Wednesday, June 18, 2025
Wednesday, June 18, 2025
Homeराज्य-शहरकांग्रेस विधायक बोले-रानी लक्ष्मीबाई ने आत्महत्या की थी: फूलसिंह बरैया ने...

कांग्रेस विधायक बोले-रानी लक्ष्मीबाई ने आत्महत्या की थी: फूलसिंह बरैया ने कहा- रोज 10 लड़कियां आत्महत्या कर रहीं, उन्हें भी वीरांगना कहो – Bhopal News



दतिया जिले के भांडेर से कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया का एक वीडियो भाजपा के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर किया है। इस वीडियो में बरैया कहते नजर आ रहे हैं-

.

“खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसी वाली रानी है। बुंदेलों के हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी है। सुनी ही है, ये तो लिखी भी नहीं। काहे को सुनते हो तुम! युद्ध का मैदान झांसी में था और लक्ष्मीबाई मरी थीं ग्वालियर में आत्महत्या करके।

आत्महत्या करने वाले को कभी वीरांगना कहा तो फिर रोज 10 लड़कियां आत्महत्या कर रही हैं, उनको भी लिखो वीरांगना। दिमाग से सोचिए आप।

लोकेंद्र पाराशर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा- महारानी लक्ष्मीबाई ने आत्महत्या की थी, इस नेता का यह बयान माफ करने योग्य नहीं है। 18 जून को महारानी की पुण्यतिथि है, इस अवसर पर मैं इस ‘काली जुबान’ की तीखे शब्दों में निंदा करता हूं।”

फूल सिंह बरैया से दैनिक भास्कर ने फोन पर बयान के संदर्भ में जानकारी ली।

सवाल- आपका एक वीडियो बीजेपी नेता ने शेयर किया है। वो वीडियो कब का है। जवाब- वो वीडियो बहुत पुराना है। मेरे ख्याल से दस साल पुराना है।

सवाल- आपने रानी लक्ष्मीबाई को लेकर जो कहा था उसका संदर्भ क्या है? जवाब- उसका संदर्भ ये था कि झांसी एक राज्य है तो वहां झांसी में भी लोग अपने महापुरुषों को मानते ही हैं। तो झांसी में एक झलकारी बाई कोरी नाम की एक इनकी ही सहयोगी लड़ाई लड़ी थी। उसका नाम इतिहासकारों ने नहीं लिखा। जो लड़ाई लड़ी और रानी लक्ष्मीबाई के लिए जिसने जान दे दी। उसका नाम नहीं आता।

सवाल- आपने कहा कि रानी ने आत्महत्या की थी। ये बात कहां से आई? जवाब- हमने “बुंदेलखंड का वृहद इतिहास” नाम की एक किताब पढ़ी है। इस किताब में लिखा है कि झांसी के शासक गंगाधर राव की कोई संतान नहीं थी। उस समय डलहौजी की ‘हड़प नीति’ लागू थी, जिसके अनुसार जिन राज्यों के शासकों का कोई वारिस नहीं होता, उन्हें अंग्रेज हड़प लेते थे। इसी नीति के तहत अंग्रेजों ने झांसी को भी हड़प लिया।

रानी लक्ष्मीबाई ने दावा किया कि उन्होंने दामोदर निंबालकर को गोद लिया है और वही उनका उत्तराधिकारी है। हालांकि, गोद लेने के भी कुछ नियम और कानून थे, जिन पर रानी खरी नहीं उतरीं। अदालत ने गोदनामा रद्द कर दिया। उमेशचंद्र बनर्जी इस फैसले को चुनौती देने कोर्ट गए, लेकिन वे केस हार गए। इसके बाद लॉर्ड डलहौजी की नीति लागू हो गई और झांसी को अंग्रेजों ने अधिकार में ले लिया।

उन्होंने झांसी की व्यवस्था के लिए मेजर स्कीन को कमिश्नर नियुक्त किया और वहां दो टुकड़ियां तैनात कर दीं, सिंधिया कंटीन्जेंसी फोर्स और बंगाल इन्फेंट्री फोर्स। रानी को ₹5000 मासिक पेंशन और रहने के लिए एक महल दिया गया। यह घटना साल 1853-54 की है। रानी उस महल में चार-पांच साल तक अंग्रेजों की पेंशन पर रहीं।

बाद में बंगाल इन्फेंट्री फोर्स और अंग्रेजी सेना के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद हुआ। तब बंगाल इन्फेंट्री के सिपाही रानी के पास पहुंचे और बोले- हमें अस्त्र-शस्त्र और धन दीजिए और विद्रोह का नेतृत्व कीजिए।

रानी पहले तो डर गईं और अंग्रेजों की पेंशन पर रहने का हवाला देकर विद्रोह का नेतृत्व करने से मना कर दिया। लेकिन जब सिपाहियों ने उन्हें धमकी दी, तो वे नेतृत्व के लिए तैयार हो गईं।

यह घटना 1857 की है। रानी ने सोचा कि वे सुरक्षित कैसे रहेंगी, बच्चे को लेकर अकेले कैसे लड़ेंगी। तब उन्होंने अपनी सहयोगी झलकारी बाई कोरी को तैयार किया और कहा- “तुम मेरे रूप में रहकर अंग्रेजों से लड़ो, उन्हें उलझाओ। मैं तब तक यहां से निकल जाऊंगी।”

इसके बाद रानी झांसी से निकलकर कालपी होते हुए ग्वालियर पहुंचीं। ग्वालियर में एक नाले में उनके घोड़े का पैर टूट गया। उन्होंने सोचा- मैं अकेली हूं, अंग्रेजी सेना पीछे है। वे तलवार लेकर लड़ने को तैयार थीं।

हालांकि इस मोर्चे पर कई मतभेद हैं। कुछ लोगों का कहना है कि रानी लक्ष्मीबाई ने गंगादास की झोपड़ी में जाकर खुद को आग लगा ली। कुछ कहते हैं कि उन्होंने यह इसलिए किया ताकि अंग्रेज उन्हें छू न सकें। जैसा भी हो, लेकिन इतिहास के कुछ वर्णनों के अनुसार वे वहीं आग लगाकर मरीं।

सवाल- यह आपने कहीं किताब में पढ़ा है या सिर्फ सुना है? जवाब- मैंने “बुंदेलखंड का वृहद इतिहास” में यह पढ़ा है। यह किताब काशीनाथ त्रिपाठी ने लिखी है। वे छोटे-मोटे नहीं, अच्छे इतिहासकार हैं।

बरैया ने आखिर में कहा “मेरी समझ में जो युद्ध में लड़ते हुए मरे, वही वीर कहलाते हैं। मैंने जो पढ़ा और समझा, वही कहा। किसी को इससे आपत्ति है तो वो अपनी परिभाषा पर कायम रहे।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular