राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में रविवार को आयोजित ‘सृजन 2025’ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में प्रदेशभर से प्राप्त 1600 से अधिक प्रोजेक्ट्स में से 150 उत्कृष्ट नवाचारों को प्रदर्शनी में शामिल किया गया। इनमें से अंतिम चरण में
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समारोह में शामिल होने पहुंचे उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष विभाग मंत्री इंदर सिंह परमार स्टेज पर न जाकर पहले प्रदर्शनी में पहुंचे और छात्रों के प्रोटोटाइप व प्रोजेक्ट्स को बारीकी से देखा। इस दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स से उनके नवाचारों को लेकर कई सवाल किए। जैसे इनका विचार कहां से आया? और वे भविष्य में समाज या उद्योग के लिए कितने उपयोगी साबित होंगे?।
मंत्री परमार सबसे ज्यादा समय उस स्टॉल पर रुके, जिसमें पराली को सीमेंट में बदलने की प्रक्रिया प्रदर्शित की गई थी। उन्होंने खुद देखा कि यह नवाचार कैसे काम करता है? और इसकी तकनीकी क्षमता क्या है?। उन्होंने छात्रों की सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह प्रोजेक्ट न केवल पर्यावरण की दृष्टि से अहम है, बल्कि कचरा प्रबंधन और निर्माण क्षेत्र में भी क्रांति ला सकता है।
आरजीपीवी के कुलपति डॉ. राजीव त्रिपाठी ने घोषणा की कि चयनित नवाचारों को पेटेंट, स्टार्टअप और प्रोटोटाइप डेवलपमेंट के लिए सहयोग दिया जाएगा। जो प्रोजेक्ट्स अभी पुरस्कार तक नहीं पहुंचे हैं, उन्हें भी मेंटरशिप और दस्तावेजीकरण में मदद मिलेगी। समारोह में आईआईआईटी भोपाल के निदेशक डॉ. आशुतोष सिंह, कुलसचिव डॉ. मोहन सेन, यूआईटी निदेशक डॉ. सुधीर सिंह भदौरिया, विभिन्न संस्थानों के प्राध्यापक, छात्र और मेंटर्स मौजूद रहे।
1 मई को बताया देश की वैज्ञानिक शक्ति का प्रतीक
मंत्री परमार ने 11 मई की ऐतिहासिक अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि यही वह दिन है। जब भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया था। उस समय पूरी दुनिया ने इसका विरोध किया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्पष्ट किया था कि यह परीक्षण हमारी रक्षा आवश्यकताओं के लिए है, आक्रमण के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि आज छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए कई नवाचार भी रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं। जैसे ड्रोन, अल्ट्रासोनिक डिटेक्शन गन और अलर्ट सिस्टम। यह देखकर विश्वास हो गया है कि आत्मनिर्भर भारत का सपना जल्द ही पूर्ण रूप से साकार होगा।
प्रत्येक श्रेणी में 3 पुरस्कार प्रदान किए गए
प्रथम पुरस्कार : ₹20,000
द्वितीय पुरस्कार : ₹10,000
तृतीय पुरस्कार : ₹5,000
विजेता संस्थान: रूरल टेक्नोलॉजी – शहडोल यूनिवर्सिटी, जेएसटीपीजी बालाघाट, होलकर साइंस कॉलेज इंदौर, यूआईटी शिवपुरी, डॉ. भीमराव अंबेडकर पॉलिटेक्निक कॉलेज ग्वालियर और सागर इंस्टीट्यूट गांधीनगर शामिल रहे।
क्लीन एंड ग्रीन एनर्जी – वीआईटीएम ग्वालियर, महिला पॉलिटेक्निक जबलपुर, श्री वैष्णव पॉलिटेक्निक इंदौर, एनआईआईपीएस और एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट इंदौर को पुरस्कृत किया गया।
इंडस्ट्री – एमआईटीएस ग्वालियर, यूआईटी आरजीपीवी भोपाल, महिला पॉलिटेक्निक भोपाल, ज्ञान गंगा जबलपुर और जेएनएस कॉलेज शुजालपुर विजेता बने।
वेस्ट मैनेजमेंट – सागर पीएम कॉलेज, एसपीएम साइंस कॉलेज, श्री नीलकंठेश्वर खंडवा, पॉलिटेक्निक कॉलेज राजगढ़, आईपीएस इंदौर और बंसल इंस्टीट्यूट भोपाल को पुरस्कार मिले।
हेल्थ एंड लाइफ साइंस – एलएनसीटी भोपाल, पीएम एक्सीलेंस कॉलेज बालाघाट, प्रेस्टीज भोपाल, पं. शंभूनाथ शुक्ला शहडोल, यूआईटी आरजीपीवी और आईआईएसटी इंदौर को सम्मानित किया गया।
स्मार्ट एजुकेशन – ज्ञान गंगा जबलपुर, यूआईटी भोपाल, वीएनएस भोपाल, एमिटी भोपाल और मालवा इंस्टीट्यूट को पुरस्कृत किया गया।
प्रदर्शनी में कई रोचक और जीवन को सरल बनाने वाले नवाचार प्रस्तुत किए गए
- शुगर ब्रीथ एसीटोन 3.0: बिना सुई के फूंक से ब्लड शुगर का पता लगाना।
- अल्ट्रासोनिक बैसाखी: नेत्रहीनों के लिए लोकेशन ट्रैकिंग और ऑब्जेक्ट डिटेक्शन।
- इंसेक्ट एंड केमिकल डिटेक्टर: फल-सब्जियों में कीट और केमिकल की पहचान।
- स्मार्ट सिंचाई प्रणाली: खेतों में नमी के अनुसार जल वितरण।
- बोरवेल रेस्क्यू रोबोट: बच्चों को गहराई से निकालने के लिए डिजाइन किया गया।
- वायरलेस ईवी चार्जिंग सिस्टम: चलते वाहन को चार्ज करने की नई तकनीक।