काराकास22 घंटे पहले
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अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मदुरो की गिरफ्तारी पर 5 करोड़ डॉलर, यानी 418 करोड़ इनाम रखा है।
ट्रम्प प्रशासन ने आरोप लगाया है कि मदुरो दुनिया के सबसे बड़े नार्को-तस्करों में से एक हैं। मुदरो पर आरोप है कि वे ड्रग कार्टेल के साथ मिलकर अमेरिका में फेंटानिल मिला कोकीन भेज रहे हैं।
अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी ने गुरुवार को इनाम की घोषणा करते हुए कहा,

राष्ट्रपति ट्रम्प के नेतृत्व में मदुरो न्याय से नहीं बच पाएंगे और उन्हें अपने अपराधों के लिए जवाब देना होगा।
बॉन्डी ने कहा कि न्याय विभाग ने मदुरो से जुड़े 70 करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति जब्त की है। इसमें दो प्राइवेट जेट भी शामिल हैं।
मदुरो पर 2020 में नार्को टेररिज्म के आरोप लगे थे
मदुरो पर 2020 में मैनहैटन की संघीय अदालत में नार्को-टेररिज्म और कोकीन तस्करी की साजिश के आरोप तय किए गए थे।
उस समय ट्रम्प प्रशासन ने उनकी गिरफ्तारी पर 1.5 करोड़ डॉलर का इनाम रखा था। इसे बाद में बाइडेन प्रशासन ने बढ़ाकर 2.5 करोड़ डॉलर कर दिया। यही इनाम अमेरिका ने 9/11 हमलों के बाद ओसामा बिन लादेन की गिरफ्तारी पर रखा था।
मदुरो 2013 से वेनेजुएला की सत्ता में बने हुए हैं। अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और लैटिन अमेरिकी देश उन पर चुनावों में धोखाधड़ी का आरोप लगाते रहे हैं। 2024 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में इन देशों ने मदुरो पर धांधली का आरोप लगाया था।

धांधली के आरोपों को लेकर वेनेजुएला में लोगों ने प्रदर्शन भी किए थे। (फाइल फोटो)
अमेरिका ने वेनेजुएला पर कई प्रतिबंध लगाए हैं
वेनेजुएला और अमेरिका के बीच कई दशकों से राजनीतिक मतभेद रहे हैं। वेनेजुएला, अमेरिकी की पूंजीवादी और विदेश नीतियों को लेकर आलोचना करता है, तो वहीं अमेरिका, वेनेजुएला में मानवाधिकार के उल्लंघन पर नाराजगी जताता रहा है।
लगभग 100 साल पहले वेनेजुएला में तेल भंडारों की खोज हुई थी। तेल की खोज होने के 20 साल बाद ही वेनेजुएला दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देशों में से एक बन गया। उसे लैटिन अमेरिका का सऊदी अरब कहा जाने लगा।
1950 के दशक में वेनेजुएला दुनिया का चौथा सबसे धनी देश था, लेकिन आज इस देश की हालत खराब हो चुकी है। देश की 75 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है। BBC के मुताबिक पिछले 7 साल में करीब 75 लाख लोग देश छोड़कर चले गए हैं।
दरअसल, वेनेजुएला लगभग पूरी तरह से तेल पर निर्भर था। 80 के दशक में तेल की कीमतें गिरने लगीं। कीमतों में गिरावट ने वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था को भी नीचे ला दिया। सरकारी नीतियों की वजह से वेनेजुएला अपना कर्ज चुकाने में फेल होने लगा।
बाद में तेल के दाम बढ़े भी तो वह इसका फायदा नहीं उठा सका। 2015 में अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से वेनेजुएला की हालत और खराब हो गई है।