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The film introduces the heroic saga of Border Security Force soldiers, Emraan Hashmi played the character with passion, the screenplay is a bit weak | मूवी रिव्यू- ग्राउंड जीरो: सीमा सुरक्षा बल के जवानों की शौर्यगाथा से रूबरू कराती फिल्म, इमरान हाशमी ने शिद्दत से निभाया किरदार, स्क्रीनप्ले थोड़ा कमजोर


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48 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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इमरान हाशमी की फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह बीएसएफ के अब तक के सबसे बड़े मिशन पर बनी एक गंभीर और असरदार फिल्म है। तेजस प्रभा विजय देउस्कर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में इमरान हाशमी के अलावा साई ताम्हणकर, जोया हुसैन, मुकेश तिवारी, दीपक परमेश, ललित प्रभाकर, रॉकी रैना और राहुल वोहरा की अहम भूमिका है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 14 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी क्या है?

फिल्म की कहानी है बीएसएफ अफसर नरेंद्र नाथ धर दुबे (NND Dubey) की, जिन्होंने 2001 के संसद हमले के मास्टरमाइंड राणा ताहिर नदीम उर्फ गाजी बाबा को मार गिराने वाले मिशन की अगुवाई की थी। 2003 में किए गए इस खुफिया ऑपरेशन को बीएसएफ के इतिहास में सबसे बड़ी सफलता माना जाता है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे दुबे और उनकी टीम ने सूझबूझ और हिम्मत के साथ इस मिशन को अंजाम दिया। यह फिल्म देशभक्ति और रियलिज्म के बीच की एक बारीक लकीर पर चलती है।

स्टार कास्ट की एक्टिंग कैसी है?

इमरान हाशमी ने NND Dubey के किरदार को पूरी शिद्दत से निभाया है। उनकी आंखों और आवाज में वो गहराई झलकती है जो इस किरदार की मांग थी। इमोशनल और इंटेंस सीन में इमरान जान फूंकते हैं। सई ताम्हणकर ने भी अपने सीमित स्क्रीन टाइम में प्रभाव छोड़ा है। बाकी कलाकारों में जोया हुसैन, मुकेश तिवारी, दीपक परमेश, ललित प्रभाकर, रॉकी रैना और राहुल वोहरा ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।

फिल्म का डायरेक्शन कैसा?

तेजस प्रभा विजय देउस्कर का निर्देशन रियलिस्टिक अप्रोच लिए हुए है। फिल्म में न ही जरूरत से ज्यादा देशभक्ति भरी डायलॉग बाज़ी है और न ही किसी को सुपरहीरो बनाकर पेश किया गया है। बीएसएफ जवानों के असली संघर्ष और हकीकत को दिखाने की कोशिश की गई है। फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी ग्रिपिंग है, लेकिन इंटरवल के बाद रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाती है। क्लाइमैक्स फिर से फिल्म को संभाल लेता है। स्क्रीनप्ले में थोड़ी कसावट की कमी है, कुछ सीन्स को छोटा किया जा सकता था।

फिल्म का म्यूजिक कैसा है?

इमरान हाशमी की फिल्मों से दर्शकों को हमेशा बेहतरीन गानों की उम्मीद होती है, लेकिन ‘ग्राउंड जीरो’ एक अलग जोनर की फिल्म है। यहां गानों की गुंजाइश नहीं थी। फिल्म में कुछ गाने बैकग्राउंड में चलते हैं, लेकिन वो भी प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक भी औसत ही है, जो सीन को पूरी तरह उठा नहीं पाता।

फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं

अगर आप देश के उन सच्चे सिपाहियों की कहानी देखना चाहते हैं।जिनका नाम अक्सर सुर्खियों में नहीं आता, लेकिन जिनकी वजह से हम चैन की नींद सोते हैं, तो ये फिल्म जरूर देखें। ‘ग्राउंड जीरो’ बीएसएफ के पराक्रम और जज्बे को एक अलग और रियल अंदाज में पेश करती है, जो देखे जाने के काबिल है।



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