग कई महीनों से इंतजार करने लगते हैं. लोहड़ी का त्योहारों इनमें से एक है. सिखों और पंजाबियों के लिए लोहड़ी खास मायने रखती है. लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है. इसी दिन से माघ मास की शुरुआत भी हो जाती है. लोहड़ी के दिन अग्नि जलाकर परिवार के सभी सदस्य परिक्रमा करते हैं और अग्नि को रवि की फसल भेंट की जाती है. साथ ही परिवार के रिश्तेदारों और प्रियजनों को इस पर्व की बधाई देते हैं और ताल से ताल मिलाकर नृत्य करते हैं.
इस बार उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति 15 तारीख को पड़ रही है. इसलिए लोहड़ी का पर्व कब मनाएं इसको लेकर लोगों में कंफ्यूजन है. अब सवाल है कि आखिर 2025 में लोहड़ी कब है? लोहड़ी पर्व क्यों मनाया जाता है? इस बारे में News18 को बता रहे हैं उन्नाव के प्रतापबिहार गाजियाबाद के ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी–
2025 में कब मनाया जाएगा लोहड़ी का पर्व?
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है. सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी को सुबह 2 बजकर 43 मिनट में प्रवेश करेंगे इसलिए उदया तिथि को मानते हुए मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा. वहीं, मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है इसलिए लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी दिन रविवार को मनाया जाएगा.
लोहड़ी का पर्व कैसे मनाते हैं?
लोहड़ी पर्व की रात को खुली जगह पर लकड़ी और उपले का ढेर लगाकर आग जलाई जाती है और फिर पूरा परिवार आग के चारों ओर परिक्रमा करता है और उसमें नई फसल, तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली आदि को अग्नि में डालते हैं. साथ ही महिलाएं लोक गीत गाती हैं और परिक्रमा पूरी करने के बाद एक दूसरे को लोहड़ी की बधाई भी देते हैं. अगर कोई मन्नत पूरी हो जाती है, तब गोबर के उपलों की माला बनाकर जलती हुई अग्नि को भेंट किया जाता है, इसे चर्खा चढ़ाना कहते हैं. इस पर्व के लिए ढोल नगाड़ों को पहले ही बुक कर लिया जाता है और सभी लोग ताल से ताल मिलाकर नाचते हैं.
नई फसल से जुड़ा है लोहड़ी पर्व
पारंपरिक तौर पर लोहड़ी का पर्व नई फसल की बुआई और पुरानी फसल की कटाई से जुड़ा हुआ है. इस दिन से ही किसान अपनी नई फसल की कटाई शुरू करते हैं और सबसे पहले भोग अग्नि देव को लगाया जाता है. अच्छी फसल की कामना करते हुए ईश्वर का आभार व्यक्त किया जाता है. लोहड़ी की अग्नि में रवि की फसल जैसे मूंगफली, गुड़, तिल आदि चीजें ही अर्पित की जाती हैं. साथ ही सूर्य देव और अग्नि देव का आभार व्यक्त किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि जैसी कृपा आपने इस फसल पर बरसाई है, उसी तरह अगले साल भी फसल की अच्छी पैदावार हो.
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FIRST PUBLISHED : December 10, 2024, 14:01 IST