Tuesday, June 3, 2025
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‘OTT platforms acted as oxygen for the industry’ | ‘OTT प्लेटफॉर्म्स ने इंडस्ट्री के लिए ऑक्सीजन का काम किया’: परेश रावल बोले- फ्लॉप फिल्मों को बचाया, बदसूरत दुल्हन के लिए घूंघट का काम किया


1 घंटे पहलेलेखक: किरण जैन

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परेश रावल की फिल्म ‘स्टोरी टेलर’ हाल ही में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है, जिसमें वह एक कहानीकार का किरदार निभा रहे हैं।

इस फिल्म से जुड़ी कुछ खास बातें साझा करते हुए, परेश रावल ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने इंडस्ट्री में अच्छे राइटर्स की कमी, ओटीटी प्लेटफॉर्म, और बॉलीवुड बनाम साउथ जैसे टॉपिक पर भी अपने विचार साझा किए।

बेहतर कहानी का हिस्सा बनना सबसे बड़ी खुशी है

फिल्म ‘स्टोरी टेलर’ के बारे में परेश रावल बताते हैं, ‘इतनी बेहतरीन कहानी का हिस्सा बनना तो बहुत खुशी की बात है। यह ऐसे मौके होते हैं जो किसी की जिंदगी में बहुत कम आते हैं। और जब अच्छे लोगों के साथ काम करो, तो और भी मजा आता है – जैसे अच्छे डायरेक्टर, राइटर, एक्टर और प्रोड्यूसर।

वह कहते हैं, ‘जब सत्यजीत रे की कहानी पर काम करने का मौका मिलता है, तो यह एक गर्व की बात होती है। हम तो सर के बहुत बड़े फैन थे, उनके साथ काम नहीं कर पाए, लेकिन उनकी लिखी हुई कहानी में काम करने का मौका मिलना हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है।’

क्या बॉलीवुड में स्टोरी टेलर की कमी है?

जब परेश रावल से पूछा गया कि बॉलीवुड में स्टोरी टेलर की कमी हो रही है, क्योंकि आजकल रीमेक और सीक्वल्स पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, तो उन्होंने कहा, ‘हां, बिल्कुल। हमें और अच्छे स्टोरी टेलर की जरूरत है। बॉलीवुड में अच्छे लेखक बहुत कम हैं। एक समय था जब सलीम-जावेद जैसे बड़े लेखक थे, फिर कुछ वक्त के लिए यह सिलसिला थम सा गया था। अब धीरे-धीरे कुछ नए राइटर आ रहे हैं, लेकिन इसकी जरूरत अभी भी बहुत है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘देखिए, अगर आपके पास कहानी नहीं है तो कुछ भी नहीं है। आप कितना भी शानदार कैमरा वर्क, खूबसूरत हीरो-हीरोइन लाकर फिल्म बना लें, लेकिन अगर कहानी ही सही नहीं है, तो दर्शक कैसे जुड़ेंगे? कहानी सबसे जरूरी चीज है, और हमारे यहां अच्छे लेखक की बहुत कमी है।’

क्या परेश कभी राइटर या डायरेक्टर बनेंगे?

परेश रावल से पूछा गया कि अगर मौका मिला तो क्या वह राइटर या डायरेक्टर बनकर इंडस्ट्री में योगदान देंगे। इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं तो इंडस्ट्री में पहले से स्टोरीटेलर हूं। जो भी कहानी मैं करता हूं, वही मेरी अपनी स्टोरी बन जाती है। मेरा काम है उसे अच्छे से पेश करना और मैं उसी में पूरा फोकस करता हूं।’

वह मानते हैं, ‘राइटर या डायरेक्टर बनने का सवाल नहीं है, क्योंकि मैं जिस भूमिका में हूं, वही मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण होता है अपने काम को दिल से और सही तरीके से करना।

ओटीटी के बारे में क्या राय है?

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी राय रखते हुए रावल कहते हैं, ‘ओटीटी अच्छा है। ओटीटी ने तो हमारी इंडस्ट्री में ऑक्सीजन फूंक दी है। उन फिल्मों को बचाया है जो थिएटर में रिलीज होती तो एक पूरा शो भी नहीं चलता। ओटीटी ने जान बचाई है, इज्जत बचाई है। ओटीटी ने तो कई जगह पर बदसूरत दुल्हन के लिए एक घूंघट का काम किया है।’

बॉलीवुड vs साउथ: क्या है एक्टर की राय?

बॉलीवुड और साउथ फिल्मों के बीच की बहस हमेशा गर्म रहती है और कभी खत्म नहीं होती। इस पर परेश रावल कहते हैं, ‘बॉलीवुड vs साउथ का जो डिबेट है, मुझे समझ नहीं आता कि क्यों इसे इतना बढ़ा दिया जाता है। किसी ने इसे शुरू किया होगा, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है। असल में, यह सोचने का तरीका ही गलत है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत में चाहे कोई भी भाषा हो, सभी फिल्मों को हम भारतीय फिल्में ही मानते हैं। हमें एक-दूसरे से सीखना चाहिए, जैसे हम हॉलीवुड से सीखते हैं, वैसे ही साउथ फिल्मों से क्यों नहीं सीख सकते? यह जो रवैया है कि हम बॉलीवुड वाले महान हैं और साउथ वाले कमतर हैं, यह बिल्कुल गलत है।’

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