Thursday, March 20, 2025
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Papmochani Ekadashi 2025: कब है पापमोचनी एकादशी? नोट करें डेट, पूजा का मुहूर्त-विधि और व्रत पारण का समय



Papmochani Ekadashi 2025 Date: हिंदू धर्म में 15 मार्च से चैत्र माह (Chaitra Month Start 2025) की शुरुआत हो चुकी है। चैत्र माह में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है। इस महीने में एकादशी तिथि के पड़ने का भी बेहद खास महत्व होता है। जिसके तहत इस माह में सबसे पहले पापमोचनी एकादशी मनाई जाने वाली है। वैसे तो साल में 24 और महीने में 2 एकादशी तिथि पड़ी थी जिनके नामों के साथ-साथ उनका महत्व भी बेहद खास होता है।

वहीं, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। ऐसे में अगर आप भी भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने जा रहे हैं तो आपको सबसे पहले इसकी डेट के बारे में जान लेना चाहिए। आइए जानते हैं पापमोचिनी एकादशी से जुड़ी विभिन्न जानकारी।

पापमोचनी एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Papmochani Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि मंगलवार, 25 मार्च को सुबह 05 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर बुधवार, 26 मार्च को देर रात 03 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में 25 मार्च को पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाएगा। इस दिन साधक पूरे दिन भी कभी भी भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

पापमोचनी एकादशी 2025 व्रत पारण का समय (Papmochani Ekadashi 2025 Vrat Paran Ka Samay)

वहीं, पापमोचनी एकादशी व्रत के पारण करने का शुभ मुहूर्त 26 मार्च को दोपहर 01 बजकर 41 मिनट से 04 बजकर 08 मिनट तक रहने वाला है। इस मुहूर्त में आप कभी भी अपना व्रत खोल सकते हैं।  

पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि (Papmochani Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

  • पापमोचनी एकादशी की पूजा की तैयारी एक दिन पहले शुरू हो जाती है। व्रत से एक दिन पहले पूजा के स्थान को गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध किया जाता है।
  • इसके बाद उस जगह पर सप्त अनाज रखा जाता है। अब किसी भी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
  • अब पूजा स्थल पर सप्त अनाज के ऊपर तांबे या मिट्‌टी का कलश स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर लगाएं।
  • अब भगवान विष्णु को धूप, दीप, चंदन, फल-फूल और तुलसी आदि अर्पित करें।
  • पूजा के बाद विजया एकादशी की कथा का पाठ करें और भगवान विष्णु को किसी मिष्ठान का भोग लगाएं।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।



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