षटतिला एकादशी पर विष्णु आरती | Image:
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Vishnuji ki Aarti: आज यानी शनिवार के दिन षटतिला एकादशी मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में षटतिला एकादशी का बेहद खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा किए जाने का विधान है। माना जाता है कि जो साधक इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ व्रत भी करता है उस पर विष्णुजी और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
ऐसे में अगर आप भी आज विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनका व्रत और पूजा करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको आज के दिन विष्णुजी की इस आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे आपकी हर मनोकामना पूरी होगी साथ ही आपके सभी दुखों का नाश भी होगा। तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं विष्णुजी की आरती के बारे में।
षटतिला एकादशी पर विष्णु आरती (Vishnu Aarti on Shattila Ekadashi)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे,
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे…
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे…
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे…
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
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