Tuesday, March 18, 2025
Tuesday, March 18, 2025
HomeविदेशUS में बुजुर्ग ग्रीनकार्ड होल्डर्स पर कार्ड लौटाने का दबाव: इमिग्रेशन...

US में बुजुर्ग ग्रीनकार्ड होल्डर्स पर कार्ड लौटाने का दबाव: इमिग्रेशन वकीलों का दावा- एयरपोर्ट पर रातभर कस्टडी में रख रहे; इनमें भारतीय भी शामिल


वॉशिंगटन डीसी2 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
वकीलों ने सलाह दी है कि किसी भी तरह के दबाव में आकर अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर लोग अपना ग्रीन कार्ड सरेंडर न करें। - Dainik Bhaskar

वकीलों ने सलाह दी है कि किसी भी तरह के दबाव में आकर अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर लोग अपना ग्रीन कार्ड सरेंडर न करें।

अमेरिका में ग्रीन कार्ड होल्डर्स को परेशान किए जाने के मामले सामने आ रहे हैं। कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन अफसर ग्रीन कार्ड होल्डर्स पर दबाव बना रहे हैं कि वे अपना ग्रीन कार्ड लौटा दें। इनमें भारतीय भी शामिल हैं।

इमिग्रेशन से जुड़े मामलों के कई वकीलों ने बताया कि एयरपोर्ट्स पर इन ग्रीन कार्ड होल्डर्स से पूछताछ की जा रही है। इन्हें रातभर कस्टडी में रखा जा रहा है। ऐसे बुजुर्ग ज्यादा निशाने पर हैं, जो अपने बच्चों के साथ अमेरिका में रहते हैं, लेकिन सर्दियों में वे भारत चले जाते हैं।

वकीलों ने सलाह दी है कि किसी भी तरह के दबाव में आकर लोग अपना ग्रीन कार्ड एयरपोर्ट पर सरेंडर न करें। ग्रीन कार्ड धारकों के पास ये अधिकार होता है कि उनके केस की सुनवाई इमिग्रेशन जज के सामने हो।

एक वकील ने बताया कि कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन अधिकारी किसी का ग्रीन कार्ड तब तक रद्द नहीं कर सकते हैं, जब तक वो खुद इसे सरेंडर न करे।

वकील बोले- इंडियन बुजुर्ग अधिकारियों के निशाने पर टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वकीलों ने कहा कि इमिग्रेशन और नेशनैलिटी एक्ट के तहत एक ग्रीन कार्ड होल्डर 180 से ज्यादा दिन तक अमेरिका से बाहर रहता है तो उसे री-एडमिशन कराना होता है।

उसका कार्ड रद्द होने की स्थिति तब बनती है, जब वह एक साल यानी 365 दिन से ज्यादा वक्त तक अमेरिका से बाहर रहे। ऐसे में सर्दियों में ऐसे ग्रीन कार्ड होल्डर्स के भारत में रहने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। अफसरों के निशाने पर ज्यादातर ऐसे ही बुजुर्ग हैं।

वकील बोले- अफसर खुद को जज समझ रहे एक वकील अश्विन शर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मैं ऐसे कई मामले देख रहा हूं, जिसमें ऐसे बजुर्ग भारतीयों पर फॉर्म I-407 पर दस्तखत करने का दबाव बनाया जा रहा है जो थोड़ा ज्यादा वक्त अमेरिका से बाहर रहे। ये फॉर्म कहता है कि दस्तखत करने वाला अपनी मर्जी से स्थायी निवासी का दर्जा (ग्रीन कार्ड) छोड़ रहा है।

अगर ऐसे लोग विरोध करते हैं तो उन्हें कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन अधिकारी हिरासत में रखने या बाहर भेज दिए जाने का डर दिखा रहे हैं। ये अधिकारी खुद को जज समझ रहे हैं, क्योंकि उन्हें ट्रम्प की नीतियों से साहस मिला है।

US उप-राष्ट्रपति ने कहा था- ग्रीनकार्ड होल्डर्स को हमेशा रहने का अधिकार नहीं 2 दिन पहले अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा था कि ग्रीन कार्ड होल्डर्स हमेशा के लिए अमेरिका में नहीं रह सकते हैं। ग्रीन कार्ड रखने का मतलब यह नहीं है कि किसी को जिंदगी भर के लिए अमेरिका में रहने का अधिकार मिल गया है। सरकार के पास ग्रीन कार्ड होल्डर्स को निकालने का अधिकार है।

क्या है ग्रीन कार्ड

ग्रीन कार्ड को कानूनी तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के नाम से जाता है। इससे अमेरिका में परमानेंट तौर पर रहने और काम करने का अधिकार मिलता है, बशर्ते व्यक्ति ऐसे अपराध में शामिल न हो जिससे इमिग्रेशन कानूनों का उल्लंघन होता हो। ग्रीन कार्ड मिलने के 3 से 5 साल के अंदर कोई व्यक्ति अमेरिका की परमानेंट रेजिडेंसी के लिए अप्लाई कर सकता है।

ग्रीन कार्ड के इंतजार में 12 लाख भारतीय

अमेरिका में ग्रीन कार्ड रखने वाले लोगों में मेक्सिको के बाद भारतीय दूसरे नंबर पर हैं। USA फैक्ट्स के मुताबिक, 2013 से 2022 तक अमेरिका में 7.16 लाख भारतीयों को ग्रीनकार्ड मिला है। 2022 में 1.27 लाख भारतीयों को ग्रीन कार्ड मिला है। इनके अलावा 12 लाख से ज्यादा भारतीय प्रवासी ग्रीन कार्ड की वेटिंग लिस्ट में हैं।

खबरें और भी हैं…



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular