नई दिल्ली29 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- POSH का पालन नहीं होना राज्यों की कार्यशैली पर खराब असर डालता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वर्कप्लेस पर महिलाओं के प्रिवेंशन ऑफ सेक्शुअल हैरेसमेंट एक्ट (PoSH) 2013 के लिए इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) बनाने की निर्देश दिया है।
जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच का ये निर्देश गोवा यूनिवर्सिटी के पूर्व विभागाध्यक्ष ऑरेलियानो फर्नांडीस की याचिका पर आया।
उन्होंने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 को केंद्र और राज्य सरकारों को ये वेरिफाई करने को कहा गया था कि क्या वर्कप्लेस पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोपों की जांच के लिए सभी मंत्रालयों और विभागों में पैनल गठित किए गए हैं या नहीं।
इसके साथ ही फर्नांडीस ने उन पर लगे सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोपों पर बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा- प्रिवेंशन ऑफ सेक्शुअल हैरेसमेंट एक्ट (PoSH) 2013 में आया था। इतने वक्त बाद भी इसे लागू करने में इतनी गंभीर खामियां मिलना चिंताजनक है। ऐसा होना बहुत ही ज्यादा दुखद है। क्योंकि इसका राज्यों की कार्यशैली, पब्लिक अथॉरिटी और पब्लिक संस्थानों पर खराब असर पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट खारिज किया बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश ऑरेलियानो फर्नांडीस को यूनिवर्सिटी की डिसिप्लिनरी कमेटी ने नौकरी से हटा दिया था और भविष्य में दोबारा कभी काम पर न रखने कहा था। इस आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जारी रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जांच के दौरान चूक हुई। जिससे नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ। इसलिए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है।
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