आज ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि है और पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा अपने पूरे प्रभाव में होता है. हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व है, साथ ही आज की रात आकाशदर्शियों के लिए भी बेहद खास होने वाली है क्योंकि आज की रात आसमान में रहस्यमयी स्ट्रॉबेरी मून देखने को मिलेगा, फिर साल 2043 तक ऐसा नजारा देखने को मिलेगा. स्ट्रॉबेरी मून भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में देखने को मिलेगा. जैसे ही आज सूरज डूबेगा, रात के पहले पहर में यह पूर्णिमा का चांद अपने खास रूप में चमकता नजर आएगा. यह आम चांद जैसा नहीं होता, इसमें हल्की गुलाबी या सुनहरी आभा होती है, जो इसे और भी रहस्यमय बनाती है.
आज पूर्णिमा का चंद्रमा अपने चरम पर होगा और अपनी किरणों से लोगों को शीतलता और मानसिक सुकून देगा. भारत में स्ट्रॉबेरी मून देखने का आदर्श समय आज सूर्यास्त के बाद होगा. चंद्रमा दक्षिण-पूर्वी क्षितिज पर नीचा दिखाई देगा, जो गोधूलि के दौरान एक गर्म चमक बिखेरेगा. सबसे अच्छा अनुभव पाने के लिए, बस एक खुला क्षेत्र खोजें जहां प्रकाश प्रदूषण कम हो. इससे आकाश में साफ दृश्य देखने मिलेगा. करीब से देखने के लिए, अनुभव को और भी आनंददायक बनाने के लिए दूरबीन या टेलीस्कोप का उपयोग करने पर विचार करें. यह दुर्लभ घटना हर 18.6 साल में होती है और इसके प्रभाव पूर्णिमा के दौरान सबसे अधिक दिखाई देता हैं. आज के बाद साल 2043 में स्ट्रॉबेरी मून देखने को मिलेगा.
अन्य पूर्ण चंद्रमा कौन से हैं?
स्ट्रॉबेरी मून शब्द मौसमी घटनाओं के आधार पर प्रत्येक पूर्ण चंद्रमा का नाम रखने की एक बड़ी परंपरा का हिस्सा है. इनमें शामिल हैं:
स्नो मून (फरवरी): भारी सर्दियों की बर्फ का संकेत
वर्म मून (मार्च): नरम मिट्टी में केंचुओं के उभरने का समय
पिंक मून (अप्रैल): गुलाबी जंगली फूलों के खिलने का संकेत, वास्तविक गुलाबी रंग नहीं
स्ट्रॉबेरी मून: पारंपरिक रूप से स्ट्रॉबेरी की फसल के मौसम का संकेत
हार्वेस्ट मून (सितंबर/अक्टूबर): सितंबर का पूर्ण मकई चंद्रमा, जब गर्मी के मौसम के अंत में फसलें इकट्ठी की जाती हैं
कोल्ड मून (दिसंबर): सर्दियों के आगमन के कारण दिसंबर के पूर्ण चंद्रमा का नाम कोल्ड मून रखा गया है.
क्यों कहा जाता है स्ट्रॉबेरी मून?
जून माह की आखिरी पूर्णिमा यानी आज की रात स्ट्रॉबेरी मून देखा जाएगा. इस साल यह एक माइक्रो मून भी होगा, जो पृथ्वी से थोड़ा अधिक दूर होने के कारण सामान्य से थोड़ा छोटा और धुंधला भी दिखाई देगा. इस बार का स्ट्रॉबेरी मून सिर्फ नाम या रंग की वजह से नहीं, बल्कि इसके माइक्रो मून और मेजर लूनर स्टैंडस्टिल की वजह से भी बेहद खास है. हालांकि, इसका रंग स्ट्रॉबेरी जैसा नहीं होता, लेकिन इसका नाम अमेरिकी आदिवासी परंपराओं से जुड़ा है, जहां जून में स्ट्रॉबेरी की कटाई की शुरुआत इसी पूर्णिमा के बाद होती थी. इस वर्ष चंद्रमा पृथ्वी से सबसे अधिक दूरी पर होगा, जिसके कारण यह सामान्य से छोटा और नीचा दिखेगा. भारत में स्ट्रॉबेरी मून को सूर्यास्त के बाद दक्षिण-पूर्व दिशा में देखा जा सकता है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे शहरों में यह दृश्य रात 7 बजे के बाद दिखाई देगा.
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से खास
ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि पूर्णिमा की रात मानसिक ऊर्जा के लिए बेहद खास होता है और ध्यान, साधना या किसी नई शुरुआत के लिए उत्तम समय होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आज ज्येष्ठ पूर्णिमा है, जो गंगा स्नान, दान और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है. इस दिन वट सावित्री व्रत भी कई महिलाएं करती हैं. जब धार्मिक परंपराएं और खगोलीय घटना एक साथ हों, तो रात कुछ और ही मायने रखती है.