रविवार 4 मई को हुई NEET-UG 2025 की परीक्षा में समस्तीपुर में स्कॉलर बैठाने का मामला सामने आया। समस्तीपुर पुलिस ने एक डॉक्टर समेत 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। डॉक्टर का नाम रंजीत कुमार है, वो बेगूसराय जेल में पोस्टेड है। डॉक्टर रंजीत कुमार समस्तीपुर ज
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डॉक्टर रंजीत अकूत संपत्ति का मालिक है। बेलसंडी में करोड़ों की जमीन है, जबकि वारिसनगर के चारो गांव में भी 15-20 बीघा जमीन है, जो काफी महंगी है। इसके अलावा दलसिंहसराय में भी संपत्ति खरीद रखी है।
एग्जाम में सॉल्वर बैठाने के आरोपी डॉक्टर के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने बेगूसराय जेल के सुपरिटेंडेंट राजेश कुमार राय से बातचीत की। साथ ही उसके गांव में भी पड़ताल की।
पड़ताल में सामने आया कि, रंजीत कुमार समस्तीपुर के दलसिंहसराय में प्राइवेट क्लिनिक चलाता है। उसकी बहन जूही पटना पीएमसीएच में डॉक्टर है। जूही के पति भी डॉक्टर हैं। जूही की पिछले साल ही शादी हुई है।
पत्नी सोनी कुमारी भी मेडिकल से जुड़े प्रोफेशन की ट्रेनिंग ले रही है। वो दरभंगा की रहने वाली है। गांव के लोगों के मुताबिक, डॉक्टर रंजीत के साथ गिरफ्तार रामबाबू मलिक सोनी कुमार का पड़ोसी है। डॉक्टर रंजीत कुमार करीब 3 साल से बेगूसराय जेल में तैनात है।
डॉक्टर रंजीत कुमार के गांव के लोगों की मानें तो इसके पिता लक्ष्मी सिंह भी ग्रामीण चिकित्सक थे, जिनका निधन हो चुका है। दो भाई-बहनों में बड़े रंजीत कुमार ने 2017-18 में डॉक्टर की डिग्री ली थी।
विभूतिपुर में डॉक्टर रंजीत कुमार का घर।
प्राइवेट क्लिनिक के अलावा एजुकेशन कंसलटेंसी का भी कारोबार
रंजीत कुमार का एजुकेशन कंसलटेंसी का कारोबार है और वो जरूरतमंद बच्चों से मोटी रकम लेकर मेडिकल, इंजीनियरिंग, बीसीए, एमबीए, बीटेक, बीएड, डीएलएड आदि में एडमिशन कराता है।
ग्रामीणों की मानें तो रंजीत ने 100 से अधिक छात्र-छात्राओं का हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन करवा चुका है। गांव में किसी से मतलब नहीं रखता था। गांव के लोगों ने बताया कि, ‘रंजीत अपनी पहुंच के बल पर अच्छे-अच्छे इंस्टीट्यूट और बड़े-बड़े सरकारी संस्थानों में पैसे के बल पर छात्र-छात्राओं का एडमिशन करा देता है।’
रंजीत को जानने वाले बेगूसराय के एक डॉक्टर ने बताया कि जेल में कांट्रेक्ट के आधार पर बहाल हुआ था, लेकिन उसे देखकर ऐसा लगता था कि, मेडिकल सेक्टर से कोई लेना-देना नहीं है। वह सिर्फ जेल आता था और वापस चला जाता था, किसी से कोई मतलब नहीं रखता था।

गया मेडिकल कॉलेज से किया था MBBS
बेलसंडी गांव उप मुखिया राज बली राय ने बताया कि डॉक्टर रंजीत अपने ननिहाल में बसे हुए हैं। वे अपने पिता लक्ष्मी महतो के इकलौते बेटे हैं। रंजीत ने गया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढाई की है।
उनके पिता का काफी पहले निधन हो चुका है, जबकि पिछले साल जनवरी में मां का निधन हो गया था। मां के निधन के बाद से डॉक्टर रंजीत सप्ताह में दो दिन गांव में रहकर अपने क्लिनिक में मुफ्त में मरीजों का उपचार करते थे। वे शनिवार को आते थे, रविवार को मरीजों का उपचार कर सोमवार को लौट जाते थे।
अब जानिए, डॉक्टर के साथ पकड़े गए दरभंगा के युवक की कहानी
NEET परीक्षा में फर्जीवाड़ा के आरोप में दरभंगा के रहमगंज काली मंदिर के रहने वाले रामबाबू मलिक को भी समस्तीपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पड़ताल में पता चला कि रामबाबू मलिक किसी और छात्र की जगह परीक्षा देने गया था।
रामबाबू, सुरेश कुमार मलिक का बेटा है। रामबाबू के भाई दीपक कुमार ने बताया कि

मेरा भाई समस्तीपुर में मामा की सास के अंतिम संस्कार में गया था। वहां से लौटने के बाद एक डॉक्टर से मिलने गया। उसी दौरान पुलिस ने उसे पकड़ लिया। मेरे भाई को बेवजह फंसाया गया है। वो गलत नहीं है। बीए पास है, वो डॉक्टर की परीक्षा कैसे दे सकता है। उसे दुश्मनी में फंसाया गया है।
पिता बोले- बेटे ने गलत किया है, तो उसे सजा मिलनी चाहिए
रामबाबू की मां ने बताया कि मैं काफी बीमार रहती हूं। बेटे को निर्दोष बताते हुए रामबाबू की मां रोने लगती है। उन्होंने बताया कि अपने बड़े बेटे रामबाबू की शादी चार साल पहले की थी। लेकिन अब तक कोई संतान नहीं है।
पिता सुरेश कुमार मलिक ने कहा कि

अगर रामबाबू ने कुछ गलत किया है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। रामबाबू दरभंगा में नहीं, बल्कि समस्तीपुर में रहता है। किसके साथ रहता है, इसकी जानकारी नहीं है। कुछ दिन पहले घर आया था, फिर चला गया। डॉक्टर रंजीत कुमार से हमारा कोई संबंध नहीं है। हम तो उसका नाम पहली बार सुन रहे हैं, उसे बिल्कुल नहीं जानते हैं।

रामबाबू का छोटा भाई दीपक और उसकी मां।
DMCH का अधिकारी बताकर हाई प्रोफाइल लड़की से की शादी
भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि बीए पास रामबाबू को दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल यानी DMCH में दैनिक कर्मी के रूप में 15 साल पहले नौकरी मिली थी। उसकी तैनाती परीक्षा विभाग में थी। इसके बाद से वो मेडिकल और एमबीबीएस के छात्रों से काउंसिलिंग के दौरान मोटी रकम लेने लगा, जिसके बाद उसने काफी संपत्ति अर्जित की। खुद को डीएमसीएच का अधिकारी बता हाई प्रोफाइल लड़की से शादी भी की, लेकिन उसकी पत्नी को 4 दिन में ही सच्चाई का पता चल गया और वह उसको छोड़कर चली गई।
सामने आया कि साल 2023 में पारामेडिकल और एमबीबीएस के फर्जीवाड़ा की शिकायत डीएमसीएच प्रशासन से की गई थी। मामले में रामबाबू के खिलाफ सबूत मिलने के बाद उसे नौकरी से उसे निकाल दिया गया था, जिसके बाद कुछ दिनों तक रामबाबू ने प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता रहा।
NEET एग्जाम में सॉल्वर बैठाने का पुलिस को मिला था इनपुट
समस्तीपुर के ASP संजय पांडे ने बताया कि
पुलिस को रविवार को पटना से इनपुट मिला कि 4 मई यानी रविवार को हुए NEET एग्जाम में कुछ ओरिजिनल कैंडिडेट की जगह स्कॉलर को बैठाया गया है। इसके लिए ढाई से 5 लाख रुपए तक की डील हुई है। समस्तीपुर पुलिस ने जब जांच पड़ताल की तो मोहनपुर पुल के पास एक एग्जाम सेंटर के पास से डॉक्टर रंजीत कुमार और दरभंगा जिला के लहेरियासराय के रामबाबू मलिक को पकड़ा गया।

दोनों के मोबाइल की जांच हुई तो कुछ नीट छात्रों के एडमिट कार्ड मिले। पूछताछ में कुछ राज उजागर हुए हैं, जिसका खुलासा अभी पुलिस नहीं कर रही है। पुलिस ये भी नहीं बता रही है कि ढाई से पांच लाख रुपए तक लेने के बाद उसे कितना-कितना और किस-किस को दिया जाता था। समस्तीपुर पुलिस का कहना है कि टेक्निकल सर्विलांस समेत विभिन्न तरीके से जांच पड़ताल की जा रही है।
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रविवार 4 मई को हुई NEET-UG 2025 की परीक्षा में समस्तीपुर में स्कॉलर बैठाने का मामला सामने आया है। समस्तीपुर पुलिस ने एक डॉक्टर समेत 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने टेक्निकल सबूतों के आधार पर बेगूसराय जेल में पोस्टेड डॉक्टर रंजीत कुमार समेत 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 3 मोबाइल, 1 कार और 50 हजार कैश बरामद हुआ है। इसके अलावा कई छात्रों के एडमिट कार्ड भी मिले हैं। पूरी खबर पढ़ें