Shani Dev Puja: हिंदू धर्म में भगवान शनि देव (Shani Dev) को एक विशेष स्थान प्राप्त है। शनि देव को कर्म फल दाता और न्याय का देवता भी कहा जाता है। माना जाता है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसे दंड या फल देते हैं। शनिदेव की एक नजर किसी भी व्यक्ति को रंक या राजा बना सकती है।
वहीं, जिन लोगों की कुंडली में साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष का प्रभाव होता है, उन्हें शनिवार के दिन भगवान शनि की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। अगर आप शनिदेव की पूजा पूरे विधि-विधान से करते हैं तो आपको इन सभी दोषों और जीवन में चल रहे विभिन्न कष्टों और परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। तो चलिए जानते हैं कि आप शनिवार के दिन किस पूजा विधि के साथ भगवान शनि की उपासना कर सकते हैं।
शनिदेव की पूजा करने की सही विधि (Shani Dev Puja Vidhi)
शनि बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः।
शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि का वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
शनि गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
तांत्रिक शनि मंत्र- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
शनि दोष निवारण मंत्र- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।
शनि देव के अन्य मंत्र
1. ॐ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
2. सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय:।
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
तन्नो मंद: प्रचोदयात।।
3. ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।