श्रीनगर2 मिनट पहले
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अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार ने पूरे यात्रा मार्ग को ‘नो फ्लाइंग जोन’ घोषित किया है। यह फैसला पहलगाम हमले को ध्यान में रखकर लिया गया है।
इसके तहत अमरनाथ यात्रा के पहलगाम और बालटाल वाले दोनों रास्तों पर हर तरह के हवाई उपकरण- ड्रोन, यूएवी (UAVs), और गुब्बारे प्रतिबंधित रहेंगे। यह फैसला 1 जुलाई से 10 अगस्त तक प्रभावी रहेगा। यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगी।
हालांकि, ये प्रतिबंध मेडिकल इवैक्युएशन, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा बलों की तरफ से की जा रही निगरानी उड़ानों पर लागू नहीं होंगे। इनके लिए एक अलग स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जल्द ही जारी की जाएगी।

अमरनाथ यात्रा के दो रूट हैं…
पहलगाम रूट: इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है।
तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पर पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है।
बालटाल रूट: अगर वक्त कम हो, तो बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए बालटाल रूट सबसे मुफीद है। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है। इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर रास्ते संकरे और मोड़ खतरे भरे हैं।
