ग्लोबल फैटी लिवर डे के अवसर पर आज गुरुवार को पूरे प्रदेश में एक साथ 12,264 हेल्थ सेंटर्स में लोगों की कमर का माप लिया जाएगा। साथ ही, BMI (बॉडी मास इंडेक्स) चेक किया जाएगा। इस अभियान में डॉक्टर्स, जनप्रतिनिधि, मेडिकल स्टाफ, मरीज और परिजनों की भी इंच ट
.
यह आयोजन स्वस्थ यकृत (लिवर) मिशन के तहत किए जा रहे हैं। इस कड़ी में दोपहर 1:30 बजे वेबिनार होगा। जिसमें पद्म भूषण डॉ. शिव कुमार सरीन दिल्ली से जुड़ेंगे। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल भी शामिल हो सकते हैं।
साइलेंट किलर का बढ़ रहा खतरा मोटापा, सुस्त जीवनशैली और असंतुलित खानपान अब केवल सौंदर्य या फिटनेस का मुद्दा नहीं रहा, यह खतरनाक साइलेंट किलर के रूप में उभर रहा है। मध्यप्रदेश में चल रहे स्वस्थ यकृत मिशन के तहत अब तक 8.5 लाख लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। चौंकाने वाले आंकड़ों के अनुसार, 19% पुरुष और 24% महिलाएं पहले ही फैटी लिवर के रेड जोन में पाई गई हैं।
यह बीमारी, जिसका नाम है नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD), दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही लिवर संबंधी बीमारी बन चुकी है। यदि मोटापा (पुरुषों में 90 सेंटीमीटर और महिलाओं में 84 सेंटीमीटर से अधिक का कमर का माप), आलसी दिनचर्या और खराब खानपान में से कोई दो फैक्टर आप से जुड़े हैं तो यह आपको भी हो सकता है। इसके गंभीर होने पर लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प रह जाता है।
आज यहां लगेंगे स्वास्थ्य यकृत मिशन कैंप
- जिला अस्पताल – 52
- सिविल अस्पताल – 161
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (30 बेड) – 348
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (6 बेड) – 1 हजार 442
- उप स्वास्थ्य केंद्र – 10 हजार 256
- पॉली क्लिनिक – 5
जागरूकता ही सबसे बड़ा उपचार नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की एमडी डॉ. सलोनी सिडाना ने बताया कि निरोगी काया अभियान हो या स्वस्थ यकृत मिशन, इनका मुख्य उद्देश्य मरीजों की पहचान से ज्यादा जागरूकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे पैरामीटर्स हैं, जिन्हें हर व्यक्ति पहचान कर खुद को और अपनों को जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से सुरक्षित रख सकता है।
इस मिशन के तहत कमर का माप, गर्दन के पीछे की त्वचा का निरीक्षण और बीएमआई चेक किया जा रहा है। जैसे बीपी और डायबिटीज की दवा एक बार शुरू होने पर अक्सर बंद नहीं होती, वैसे ही लिवर के रोगों में भी पहले से पता चलना और सुधार करना बेहतर विकल्प है, ताकि जीवन भर दवाइयों पर निर्भर न रहना पड़े।

30 वर्ष से अधिक आयु वालों पर विशेष ध्यान यह जांच अभियान विशेष रूप से 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए चलाया जा रहा है। इसमें हर व्यक्ति की ऊंचाई, वजन और कमर का माप लिया जा रहा है। जिससे फैटी लिवर के संभावित संदिग्धों की पहचान की जा सके और उन्हें आगे की जांच व डॉक्टरी सलाह के लिए भेजा जा सके।
फैटी लिवर के 3 ग्रेड और लक्षण
- ग्रेड वन (माइल्ड स्टेज): लिवर में 5 से 20 फीसदी चर्बी जमा होती है। इसमें कोई लक्षण नहीं दिखते और मरीज खुद को स्वस्थ महसूस करता है। यह स्टेज रिवर्स हो सकती है।
- ग्रेड टू (मॉडरेट स्टेज): लिवर में चर्बी की मात्रा 20 से 55 फीसदी तक होती है। इसमें थकान, हल्का पेट में भारीपन या असहजता महसूस हो सकती है। यह स्टेज भी रिवर्स हो सकती है।
- ग्रेड थ्री (सीवियर स्टेज): लिवर में 55 फीसदी से ज़्यादा फैट जमा हो चुका होता है। इस स्टेज में पेट में दर्द, सूजन और लिवर एंजाइम्स का स्तर बढ़ जाता है। इस स्टेज में उपचार मुश्किल माना जाता है।

लंबी सिटिंग वाले युवाओं को खतरा एम्स में बायोकेमिस्ट्री विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. सुखेस मुखर्जी ने बताया कि NAFLD के मामले पिछले 5 सालों में तेजी से बढ़ें है। खासकर आईटी सेक्टर में काम करने वाले, हॉस्टल में रहने वाले और लंबे समय तक सिटिंग लाइफस्टाइल वाले युवाओं में यह ज़्यादा देखने को मिल रहा है। चूंकि इसमें शुरुआती लक्षण नहीं होते, इसलिए इसकी पहचान देरी से होती है।

एम्स में फाइब्रोस्कैन मशीन लगाई गई है, जिससे फैटी लिवर की स्थिति और संबंधित बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। एम्स के डॉक्टरों के अनुसार, फैटी लिवर का सही समय पर पता न चलने से आगे चलकर लिवर सिरोसिस का खतरा बना रहता है।
घर पर भी संभव शुरुआती जांच जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि मोटापा, शुगर, हाई ब्लड प्रेशर और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी बीमारियों के कारण फैटी लिवर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते इसकी पहचान और इलाज हो जाए तो इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
व्यक्ति चाहें तो वे घर पर मधुमेह और बीपी की जांच के लिए मशीन रख सकते हैं, अन्यथा यह जांच जिला अस्पताल में मुफ्त में उपलब्ध है।