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इजराइल ने ईरान पर हमला किया: राजधानी तेहरान में जोरदार धमाके, ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ के मारे जाने की खबर


तेहरान/तेल अवीव4 मिनट पहले

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ईरान की तेहरान में इजराइल के हमले के बाद बिल्डिंग में आग लगी। - Dainik Bhaskar

ईरान की तेहरान में इजराइल के हमले के बाद बिल्डिंग में आग लगी।

इजराइल ने शनिवार तड़के ईरान पर हमला कर दिया है। इजराइल के रक्षा मंत्री ने कहा कि उनके देश के फाइटर्स प्लेन ने ईरान पर हमला किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी मारे गए हैं।

माना जा रहा है कि ईरान इसका जवाब देगा और पिछले साल की तरह बड़ी संख्या में बैलिस्टिक मिसाइलें दाग सकता है। इजराइल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने देश में इमरजेंसी घोषित कर दी है। इजराइल ने अगले आदेश तक अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही जवाबी हमले की आशंका है। यरुशलम और अन्य शहरों में सायरन बजे रहे हैं।

तेहरान के लोगों ने बताया कि उन्हें तेज धमाकों की आवाजें सुनाई दीं। एक ईरानी अधिकारी ने कहा कि उनके लड़ाकू विमान इजराइली विमानों को रोकने के लिए उड़े हैं। मोहम्मद जमाली नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने चितगर झील के पास एक छत से तेजी से उड़ते दो जेट देखे, जो पास के मिलिट्री ठिकानों पर हमला कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “मैंने पूर्वी तेहरान में दो मिलिट्री ठिकानों से आग और धुआं उठते देखा।” अमेरिका के इजराइल में राजदूत माइक हकबी ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि वह यरुशलम में अमेरिकी दूतावास में हैं और हालात पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।

ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी।

ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी।

इजराइल में स्कूल-ऑफिस बंद

इजराइली सेना ने स्थानीय समयानुसार शुक्रवार रात 3 बजे ऐलान किया कि पूरे देश में स्कूल बंद रहेंगे, भीड़ जमा करने पर रोक रहेगी। जरूरी ऑफिस को छोड़कर सभी कार्यालय बंद रहेंगे। यरुशलम में सायरन बजने के बीच 100 से ज्यादा लोग एक अंडरग्राउंड पार्किंग में छिपे हुए हैं।

पिछले कुछ दिनों में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत में देर हुई है, जिससे क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा था। (फाइल फोटो)

पिछले कुछ दिनों में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत में देर हुई है, जिससे क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा था। (फाइल फोटो)

ट्रम्प बोले- हालात खराब हो सकते हैं, इसलिए सैनिक हटा रहे

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि अमेरिका मिडिल-ईस्ट के कुछ देशों से अपने सैनिकों को हटा रहा है, क्योंकि वहां हालात खतरनाक हो सकते हैं।

ट्रम्प ने कहा,

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हमने नोटिस दे दिया है कि सैनिकों को हटाया जाए। ये इलाके खतरनाक बन सकते हैं, आगे क्या होता है, देखते हैं।

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दूसरी तरफ ट्रम्प ने ईरान के परमाणु हथियारों से जुड़े कार्यक्रम को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “ईरान को परमाणु हथियार नहीं मिल सकते। बहुत सीधी बात है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।”

इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय और सेना ने यह साफ किया था कि इस क्षेत्र से गैर-जरूरी स्टाफ और उनके परिवार को हटा दिया जाएगा, ताकि किसी बड़े संकट की स्थिति में नुकसान से बचा जा सके।

इसके साथ ही बहरीन और कुवैत में मौजूद गैर-जरूरी स्टाफ और उनके परिवारों को भी वापस लौटने की छूट दी गई है।

इसके साथ ही बहरीन और कुवैत में मौजूद गैर-जरूरी स्टाफ और उनके परिवारों को भी वापस लौटने की छूट दी गई है।

ईरान बोला- परमाणु डील पर आरोप लगाए तो देंगे कड़ा जवाब

ईरान के विदेश मंत्री और वरिष्ठ राजनयिक अब्बास अराघची ने बुधवार को यूरोपीय देशों को चेतावनी दी है कि अगर वे ईरान के खिलाफ परमाणु कार्यक्रम पर किसी भी तरह का प्रस्ताव पास करते हैं, तो ईरान उसकी कड़ी प्रतिक्रिया देगा। यह बयान IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) की जून बैठक से पहले आया है।

अराघची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा

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ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस (E3 देश) को याद दिला दूं कि उन्हें JCPOA (2015 परमाणु समझौता) को लागू करने के लिए 7 साल मिले थे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। ये देश जानबूझकर या अपनी कमियों के चलते समझौते को लागू करने में नाकाम रहे। अब ये देश उल्टा ईरान पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जबकि हमने तो सिर्फ अपने अधिकारों का इस्तेमाल किया है।

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अराघची ने यह भी कहा कि अगर ईरान के खिलाफ कोई अन्यायपूर्ण और बेबुनियाद प्रस्ताव पास किया गया, तो इसका अंजाम यूरोप को भुगतना पड़ेगा।

अराघची ने E3 देशों को चेतावनी दी कि ईरान की प्रतिक्रिया बहुत सख्त होगी, जिसकी जिम्मेदारी खुद इन देशों पर होगी।

अराघची ने E3 देशों को चेतावनी दी कि ईरान की प्रतिक्रिया बहुत सख्त होगी, जिसकी जिम्मेदारी खुद इन देशों पर होगी।

ईरान, अमेरिका और इजराइल के बीच परमाणु विवाद क्या है?

अमेरिका और इजराइल लगातार ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए हैं। दरअसल ईरान कई सालों से परमाणु तकनीक पर काम कर रहा है।

उसका दावा है कि वह इस तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ बिजली बनाने और मेडिकल साइंस में कर रहा है। लेकिन अमेरिका और इजराइल को शक है कि ईरान चोरी-छिपे परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है।

अमेरिका को डर है कि अगर ईरान के पास परमाणु बम आ गया, तो वह खाड़ी देशों, इजराइल और अमेरिकी ठिकानों के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा। इसलिए अमेरिका नहीं चाहता कि ईरान इस दिशा में आगे बढ़े।

2015 में अमेरिका ने ईरान और कुछ अन्य देशों के साथ मिलकर JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) नाम की एक परमाणु डील की थी। इसके तहत ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगानी थी, और बदले में उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध हटाए गए थे।

ट्रम्प ने पहले कार्यकाल में परमाणु डील तोड़ दी थी

2018 में डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका को JCPOA डील से बाहर निकाल लिया। ट्रम्प का कहना था कि यह डील ईरान को प्रतिबंधों में छूट देती है लेकिन उसके परमाणु हथियार बनाने के इरादे को नहीं रोक सकती। इसके बाद अमेरिका ने फिर से ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए।

ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई में डील के नियमों का उल्लंघन शुरू कर दिया। उसने यूरेनियम संवर्धन की सीमा तोड़ दी।

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इजराइल और ईरान से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…

ट्रम्प ने नेतन्याहू से गाजा जंग खत्म करने को कहा:ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले को मंजूरी नहीं, बातचीत जारी रखना चाहते हैं ट्रम्प

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